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शिक्षक दिवस पर बच्चों की पढ़ाई के लिए इस शिक्षक ने दान कर दी अपनी जमीन, सम्मानित हुए - शिक्षक ने स्कूल को 4 बीघा जमीन दान की

शिक्षक दिवस(Teachers Day 2022) के मौके पर कन्नौज जनपद में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान शिक्षक रामसरन शाक्य को सम्मानित किया गया. शिक्षक रामसरन शाक्य विद्यालय को कई बार जमीन दान दे चुके हैं.

शिक्षक रामसरन को मिला सम्मान
शिक्षक रामसरन को मिला सम्मान
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Published : Sep 5, 2022, 4:12 PM IST

कन्नौज: शिक्षक दिवस(Teachers Day 2022) के मौके पर सौरिख कस्बे के नगला अंगद गांव निवासी रामसरन शाक्य ने प्राथमिक विद्यालय को एक बीघा जमीन दान दी है. रामसरन शाक्य पेशे से शिक्षक हैं, वह अंगद गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर सेवा दे रहे हैं. शिक्षक रामसरन शाक्य ने यह जमीन विद्यालय परिसर में छात्रों के लिए खेल का मैदान बनाने के लिए दी है. शिक्षक दिवस के मौके पर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान रामसरन ने स्कूल को जमीन दान करने की घोषणा की.

रामसरन शाक्य पहले भी अपनी 4 बीघा पैतृक जमीन दान कर चुके हैं. उन्होंने साल 2007 में स्कूल के लिए 2 बीघा जमीन दान की थी, इसके बाद उन्होंने साल 2009 में स्कूल के रास्ते के लिए 4 बीघा जमीन दान की थी. शिक्षक दिवस के मौके पर रामसरन शाक्य को सांसद व विधायक ने कन्नौज शिक्षा रत्न से सम्मानित किया है. सौरिख कस्बे के नगला अंगद गांव निवासी रामसरन साल 1999 में फर्रुखाबाद जनपद के पृथ्वीपुर गांव में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर तैनात हुए थे.

शिक्षक रामसरन ने विद्यालय को दान कर दी अपनी जमीन

साल 2007 में उनका तबादला पैतृक गांव नगला अंगद में हो गया. उस दौर में अंगद गांव में बने प्राथमिक विद्यालय(Angad Primary School) का खस्ता हाल था. विद्यालय की खस्ता हालत देखकर उन्होंने बिल्डिंग बनाने के लिए अपनी 2 बीघा पैतृक जमीन दान कर दी. रामसरन की पहल पर विद्यालय का भवन बनकर तैयार हो गया, लेकिन एक और बड़ी समस्या सामने खड़ी हो गई. दरअसल, विद्यायल तक जाने के लिए रास्ता न होने की वजह से छात्रों को आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी. छात्रों की शिक्षा में किसी तरह की रूकावट न आए इसलिए उन्होंने अपनी और 2 बीघा जमीन स्कूल का रास्ता बनाने के लिए दान दे दी.

शिक्षक रामसरन को मिला सम्मान
शिक्षक रामसरन को मिला सम्मान

अब शिक्षक रामसरन ने स्कूली छात्रों के लिए खेल का मैदान बनाने के लिए अपनी एक बीघा जमीन दान की है. वर्तमान में रामसरन अंगद गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हैं. उनके विद्यालय में 313 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. रामसरन सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनकर सामने आए हैं. रामसरन ने बताया कि जब वह 1991 में बीएड करके गांव वापस आए थे. तब गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं था. गांव के करीब 70-75 बच्चे करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में पढ़ने जाते थे. बच्चों की यह समस्या देखकर उन्हें गांव में विद्यालय बनवाने का विचार आया. रामसरन ने बताया कि उस समय गांव में विद्यालय बनने के लिए जगह नहीं थी. इसलिए बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने विद्यालय को जमीन दान कर दी थी.

गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. राधा कृष्णन का जन्म हुआ था. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म वर्ष 1988 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था. आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद उनकी पढ़ाई लिखाई में काफी रुचि थी. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई तिरुवल्लुर के गौड़ी स्कूल और तिरुपति के मिशन स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने छात्रवृत्ति के माध्यम से क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्ष 1916 में उन्होंने दर्शनशास्त्र में एमए किया और और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर बने. 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया, राधा कृष्णन को 27 बार नोबल पुरस्कार से नवाजा गया और 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

इसे पढ़ें- सीएम योगी बोले, छात्रों के साथ टीचर भी लगाएं स्कूल में झाड़ू, तो बुराई नहीं

कन्नौज: शिक्षक दिवस(Teachers Day 2022) के मौके पर सौरिख कस्बे के नगला अंगद गांव निवासी रामसरन शाक्य ने प्राथमिक विद्यालय को एक बीघा जमीन दान दी है. रामसरन शाक्य पेशे से शिक्षक हैं, वह अंगद गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर सेवा दे रहे हैं. शिक्षक रामसरन शाक्य ने यह जमीन विद्यालय परिसर में छात्रों के लिए खेल का मैदान बनाने के लिए दी है. शिक्षक दिवस के मौके पर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान रामसरन ने स्कूल को जमीन दान करने की घोषणा की.

रामसरन शाक्य पहले भी अपनी 4 बीघा पैतृक जमीन दान कर चुके हैं. उन्होंने साल 2007 में स्कूल के लिए 2 बीघा जमीन दान की थी, इसके बाद उन्होंने साल 2009 में स्कूल के रास्ते के लिए 4 बीघा जमीन दान की थी. शिक्षक दिवस के मौके पर रामसरन शाक्य को सांसद व विधायक ने कन्नौज शिक्षा रत्न से सम्मानित किया है. सौरिख कस्बे के नगला अंगद गांव निवासी रामसरन साल 1999 में फर्रुखाबाद जनपद के पृथ्वीपुर गांव में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर तैनात हुए थे.

शिक्षक रामसरन ने विद्यालय को दान कर दी अपनी जमीन

साल 2007 में उनका तबादला पैतृक गांव नगला अंगद में हो गया. उस दौर में अंगद गांव में बने प्राथमिक विद्यालय(Angad Primary School) का खस्ता हाल था. विद्यालय की खस्ता हालत देखकर उन्होंने बिल्डिंग बनाने के लिए अपनी 2 बीघा पैतृक जमीन दान कर दी. रामसरन की पहल पर विद्यालय का भवन बनकर तैयार हो गया, लेकिन एक और बड़ी समस्या सामने खड़ी हो गई. दरअसल, विद्यायल तक जाने के लिए रास्ता न होने की वजह से छात्रों को आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी. छात्रों की शिक्षा में किसी तरह की रूकावट न आए इसलिए उन्होंने अपनी और 2 बीघा जमीन स्कूल का रास्ता बनाने के लिए दान दे दी.

शिक्षक रामसरन को मिला सम्मान
शिक्षक रामसरन को मिला सम्मान

अब शिक्षक रामसरन ने स्कूली छात्रों के लिए खेल का मैदान बनाने के लिए अपनी एक बीघा जमीन दान की है. वर्तमान में रामसरन अंगद गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हैं. उनके विद्यालय में 313 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. रामसरन सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनकर सामने आए हैं. रामसरन ने बताया कि जब वह 1991 में बीएड करके गांव वापस आए थे. तब गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं था. गांव के करीब 70-75 बच्चे करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में पढ़ने जाते थे. बच्चों की यह समस्या देखकर उन्हें गांव में विद्यालय बनवाने का विचार आया. रामसरन ने बताया कि उस समय गांव में विद्यालय बनने के लिए जगह नहीं थी. इसलिए बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने विद्यालय को जमीन दान कर दी थी.

गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. राधा कृष्णन का जन्म हुआ था. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म वर्ष 1988 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था. आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद उनकी पढ़ाई लिखाई में काफी रुचि थी. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई तिरुवल्लुर के गौड़ी स्कूल और तिरुपति के मिशन स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने छात्रवृत्ति के माध्यम से क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्ष 1916 में उन्होंने दर्शनशास्त्र में एमए किया और और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर बने. 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया, राधा कृष्णन को 27 बार नोबल पुरस्कार से नवाजा गया और 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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