कानपुर देहात: अकबरपुर स्थित ऐतिहासिक शुक्ल तालाब मुगलकाल में बनाया गया था. अकबरपुर नगर में चार सदी पूर्व निर्मित इस तालाब और इमारत वास्तुकला का अद्भुत नमूना है.
शुक्ल तालाब और बारादरी का इतिहास
सन् 1578 में अकबरपुर में भयावह अकाल पड़ा तब नत्थे खां और शीतल प्रसाद शुक्ल ने राजस्व का एकत्र धन राजकोष में जमा न करवा कर लोगों को राहत दिलाने के लिए यहां पक्का तालाब और बारादरी का निर्माण करवाया था. तभी से इस नगर का नाम अकबरपुर और शीतल शुक्ल के नाम से तालाब का नाम शुक्ल तालाब पड़ गया. अकबरपुर का शुक्ल तालाब और इमारत मुगल शासन का जीता जागता नमूना है. कानपुर देहात के मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर बसे अकबरपुर नगर में चार सदी पूर्व निर्मित शुक्ल तालाब एवं बारादरी हिन्दू-मुस्लिम एकता की सबसे बड़ी मिसाल भी है.
शुक्ल तालाब बदहाल
मुगलकाल में इलाके की शान रहे इस तालाब के हालात अब बदल गए हैं. कभी सैरगाह हुआ करने वाला तालाब अब गंदगी और कचरे से भर गया है. तालाब परिसर में स्थित बाबा अवधूतेश्वर महादेव का मंदिर हिन्दू-मुस्लिम एकता की डोर को अब भी बांधे हुए है, लेकिन इस तालाब की हालत सुधारने पर अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो मुगलकाल की यह धरोहर हमेशा के लिए खो जाएगी.
यह बदहाल तालाब कानपुर देहात के अकबरपुर का इकलौता पर्यटन स्थल माना जाता है. अव्यवस्था के चलते शुक्ल तालाब अपनी सुंदरता खोता जा रहा है. प्रशासन की ओर से इस स्थल का कोई खास ध्यान नहीं रखा जाता है. जहां एक समय में इस पर्यटक स्थल पर इमारत और तालाब को देखने की भीड़ जमा होती थी, वहीं आज के समय में यहां सन्नाटा पसरा रहता है.
साल 2014 में कानपुर देहात के जिलाधिकारी ने अंधेरे में पड़े इस पर्यटक स्थल का नवीनीकरण भी कराया. यहां पर उन्होंने रोशनी के इंतजाम किया और तालाब का गंदा पानी भी निकलवाया, लेकिन उनके जाने के बाद शुक्ल तालाब फिर बदहाली में चला गया.