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आपातकाल के वक्त 18 साल की उम्र में गए थे जेल, आज भी ताजा हैं यादें

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Published : Jun 24, 2020, 11:05 PM IST

साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था. उस दौरान सभी मूल अधिकार खत्म करने के साथ ही मीडिया पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी. नेताओं को जबरदस्ती जेल में डाला जाने लगा था. मुझे भी 18 साल की उम्र में जेल में डाल दिया गया. ये बातें लोकतंत्र सेनानी यशवंत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहीं.

democracy fighter yashwant singh
लोकतंत्र सेनानी यशवंत सिंह.

कानपुर देहात: दुनिया के जिस लोकतंत्र का नागरिक होने की बात हम विश्व भर को बड़े फख्र से बताते हैं, उसी लोकतंत्र को 45 साल पहले आपातकाल का दंश झेलना पड़ा था. नई पीढ़ी तो आपातकाल की विभीषिका से बिल्कुल अपरिचित है. 25-26 जून 1975 की रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश पर लगाए गए आपातकाल में यूपी के जनपद कानपुर देहात के एक युवक को 18 साल की उम्र में जेल जाना पड़ा था. उन्हें 18 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा था, जिसका दर्द आज भी उस लोकतंत्र सेनानी के दिल में दफन है, जिनका नाम है- यशवंत सिंह.

जानकारी देते लोकतंत्र सेनानी.

इमरजेंसी में छिन गए थे सभी मूल अधिकार
आपातकाल में नागरिकों के सभी मूल अधिकार खत्म कर दिए गए थे. राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया था. मीडिया और अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी, उस वक्त पूरा देश सुलग उठा था. जबरिया नसबंदी जैसे सरकारी कृत्यों के प्रति लोगों में भारी रोष था. ये आपातकाल ज्यादा दिन नहीं चल सका. करीब 19 महीने बाद लोकतंत्र फिर जीता, लेकिन इस जीत ने कांग्रेस पार्टी को हिलाकर रख दिया था.

कानपुर देहात जिले के लोकतंत्र सेनानी यशवंत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि आपातकाल के दौरान उनके लिए बड़ा ही कठिनाइयों भरा दौर था. पूरा देश तानाशाही के दौर से गुजर रहा था, जिस वक्त एक जज जगमोहन सिन्हा ने फैसला सुनाते हुए इंदिरा गांधी को दोषी पाया. इस फैसले के आते ही संजय गांधी ने इंदिरा गांधी से कहा कि अब एक ही तरीका बचा है कि आप आपातकाल लगा दीजिए, उसी वक्त मेरी गिरफ्तारी हुई, तब मेरी उम्र महज 18 साल की थी.

कानपुर: पुलिसकर्मी का आइसक्रीम बेचने का वीडियो हुआ वायरल, जानें पूरा मामला

लोकतंत्र सेनानी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'आपातकाल में सभी अधिकार खत्म कर दिए गए थे. इंदिरा गांधी ने जज जगमोहन सिन्हा के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां उनको स्टे मिल गया. इसके बाद देश में आपातकाल लगा दिया गया. उस समय रात में गिरफ्तारी होती थी, इसीलिए मुझे भी एक बजे रात को गिरफ्तार किया गया था. जेल में मुझे अनेकों यातनाएं दी गईं थी. अलग-अलग जेलों में मुझे 18 महीने तक रखा गया था.'

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जानकारी देते लोकतंत्र सेनानी.

इमरजेंसी में छिन गए थे सभी मूल अधिकार
आपातकाल में नागरिकों के सभी मूल अधिकार खत्म कर दिए गए थे. राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया था. मीडिया और अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी, उस वक्त पूरा देश सुलग उठा था. जबरिया नसबंदी जैसे सरकारी कृत्यों के प्रति लोगों में भारी रोष था. ये आपातकाल ज्यादा दिन नहीं चल सका. करीब 19 महीने बाद लोकतंत्र फिर जीता, लेकिन इस जीत ने कांग्रेस पार्टी को हिलाकर रख दिया था.

कानपुर देहात जिले के लोकतंत्र सेनानी यशवंत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि आपातकाल के दौरान उनके लिए बड़ा ही कठिनाइयों भरा दौर था. पूरा देश तानाशाही के दौर से गुजर रहा था, जिस वक्त एक जज जगमोहन सिन्हा ने फैसला सुनाते हुए इंदिरा गांधी को दोषी पाया. इस फैसले के आते ही संजय गांधी ने इंदिरा गांधी से कहा कि अब एक ही तरीका बचा है कि आप आपातकाल लगा दीजिए, उसी वक्त मेरी गिरफ्तारी हुई, तब मेरी उम्र महज 18 साल की थी.

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लोकतंत्र सेनानी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'आपातकाल में सभी अधिकार खत्म कर दिए गए थे. इंदिरा गांधी ने जज जगमोहन सिन्हा के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां उनको स्टे मिल गया. इसके बाद देश में आपातकाल लगा दिया गया. उस समय रात में गिरफ्तारी होती थी, इसीलिए मुझे भी एक बजे रात को गिरफ्तार किया गया था. जेल में मुझे अनेकों यातनाएं दी गईं थी. अलग-अलग जेलों में मुझे 18 महीने तक रखा गया था.'

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