कानपुर देहात: एक तरफ जहां केंद्र सरकार के आते ही पिछड़े ग्रामीण इलाकों में विकास की उम्मीद जगी थी, वहीं आज भी कई गांव वैसे ही बदहाल पड़े हैं. इन गांवों में बिजली और पानी तो दूर, लोगों को चलने के लिए सड़क तक नहीं है. गांव तक जाने के लिए कहीं-कहीं पर ही खड़ंजे बने हैं. इनमें से एक है कानपुर देहात के भोगनीपुर विधानसभा का पचलग गांव.
इस गांव की हालत आज भी बदतर है. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी जब सत्ता में आई तो ग्रामीणों के दिलों में विकास के सपने जगने लगे. लेकिन सत्ता में काबिज हुए सांसद भानू प्रताप ने अपने कार्यकाल में कभी इस गांव में आना भी मुनासिब नहीं समझा. पेश है ETV भारत की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट-
ईटीवी भारत की टीम जब कानपुर देहात के भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र के पचलग गांव पहुंची तो यहां के हालात कुछ और ही दिखे. इस गांव में जाने के लिए सड़क-खड़ंजे नहीं बल्कि कूचें और पगडंडियां हैं. विकास के नाम पर बस एक पानी की टंकी है, जिसका काम 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए अब निर्माण काम चालू हो पाया है.
वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने पचलग के ग्रामीणों से बात की तो उनका कहना था कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी सांसद ने गांव की तरफ एक बार भी रुख नहीं किया. विकास बस एक सपना बनकर रह गया. और तो और यहां लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तक तरस रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इस बार तो सांसद वोट मांगने भी नहीं आए.