कन्नौज: जहां देश भर में असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है. वहीं इत्रनगरी कन्नौज एकमात्र ऐसा जिला है. जहां एक अनूठी परंपरा वर्षों से चली आ रही है. यहां पर दशहरा की बजाय शरद पूर्णिमा के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है. मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने रावण को तीर मार कर दशहरा वाले दिन धराशाई किया था. लेकिन रावण ने शरद पूर्णिमा के दिन अपने प्राण त्याग दिए थे. मरने से पहले रावण ने लक्ष्मण को ज्ञान भी दिया था. यही कारण है कि सैकड़ों साल से इत्रनगरी में दशहरा के बजाय शरद पूर्णिमा के दिन रावण का दहन कर यह परंपरा निभाई जा रही है. इस बार भी 19 अक्टूबर यानी शरद पूर्णिमा के दिन रावण दहन किया जाएगा.
दशहरा को धराशाई हुआ था रावण, शरद पूर्णिमा को त्यागे थे प्राण
शुक्रवार को देश भर में बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. कन्नौज जहां इत्र और गट्टा के लिए मशहूर है. वहीं अपने समृद्धशाली इतिहास और अनूठी परंपरा के लिए भी दुनिया भर में जाना जाता है. देशभर में दशहरे को रावण के पुतले का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं. वहीं इत्रनगरी में दशहरा के दिन की बजाय शरद पूर्णिमा को रावण दहन किया जाता है. मान्यता है कि राम-रावण का युद्ध अश्विनी शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शुरू हुआ था. जो करीब 8 दिन चला था.
युद्ध के दौरान राम ने रावण को नाभि में तीर मारकर दशहरा के दिन यानी दशमी को धराशाई किया था. कन्नौज में मान्यता यह है कि दशहरा के दिन राम ने रावण को धराशाई किया था. लेकिन रावण ने शरद पूर्णिमा वाले दिन प्राण त्यागे थे. प्राण त्यागने से पहले रावण ने लक्ष्मण को ज्ञान भी दिया था. यही कारण है कि कई सालों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. यहां पर इस बार भी शरद पूर्णिमा को रावण दहन किया जाएगा.
शहर में दो जगह होता है रावण दहन
इत्रनगरी के ग्वाल मैदान व एसबीएस इंटर कॉलेज ग्राउंड में सालों से रामलीला का मंचन किया जाता है. जानकार बताते हैं कि ग्वाल मैदान में रामलीला की शुरुआत करीब सन 1880 रामलीला वार्षिकोत्सव कमेटी के बैनर तले की गई थी. जबकि एसबीएस इंटर कॉलेज ग्राउंड में श्री पंचमुखी दुग्धेश्वर महादेव आदर्श रामलीला समिति के तत्वाधान में रामलीला का आयोजन किया जाता है. शहर में करीब 140 साल ज्यादा समय से रामलीला का मंचन किया जा रहा है.
ग्वाल मैदान व एसबीएस ग्राउंड में दोनों ही जगह पर शरद पूर्णिमा को रावण दहन किया जाता है. जबकि दोनों की रामलीला की बारात अलग-अलग दिन निकाली जाती है. पहले ग्वाल मैदान की रामलीला की बारात निकाली जाती है. उसके दूसरे दिन एसबीएस इंटर कॉलेज ग्राउंड की रामलीला की बारात निकाली जाती है.
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रावण की मौत के बाद हुई थी अमृत वर्षा
मान्यता है कि रावण की नाभि में अमृत था. भगवान राम ने दशहरा को रावण की नाभि में तीर मार धराशाई किया था. लेकिन रावण ने प्राण शरद पूर्णिमा को त्यागे थे. प्राण त्यागने के दौरान
अमृत वर्षा हुई थी. इसी वजह से आज भी लोग शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में छतों पर रखते हैं. दूसरे दिन खीर को सभी लोग खाते हैं.