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कानपुर देहात : पेट के कीड़े मारने की दवा खाने से एक दर्जनों बच्चों की बिगड़ी हालत

कानपुर देहात के जैनपुर प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक ने बच्चों को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाई. दवा खाने के बाद करीब एक दर्जन बच्चे बीमार हो गए. बच्चों के परिजनों का आरोप है कि अध्यापकों ने बच्चों को जबदस्ती दवा खिलाई है.

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बच्चों की बिगड़ी हालत
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Published : Mar 12, 2022, 10:19 PM IST

कानपुर. कानपुर देहात के एक प्राथमिक विद्यालय में पेट के कीड़े मारने की दवा खाने के बाद एकाएक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की तबीयत नाजुक होने लगी. कीड़े मारने की दवा एल्बेंडाजोल को स्वास्थ विभाग की ओर से प्राथमिक स्कूल के बच्चों को खिलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है.

कानपुर देहात के प्राथमिक विद्यालयों में भी बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा दी गई. इसके बाद एकाएक दवा खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी एक के बाद एक और ऐसे करते-करते तकरीबन कानपुर देहात के अकबरपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित जैनपुर प्राथमिक विद्यालय के करीब एक दर्जन बच्चों की तबीयत नाजुक हो गई.

कानपुर देहात : पेट के कीड़े मारने की दवा खाने से एक दर्जनों बच्चों की बिगड़ी हालत

बच्चों की तबीयत खराब होने की सूचना पर ग्रामीण व परिजन हजारों की तादाद में इकट्ठा होकर स्कूल में हंगामा काटने लगे. मौके पर चीख पुकार मच गई. उधर, बच्चों की तबीयत खराब होने की सूचना जैसे ही जिला प्रशासन को मिली, प्रशासनिक अमला भारी पुलिस बल और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ प्राथमिक विद्यालय जैनपुर पहुंच गया.

इस दौरान परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप भी लगाए. परिजनों का आरोप है कि स्कूल की अध्यापिकाओं और प्रधानाध्यापक ने मिलकर बच्चों को जबरदस्ती पेट के कीड़े मारने की दवा खिला दी. आरोप लगाया कि उनके बच्चों को दवा खिलाने से पहले उनसे एक बार भी नहीं पूछा गया. न ही उनको इस बारे में कुछ बताया गया.

जब बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी तो स्कूल ने सिर्फ इतना कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा दी गई थी. वहीं, परिजनों का यह भी आरोप है कि बच्चों की तबीयत बिगड़ते ही स्कूल का पूरा स्टाफ मौके से फरार हो गया. तड़पते बच्चों पर किसी को तरस नहीं आया.

वहीं, इस मामले में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने मुस्तैदी दिखाते हुए तत्काल स्कूल पहुंचकर वहां बीमार हुए करीब एक दर्जन बच्चों को अस्पताल पहुंचाया और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराईं. बच्चे अब चिकित्सकीय देखरेख में हैं और खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं.

पढ़ेंः Lucknow University : बीए, बीएससी, बी.कॉम का परीक्षा कार्यक्रम जारी, सवा लाख परीक्षार्थी होंगे शामिल

वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता. यह दवा राष्ट्रीय स्तर के अभियान के तहत सभी स्कूल के बच्चों को दी जा रही है. यह दवा पेट के कीड़ों को मारती है. हालांकि इसे खाने के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं जो ज्यादा हानिकारक नहीं होते. इनमें जी मिचलाना, उल्टी होना व चक्कर आना स्वाभाविक लक्षण हैं.

विभागीय चिकित्सकों का कहना है कि इस दवा को खिलाने के पूर्व शिक्षकों को पूरी ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेंड शिक्षक ही बच्चों को दवा खिलाते हैं. बच्चों को दवा चबाकर खाने की सलाह दी गई थी. जो बच्चे 2 से 3 वर्ष के हैं, उन्हें पानी में घोलकर दवा पिलाई जानी थी.

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कानपुर. कानपुर देहात के एक प्राथमिक विद्यालय में पेट के कीड़े मारने की दवा खाने के बाद एकाएक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की तबीयत नाजुक होने लगी. कीड़े मारने की दवा एल्बेंडाजोल को स्वास्थ विभाग की ओर से प्राथमिक स्कूल के बच्चों को खिलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है.

कानपुर देहात के प्राथमिक विद्यालयों में भी बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा दी गई. इसके बाद एकाएक दवा खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी एक के बाद एक और ऐसे करते-करते तकरीबन कानपुर देहात के अकबरपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित जैनपुर प्राथमिक विद्यालय के करीब एक दर्जन बच्चों की तबीयत नाजुक हो गई.

कानपुर देहात : पेट के कीड़े मारने की दवा खाने से एक दर्जनों बच्चों की बिगड़ी हालत

बच्चों की तबीयत खराब होने की सूचना पर ग्रामीण व परिजन हजारों की तादाद में इकट्ठा होकर स्कूल में हंगामा काटने लगे. मौके पर चीख पुकार मच गई. उधर, बच्चों की तबीयत खराब होने की सूचना जैसे ही जिला प्रशासन को मिली, प्रशासनिक अमला भारी पुलिस बल और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ प्राथमिक विद्यालय जैनपुर पहुंच गया.

इस दौरान परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप भी लगाए. परिजनों का आरोप है कि स्कूल की अध्यापिकाओं और प्रधानाध्यापक ने मिलकर बच्चों को जबरदस्ती पेट के कीड़े मारने की दवा खिला दी. आरोप लगाया कि उनके बच्चों को दवा खिलाने से पहले उनसे एक बार भी नहीं पूछा गया. न ही उनको इस बारे में कुछ बताया गया.

जब बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी तो स्कूल ने सिर्फ इतना कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा दी गई थी. वहीं, परिजनों का यह भी आरोप है कि बच्चों की तबीयत बिगड़ते ही स्कूल का पूरा स्टाफ मौके से फरार हो गया. तड़पते बच्चों पर किसी को तरस नहीं आया.

वहीं, इस मामले में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने मुस्तैदी दिखाते हुए तत्काल स्कूल पहुंचकर वहां बीमार हुए करीब एक दर्जन बच्चों को अस्पताल पहुंचाया और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराईं. बच्चे अब चिकित्सकीय देखरेख में हैं और खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं.

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वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता. यह दवा राष्ट्रीय स्तर के अभियान के तहत सभी स्कूल के बच्चों को दी जा रही है. यह दवा पेट के कीड़ों को मारती है. हालांकि इसे खाने के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं जो ज्यादा हानिकारक नहीं होते. इनमें जी मिचलाना, उल्टी होना व चक्कर आना स्वाभाविक लक्षण हैं.

विभागीय चिकित्सकों का कहना है कि इस दवा को खिलाने के पूर्व शिक्षकों को पूरी ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेंड शिक्षक ही बच्चों को दवा खिलाते हैं. बच्चों को दवा चबाकर खाने की सलाह दी गई थी. जो बच्चे 2 से 3 वर्ष के हैं, उन्हें पानी में घोलकर दवा पिलाई जानी थी.

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