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कानपुर नगर निगम में टेंडर की शिकायत के बाद खलबली, निकाय निदेशक ने तीन दिन में मांगी रिपोर्ट

कानपुर नगर निगम (Kanpur Municipal Corporation) में लाखों के टेंडर मनमाने ढंग से बांटे जाने की शिकायत के बाद निकाय निदेशक ने तीन दिनों के अंदर नगर आयुक्त से आख्या मांगी है.

मांगी रिपोर्ट
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Published : Jan 11, 2023, 9:46 PM IST

कानपुर: शहर के नगर निगम में अफसरों पर लगातार आरोप लगता है कि उनके द्वारा टेंडर मनमाने ढंग से दिए जाते हैं. इसी तरह का एक मामला नवंबर माह में सामने आया था. उस समय नगर आयुक्त शिव शरणप्पा ने जांच करा दी थी. लेकिन अब वही मामला निकाय निदेशक नेहा शर्मा के पास पहुंच गया है. उन्होंने तीन दिन में इसकी रिपोर्ट मांगी है.

ईटीवी भारत से बातचीत में आरटीआइ एक्टिविस्ट व शिकायतकर्ता नीरज गुप्ता ने कहा कि, इस मामले में खूब गोलमाल है. उन्होंने कहा कि, केंद्र से करोड़ों रुपये की राशि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए निकाय निदेशक कार्यालय से जारी होती है. नवंबर में नियमानुसार राशि जारी हुई. साथ ही यह पत्र भी जारी हुआ कि जो टेंडर होंगे उनमें यूएलबी टी-2 प्रक्रिया को अपनाया जाएगा. इस प्रक्रिया में जो 40 लाख रुपये से अधिक के टेंडर होंगे. उसमें फर्म की कैपेसिटी को देखा जाएगा. लेकि नगर निगम के अफसरों ने मनचाहे ढंग से टेंडर जारी कर दिए. नीरज गुप्ता ने कहा, कि उन्होंने नगर आयुक्त से दो बार इस मामले की शिकायत की है. जब मामले को दबाने की कोशिश की गई तो उन्होंने निकाय निदेशक को सभी दस्तावेजों के साथ शिकायत ई-मेल के माध्यम से भेज दी.

वहीं, इस संबंध में निकाय निदेशक नेहा शर्मा ने बताया कि नगर निगम में मनचाहे ढंग से टेंडर जारी करने संबंधी शिकायत प्राप्त हुई है. नगर आयुक्त से इस संबंध में 3 दिनों के अंदर आख्या मांगी गई है. निकाय निदेशक ने 15वें केंद्रीय वित्त आयोग के तहत वायु प्रदूषण रोकथाम के लिए 40 लाख रुपये के अधिक के टेंडर में यूएलबी टी-2 प्रक्रिया न अपनाने के संबंध में नगर आयुक्त से 3 दिनों में आख्या मांगी है. निकाय निदेशक की ओर से उक्त मामले में जांच का पत्र जारी होने के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि इस मामले में पूर्व मुख्य अभियंता समेत अन्य अफसरों पर गाज गिर सकती है.

यह भी पढ़ें- पहले दुकानों पर किया पथराव फिर तीसरी मंजिल से ज्वैलर ने लगाई छलांग

कानपुर: शहर के नगर निगम में अफसरों पर लगातार आरोप लगता है कि उनके द्वारा टेंडर मनमाने ढंग से दिए जाते हैं. इसी तरह का एक मामला नवंबर माह में सामने आया था. उस समय नगर आयुक्त शिव शरणप्पा ने जांच करा दी थी. लेकिन अब वही मामला निकाय निदेशक नेहा शर्मा के पास पहुंच गया है. उन्होंने तीन दिन में इसकी रिपोर्ट मांगी है.

ईटीवी भारत से बातचीत में आरटीआइ एक्टिविस्ट व शिकायतकर्ता नीरज गुप्ता ने कहा कि, इस मामले में खूब गोलमाल है. उन्होंने कहा कि, केंद्र से करोड़ों रुपये की राशि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए निकाय निदेशक कार्यालय से जारी होती है. नवंबर में नियमानुसार राशि जारी हुई. साथ ही यह पत्र भी जारी हुआ कि जो टेंडर होंगे उनमें यूएलबी टी-2 प्रक्रिया को अपनाया जाएगा. इस प्रक्रिया में जो 40 लाख रुपये से अधिक के टेंडर होंगे. उसमें फर्म की कैपेसिटी को देखा जाएगा. लेकि नगर निगम के अफसरों ने मनचाहे ढंग से टेंडर जारी कर दिए. नीरज गुप्ता ने कहा, कि उन्होंने नगर आयुक्त से दो बार इस मामले की शिकायत की है. जब मामले को दबाने की कोशिश की गई तो उन्होंने निकाय निदेशक को सभी दस्तावेजों के साथ शिकायत ई-मेल के माध्यम से भेज दी.

वहीं, इस संबंध में निकाय निदेशक नेहा शर्मा ने बताया कि नगर निगम में मनचाहे ढंग से टेंडर जारी करने संबंधी शिकायत प्राप्त हुई है. नगर आयुक्त से इस संबंध में 3 दिनों के अंदर आख्या मांगी गई है. निकाय निदेशक ने 15वें केंद्रीय वित्त आयोग के तहत वायु प्रदूषण रोकथाम के लिए 40 लाख रुपये के अधिक के टेंडर में यूएलबी टी-2 प्रक्रिया न अपनाने के संबंध में नगर आयुक्त से 3 दिनों में आख्या मांगी है. निकाय निदेशक की ओर से उक्त मामले में जांच का पत्र जारी होने के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि इस मामले में पूर्व मुख्य अभियंता समेत अन्य अफसरों पर गाज गिर सकती है.

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