कानपुर: शहर में करीब पांच साल पहले केडीए के दो पूर्व अफसरों ने सड़क की टेंडर प्रक्रिया में देरी की थी. पांच साल बाद विजिलेंस की ओर से दो पूर्व अफसरों के खिलाफ साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया. बुधवार रात जब विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज करने की जानकारी दी गई तो केडीए भवन में अफसरों के बीच यह मामला चर्चा का विषय बना रहा.
दरअसल, इस मामले में केडीए अफसरों का कहना था कि सड़क मरम्मत करने को लेकर टेंडर जारी तो हुए थे. लेकिन समय से स्वीकार न करने के चलते शासन को करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इस मामले में शासन ने रिपोर्ट भी तैयार की थी. जिन पूर्व अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, उनमें तत्कालीन अधीक्षण अभियंता केेके पांडेय और तत्कालीन अधिशाषी अभियंता डीसी यादव का नाम शामिल है. विजिलेंस कानपुर यूनिट में तैनात इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार ने वादी बनकर उक्त अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और धारा 166 के तहत कार्रवाई की.
अप्रैल 2018 में जूही में कराया जाना था सड़कों की मरम्मत का काम: केडीए के अफसरों ने बताया कि मामला अप्रैल 2018 का है. केडीए द्वारा डब्ल्यू ब्लॉक जूही में कई सड़कों की मरम्मत व सुधार का काम होना था. इसी मामले को लेकर टेंडर जारी हुए थे. अप्रैल 2018 में तत्कालीन अधीक्षण अभियंता केके पांडेय (सेवानिवृत) ने टेंडरों को समय से स्वीकार नहीं किया. इसके कारण शासन को 2.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. विजिलेंस ने इस प्रकरण में खुली जांच कराई. पहली जांच रिपोर्ट 16 जनवरी 2020 को शासन में भेज दी गई थी. विजिलेंस अफसरों के मुताबिक, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता केके पांडेय ने इस मामले में 11 मार्च 2021 को अपना प्रत्यावेदन दाखिल किया. विजिलेंस की ओर से प्रत्यावेदन पर जांच की गई. इस मामले की रिपोर्ट 5 दिसंबर 2022 को तैयार कर विजिलेंस ने 15 जुलाई 2023 को शासन में दोबारा भेज दी. इसके बाद केडीए के पूर्व अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश हो गए.
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