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कानपुर: बार एसोसिएशन चुनाव फिर टला, नियमों की अनदेखी पर उठे सवाल - बार एसोसिएशन का चुनाव

यूपी के कानपुर जिले में बार एसोसिएशन का चुनाव एक बार फिर टल गया है. आरोप है कि चुनाव में नियमों की अनदेखी की जा रही है, जिसके चलते यूपी बार काउंसिल को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है. बार काउंसिल ने चुनाव को लेकर अध्यक्ष और महामंत्री को लेटर भी जारी किया है कि चुनाव में नियमों की अनदेखी न की जाए.

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कानपुर बार एसोसिएशन.
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Published : Oct 6, 2020, 4:35 AM IST

कानपुरः बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर लगातार विरोध सामने आ रहा है, जिसकी वजह से कानपुर बार एसोसिएशन का चुनाव दो बार टल भी चुका है. इतना ही नहीं यूपी बार काउंसिल को भी इस में हस्तक्षेप करना पड़ा है. बार काउंसिल ने चुनाव को लेकर अध्यक्ष और महामंत्री को लेटर भी जारी किया है कि चुनाव में नियमों की अनदेखी न की जाए. बता दें कि बार एसोसिएशन के विभिन्न पदों का चुनाव मॉडल बाइलॉज के नियम से कराए जाते हैं.

अधिवक्ता पवन तिवारी ने बताया कि मॉडल बाइलॉज के मुताबिक एल्डर्स कमेटी का कार्यकाल 1 साल का है. इसके लिए नई कमेटी को या तो कार्यकारिणी तय करेगी या फिर आम सभा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. जिसकी वजह से एल्डर्स कमेटी की वैधानिकता पर सवाल उठता है.

अधिवक्ता ने बताया कि कमेटी का चयन नियमों के मुताबिक नहीं हुआ है. दिसंबर 2008 में पहली बार सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस यूपी के जरिए चुनाव हुए थे. सवाल है कि नए नियम से चुनाव शुरू कराने की सूचना भी सोसाइटी रजिस्ट्रार में नहीं दी गई है. नियमों की इसी अनदेखी के चलते एल्डर्स कमेटी को दो बार चुनाव टालने पड़े. आपको बता दें कि पहले 5 तारीख को चुनाव होने थे लेकिन इसी वजह से एक बार फिर से चुनाव टाल दिए गए हैं.

इन पर है मतभेद

  • सीओपी से चुनाव के नियम को सोसाइटी रजिस्ट्रार के यहां रजिस्टर्ड होना चाहिए.
  • वरिष्ठता क्रम में अधिवक्ता चुनाव कराने से मना करें तो उनकी लिखित अनुमति लेनी चाहिए.
  • जिनके पास सीओपी नहीं वह चुनाव लड़े पर मतदान नहीं कर पा रहे.
  • एल्डर्स कमेटी का नियमानुसार गठन नहीं किया गया.
  • जिन सदस्यों का तीन माह से ऊपर का सदस्यता शुल्क बकाया है, वह न तो संस्था के सदस्य होंगे और न ही वोट दे पाएंगे.
  • पिछले छह माह से अधिकतर सदस्यों ने शुल्क नहीं दिया तो मतदाता सूची सदस्य 30 फीसद ही बचेंगे.

कानपुरः बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर लगातार विरोध सामने आ रहा है, जिसकी वजह से कानपुर बार एसोसिएशन का चुनाव दो बार टल भी चुका है. इतना ही नहीं यूपी बार काउंसिल को भी इस में हस्तक्षेप करना पड़ा है. बार काउंसिल ने चुनाव को लेकर अध्यक्ष और महामंत्री को लेटर भी जारी किया है कि चुनाव में नियमों की अनदेखी न की जाए. बता दें कि बार एसोसिएशन के विभिन्न पदों का चुनाव मॉडल बाइलॉज के नियम से कराए जाते हैं.

अधिवक्ता पवन तिवारी ने बताया कि मॉडल बाइलॉज के मुताबिक एल्डर्स कमेटी का कार्यकाल 1 साल का है. इसके लिए नई कमेटी को या तो कार्यकारिणी तय करेगी या फिर आम सभा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. जिसकी वजह से एल्डर्स कमेटी की वैधानिकता पर सवाल उठता है.

अधिवक्ता ने बताया कि कमेटी का चयन नियमों के मुताबिक नहीं हुआ है. दिसंबर 2008 में पहली बार सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस यूपी के जरिए चुनाव हुए थे. सवाल है कि नए नियम से चुनाव शुरू कराने की सूचना भी सोसाइटी रजिस्ट्रार में नहीं दी गई है. नियमों की इसी अनदेखी के चलते एल्डर्स कमेटी को दो बार चुनाव टालने पड़े. आपको बता दें कि पहले 5 तारीख को चुनाव होने थे लेकिन इसी वजह से एक बार फिर से चुनाव टाल दिए गए हैं.

इन पर है मतभेद

  • सीओपी से चुनाव के नियम को सोसाइटी रजिस्ट्रार के यहां रजिस्टर्ड होना चाहिए.
  • वरिष्ठता क्रम में अधिवक्ता चुनाव कराने से मना करें तो उनकी लिखित अनुमति लेनी चाहिए.
  • जिनके पास सीओपी नहीं वह चुनाव लड़े पर मतदान नहीं कर पा रहे.
  • एल्डर्स कमेटी का नियमानुसार गठन नहीं किया गया.
  • जिन सदस्यों का तीन माह से ऊपर का सदस्यता शुल्क बकाया है, वह न तो संस्था के सदस्य होंगे और न ही वोट दे पाएंगे.
  • पिछले छह माह से अधिकतर सदस्यों ने शुल्क नहीं दिया तो मतदाता सूची सदस्य 30 फीसद ही बचेंगे.
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