कानपुर: शहर में विकास कार्यों के समय से किए जाने को लेकर अब विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और शहर व देहात से भाजपा सांसद आमने-सामने हो गए हैं. योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहते हुए सतीश महाना ने विकास कार्यों को लेकर कई समीक्षा बैठकें की थीं. हालांकि, अब जब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष होते हुए 18 नवंबर को बैठक करने का फैसला किया तो उनका यह निर्णय शहर व देहात से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी और देवेंद्र सिंह भोले को नागवार गुजरा. दोनों ही सांसदों ने अपनी ओर से कानपुर के कमिश्नर डॉ. राजशेखर को पत्र भेज दिया. यह पत्र सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर वायरल भी हो रहा है. पत्र में सांसदों ने अफसरों से कहा है कि विकास कार्यों संबंधी बैठक करने का अधिकार केवल सीएम व जिले के प्रभारी मंत्री को ही है.
शहर में जो राजनीतिक समीकरण हैं, उनके मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सांसद सत्यदेव पचौरी कभी एक साथ नहीं हुए. सभी के अलग-अलग खेमे हैं. सालों पहले शहर में एक पुल के उद्घाटन को लेकर भी विधानसभा अध्यक्ष व भाजपा सांसद में खींचतान हुई थी. दोनों से पत्राचार किया गया था और एक दूसरे का विरोध कागजों के माध्यम से जनता के सामने आ गया था. हालांकि अब बैठक के मामले में सांसद सत्यदेव पचौरी के साथ सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने भी विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का खुला विरोध किया है और मामले की जानकारी सीएम को देने की बात कही गई है.
यह भी पढ़ें: ओमप्रकाश राजभर का बड़ा बयान- सत्ता के इशारे पर काम कर रही ईडी