कानपुरः देश और दुनिया में कानपुर को 1984 दंगे मामले में जोड़ा जाता था. वहीं, अब 3 जून को हुई परेड की घटना के बाद कानपुर सुर्खियों में है. कानपुर हिंसा के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी जफर हयात हाशमी समेत अन्य आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई की थी. अब जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रूप से आरोपियों पर एनएसए और गैंगस्टर के तहत कार्रवाई की है.
बता दें, कि 3 जून को हुई हिंसा मामले में आरोपियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. इसमें आरोपी हयात जफर हाशमी पर एनएसए की कार्रवाई की गई है. वहीं, मुख्तार बाबा, अकील खिचड़ी, शफीक, मोहम्मद वसी पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई की गई है. पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा और डीएम विशाख जी ने बताया कि जिन लोगों के खिलाफ गैंगस्टर और एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है, उन लोगों ने हिंसा में फंडिंग की थी और कहीं न कहीं मुख्य रूप से उपद्रव में शामिल थे. यह अब तक की बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.
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जफर हयात हाशमी पर जिम्मेदारी थी कि वह विशेष समुदाय के लोगों को इकट्ठा करें और कुछ हिस्सों को बंद करने का आह्वान किया जाए. इसके लिए जफर ने बकायदा पोस्टर भी छपवाये थे. पैसे देकर उपद्रव करने के लिए पत्थरबाजों को बुलाया था. उपद्रव की शुरुआत बाजार बंद कराने से की गई थी. जफर हयात हाशमी की गिरफ्तारी के बाद लगातार 3 जून की हुई हिंसा किस तरह से षड्यंत्र के तहत की गई थी. इसके खुलासे होते रहे हैं. वहीं, जफर हयात हाशमी के पीछे फंडिंग के आरोपी बाबा बिरियानी के मालिक मुख्तार बाबा ने 3 जून की हिंसा मे खर्च होने वाले पैसों का जिम्मा लिया था. वहीं, बिल्डर हाजी वसी भी पूरे षडयंत्र में फंडिंग करने की भूमिका में था और इसके अन्य साथी उपद्रवियों को सक्रिय करने में लगे हुए थे.
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