कानपुर देहात: जिले के रूरा थाना क्षेत्र से एक गैंगरेप का मामला सामने आया है, जहां किशोरी के परिजनों ने गांव के लोगों पर आरोप लगाया है. परिजनों का आरोप है कि 11 नवम्बर को किशोरी को गांव के ही 3 लोगों शनि, लाला, रिंकू ने अपहरण कर उसको बंधक बनाया और उसके साथ बारी-बारी से 3 दिन तक गैंगरेप किया.
किसी तरह किशोरी 13 नवंबर को युवकों के चंगुल से भागकर परिजनों के पास पहुंची और आपबीती बताई. बेटी की बातों को सुनकर परिजनों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और वह बेटी को लेकर थाने गए. पुलिस ने किशोरी का मेडिकल कराया और तीन दिन बाद रूरा पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया, लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की.
आरोपी बना रहे थे दबाव
किशोरी के घर आने के बाद गांव के आरोपी दबंग किशोरी के परिजन पर कार्रवाई न करने का दबाव बनाते रहे, साथ ही आरोप लगाया कि पुलिस भी उन पर समझौते का दबाव बना रही थी. दबाव के डर से किशोरी के परिजनों ने अपनी बेटी को कानपुर नगर अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया. 8 दिन रहने के बाद भी किशोरी को पुलिस से न्याय नहीं मिला और गैंग रेप से शर्मसार होकर किशोरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
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वहीं, किशोरी की मौत के बाद मौके पर पहुंची कानपुर नगर की पुलिस ने किशोरी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम होने के बाद जैसे ही किशोरी का शव घर पहुंचा तो चीख पुकार मच गई और पुलिस पर सवाल उठने लगे. पुलिस को जैसे ही किशोरी के आत्महत्या की जानकारी हुई तो आनन-फानन में मामले से जुड़े 2 आरोपियो को गिरफ्तार कर लिया गया.
कानपुर देहात के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि किशोरी के पिता की तहरीर पर 16 नवंबर को थाना रूरा मे किशोरी के ले जाने का (आईपीसी की धारा 363 और 366) में मुकदमा लिखा गया था. तीन दिन बाद किशोरी के मिलने पर उसका मेडिकल कराया गया और मुकदमे को तरमीम किया गया.
पुलिस पूरे मामले पर जांच कर रही है. जांच में जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
-अनुराग वत्स, पुलिस अधीक्षक, कानपुर देहात
पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
नाबालिग के साथ 13 नवम्बर गैंगरेप की घटना होती है और रूरा पुलिस द्वारा 16 को धारा 363, 366 में मुकदमा दर्ज किया जाता है. बाद में 376D गैंगरेप में मामला तरमीम कर लिया जाता है और आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की जाती है. नाबालिग द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद तत्काल 2 अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर ली जाती है. यदि समय से पुलिस यह कार्रवाई करती तो शायद नाबालिग आज जिन्दा होती.