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कानपुर में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण, बचाव के लिए ये तरीके अपनाएं....

यूपी के कानपुर में भी लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. कानपुर के यूएचएम अस्पताल के विशेषज्ञ से जानिए वायु प्रदूषण से बचने के लिए कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए.

वायु प्रदूषण
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Published : Dec 22, 2021, 2:27 PM IST

Updated : Dec 22, 2021, 4:31 PM IST

कानपुर: प्रदेश में जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कानपुर महानगर भी अछूता नहीं है. यहां पर लगातार वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण रेड अलर्ट जारी किया गया है. कानपुर महानगर में मंगलवार को जहां एक्यूआई 295 था, वहीं बुधवार को 306 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो सामान्य से बहुत अधिक है. वायु प्रदूषण बढ़ने से जिले में दमे के साथ अन्य मरीजों को भी दिक्कत होने लगी है. आइए जानते हैं कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए क्या एहतियात बरतने चाहिए.

कानपुर में वायु प्रदूषण.

गौरतलब है कि सर्दी बढ़ने पर धूल के कण नम हवाओं के साथ मिलकर स्मॉग के रूप में वायुमंडल में मिल गए हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ गया है. वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण इस समय दमे के साथ अन्य मरीजों को भी दिक्कत होने लगी है.

यूएचम के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल निगम ने बताया कि सर्दी के दिनों में सांस व दिल के मरीजों को काफी एहतियात बरतने की जरूरत है. क्योंकि वायु प्रदूषण बढ़ने से ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. डॉ निगम ने बताया कि ऐसे मरीजों को सर्दी के दिनों में बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर आवश्यक हो तभी बाहर निकलें और बाहर जाते समय गर्म कपड़े पहनना जरूरी है. उन्होंने बताया कि दम और दिल के मरीजों को जो दवा चल रही है, लगातार लेना चाहिए. क्योंकि सर्दियों में ब्लेड प्रेशर बढ़ता है और स्ट्रोक होने के अधिक संभावनाएं होती हैं. डॉ. अनिल निगम का कहना है कि सर्दियों में बच्चों में निमोनिया होने की अधिक सभांवना होती है, ऐसे में बच्चों को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

इसे भी पढे़ं- गोशालाओं में नहीं हैं पशुओं को सर्दी से बचाने के इंतजाम, अफसरों के दावे हवा-हवाई

गौरतलब है कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

कानपुर: प्रदेश में जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कानपुर महानगर भी अछूता नहीं है. यहां पर लगातार वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण रेड अलर्ट जारी किया गया है. कानपुर महानगर में मंगलवार को जहां एक्यूआई 295 था, वहीं बुधवार को 306 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो सामान्य से बहुत अधिक है. वायु प्रदूषण बढ़ने से जिले में दमे के साथ अन्य मरीजों को भी दिक्कत होने लगी है. आइए जानते हैं कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए क्या एहतियात बरतने चाहिए.

कानपुर में वायु प्रदूषण.

गौरतलब है कि सर्दी बढ़ने पर धूल के कण नम हवाओं के साथ मिलकर स्मॉग के रूप में वायुमंडल में मिल गए हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ गया है. वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण इस समय दमे के साथ अन्य मरीजों को भी दिक्कत होने लगी है.

यूएचम के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल निगम ने बताया कि सर्दी के दिनों में सांस व दिल के मरीजों को काफी एहतियात बरतने की जरूरत है. क्योंकि वायु प्रदूषण बढ़ने से ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. डॉ निगम ने बताया कि ऐसे मरीजों को सर्दी के दिनों में बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर आवश्यक हो तभी बाहर निकलें और बाहर जाते समय गर्म कपड़े पहनना जरूरी है. उन्होंने बताया कि दम और दिल के मरीजों को जो दवा चल रही है, लगातार लेना चाहिए. क्योंकि सर्दियों में ब्लेड प्रेशर बढ़ता है और स्ट्रोक होने के अधिक संभावनाएं होती हैं. डॉ. अनिल निगम का कहना है कि सर्दियों में बच्चों में निमोनिया होने की अधिक सभांवना होती है, ऐसे में बच्चों को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

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गौरतलब है कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

Last Updated : Dec 22, 2021, 4:31 PM IST
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