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राष्ट्रीय किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने एडीएम को सौंपा ज्ञापन

यूपी के कन्नौज में नए कृषि कानून के विरोध में कलेक्ट्रेट पर धरना देने पहुंचे राष्ट्रीय किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं को प्रशासन ने हटा दिया है. बाद में कार्यकर्ता एडीएम को ज्ञापन सौंप कर वापस आ गए.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा कार्यकर्ताओं ने एडीएम को सौंपा ज्ञापन
राष्ट्रीय किसान मोर्चा कार्यकर्ताओं ने एडीएम को सौंपा ज्ञापन
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Published : Jan 12, 2021, 7:54 PM IST

कन्नौजः नए कृषि कानून के विरोध और दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में कलेक्ट्रेट परिसर में धरना पर बैठे राष्ट्रीय किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं को प्रशासन ने हटा दिया. इस दौरान कार्यकर्ताओं और अधिकारियों में नोंकझोंक भी हुई. प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देते हुए सभी को कलेक्ट्रेट से बाहर कर दिया. प्रशासन के सख्त रवैया को देखते हुए कार्यकर्ता अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने के बाद वापस लौटे.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, मंगलवार को किसान विरोधी कानून रद्द करने की मांग व किसानों के समर्थन में राष्ट्रीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रूपलाल वर्मा की अगुवाई में वीरेंद्र सिंह, मनोज भारत, साधना सिंह, सदानंद भारती, गुड्डी, नीतू सिंह समेत दर्जनों कार्यकर्ता धरना देने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे. कार्यकर्ताओं ने 17 जनवरी तक धरना देने की बात कहते हुए धरने पर बैठ गए. धरना पर बैठने की जानकारी मिलते ही सदर एसडीएम गौरव शुक्ला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. एसडीएम ने धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए धरना खत्म करने की बात कही. इस पर कार्यकर्ताओं व अधिकारियों के बीच जमकर नोंकझोंक हुई. प्रशासन का सख्त रवैया देखकर कार्यकर्ताओं ने धरना खत्म कर दिया.

अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन
धरना समाप्त करने के बाद कार्यकर्ताओं ने अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि सरकार ने पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कानून बनाया है. आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 के माध्यम से सरकार पूंजीपतियों को अनाजों की जमाखोरी करने की खुली छूट दे रही है. इससे भारतीय खाद्य निगम को बंद करने की साजिश है. यदि खाद्य निगम बंद हो गया तो देश भर में कोटे की दुकान बंद हो जाएगी.

कन्नौजः नए कृषि कानून के विरोध और दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में कलेक्ट्रेट परिसर में धरना पर बैठे राष्ट्रीय किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं को प्रशासन ने हटा दिया. इस दौरान कार्यकर्ताओं और अधिकारियों में नोंकझोंक भी हुई. प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देते हुए सभी को कलेक्ट्रेट से बाहर कर दिया. प्रशासन के सख्त रवैया को देखते हुए कार्यकर्ता अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने के बाद वापस लौटे.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, मंगलवार को किसान विरोधी कानून रद्द करने की मांग व किसानों के समर्थन में राष्ट्रीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रूपलाल वर्मा की अगुवाई में वीरेंद्र सिंह, मनोज भारत, साधना सिंह, सदानंद भारती, गुड्डी, नीतू सिंह समेत दर्जनों कार्यकर्ता धरना देने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे. कार्यकर्ताओं ने 17 जनवरी तक धरना देने की बात कहते हुए धरने पर बैठ गए. धरना पर बैठने की जानकारी मिलते ही सदर एसडीएम गौरव शुक्ला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. एसडीएम ने धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए धरना खत्म करने की बात कही. इस पर कार्यकर्ताओं व अधिकारियों के बीच जमकर नोंकझोंक हुई. प्रशासन का सख्त रवैया देखकर कार्यकर्ताओं ने धरना खत्म कर दिया.

अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन
धरना समाप्त करने के बाद कार्यकर्ताओं ने अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि सरकार ने पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कानून बनाया है. आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 के माध्यम से सरकार पूंजीपतियों को अनाजों की जमाखोरी करने की खुली छूट दे रही है. इससे भारतीय खाद्य निगम को बंद करने की साजिश है. यदि खाद्य निगम बंद हो गया तो देश भर में कोटे की दुकान बंद हो जाएगी.

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