कन्नौज: भाजपा के सांसद सुब्रत पाठक ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान जो पान मसाला मुंह में भरकर लोकसभा आते हैं, वह कन्नौज के विकास की बात क्या करेंगे पर पलटवार किया है. सुब्रत पाठक ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कन्नौज को अपनी जागीर समझने वाले अखिलेश यादव चुनाव हारने के बाद मेंटल ट्रामा से जूझ रहे है. तभी उनके ऊपर लगातार गालियों व अशब्दों की बौछार की जा रही है.
सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि 'मैंने अखिलेश यादव ने सवाल किया, लेकिन जबाव नहीं दिया. इसलिए मीडिया के माध्यम से सवाल कर जवाब जानना चाहता हूं. अखिलेश यादव 12 साल और उनकी पत्नी सात साल कन्नौज के सांसद रही हैं. उन्होंने ने कन्नौज के विकास के लिए क्या कार्य किए है. कन्नौज के मुख्य व्यवसाय इत्र उद्योग को बढ़ाने के लिए क्या कार्य किए. मुख्य फसल आलू और मक्का की फसल करने वाले किसानों के लिए क्या किया. स्वास्थ्य सुविधाओं व शैक्षिण संस्थाओं के सुधार, युवाओं, महिलाओं व स्वयं सहायता समूहों के रोजगार, पौराणिक स्थलों के जीर्णोधार के लिए क्या काम किया है. उन्होंने सिर्फ अपनी पार्टी के लोगों द्वारा शिक्षा माफियाओं के शिक्षा संस्थाओं को निधि देने के अलावा कोई काम नहीं किया है.'
अखिलेश यादव की डिग्री पर उठाए सवाल
सांसद ने पूर्व सीएम की डिग्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब 'अखिलेश यादव साल 2000 में कन्नौज से चुनाव लड़ने आए. तब उन्होंने चुनावी हलफनामा में अपनी शैक्षिण योग्यता में खुद को परास्नातक लिखा है. उनकी डिग्री ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी की बताई गई थी. जब 2004 में चुनाव लड़ा तब भी उनकी ब्राडिंग ऑस्ट्रेलिया से शिक्षित युवा के रूप में की गई. जब तीसरी 2009 में अखिलेश ने चुनाव लड़ा तब उनके सामने मैं पहला चुनाव लड़ रहा था. तब उन्होंने अपने हलफनामा में मैसूर से स्नातक बताया था. तब से लेकर अभी तक के सभी चुनाव में वह स्नातक ही बने हुए हैं. उनकी आस्ट्रेलिया वाली डिग्री कहां खोई है, इस पर वह मौन साधे हैं. यह कोई निजी आक्षेप नहीं है. क्योंकि चुनाव आयोग को लगत शपथ पत्र देना आपराधिक कृत्य है. चुनाव आयोग को इस पर स्वत: संज्ञान लेकर अखिलेश से इसका सच पूछना चाहिए.'
दो साल से नहीं मिली सांसद निधि
सुब्रत पाठक ने कहा कि 'कन्नौज का सांसद चुने हुए करीब साढ़े तीन साल हुए है. जिसमें लंबा समय करीब दो साल करोना में गया है. करोना काल में देश व प्रदेश की निश्चित रूप से आर्थिक स्थित गड़बड़ हुई है. यह सभी को मालूम है. मेरी दो साल की सांसद निधि कोरोना की वजह से नहीं मिली. एक बार सांसद निधि मिली तो कोरोना सहायता में केंद्र सरकार ने ले ली थी. एक करोड़ रुपये प्रधानमंत्री फंड में गया था, कुछ रुपये लोकल में खर्च किया गया था.'
सिर्फ शिलान्यास किया नहीं दिया गया फंड
सांसद ने कहा कि 'भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने से पहले कुछ कामों का अखिलेश यादव ने जाते जाते शिलान्यास किया था. लेकिन कोई फंड नहीं दिया था. सपा सरकार में तिर्वा-विधूना रोड, सौरिख-छिबरामऊ रोड पास थी. लेकिन कोई फंड नहीं दिया गया था. मुख्यमंत्री से मिलकर दोनों सड़कों का फंड पास कराकर काम कराया गया. ठठिया में बन रही किसान मंडी भी अधूरी थी. जमीन का अधिग्रहण तक नहीं हुआ था. इसको बनाने के लिए भी फंड नहीं दिया गया था. इसको भी हम लोगों ने मुख्यमंत्री से मिलकर फंड जारी करवाकर काम को पूरा कराया. उन्होंने परफ्यूम पार्क की घोषणा की थी. केवल घोषणा की थी न जमीन का अधिग्रहण हुआ था न फंड दिया गया था. कहा परफ्यूम पार्क का कन्नौज से कोई लेना देना नहीं था. क्योंकि कन्नौज की पहचान इत्र की वजह से है. यहां परफ्यूम नहीं इत्र बनता है. मुख्यमंत्री से मिलकर सबसे पहले परफ्यूम पार्क का नाम बदलवाकर इत्र पार्क करवाया गया. इसके बाद जमीन को अधिग्रहण करवाया. जमीन के बैनामा चालू है जल्द ही जनता को समर्पित हो जाएगा. तालग्राम में बन रही फॉरेसिंक लैब बन रही है उसके लिए भी फंड नहीं दिया गया था. हमारी सरकार ने फंड दिया और काम को पूरा किया. इनके समय में मेडिकल कॉलेज सिर्फ रेफर सेंटर था. हमारी सरकार आने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है.'
मुख्यमंत्री योगी परियोजनाओं का करेगें शिलान्यास
सांसद ने आगे कहा कि 'अगले महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्य कन्नौज के दौरे पर आएंगे. इस दौरान सीएम कई बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास करेगे. साथ ही कई परियोजनाओं की घोषणा भी करेगें. जिसमें प्रमुख रूप से 100 करोड़ रुपए की लागत से संयोगिता मार्ग, स्टेडियम, वन डिस्ट्रिक वन प्रोडेक्ट के तहत पैकेजिंग इंस्टीट्यूट की घोषणा की करेगें. इसके अलावा हम लोगों की आलू आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गुजरात की एक निजी कंपनी से बात चल रही है. सब ठीक रहा तो जल्द ही वह लोग यहां आकर काम करेंगें.'
अखिलेश को सिर्फ अपने कमीशन की रही चिंता
सुब्रत पाठक ने कहा कि 'अखिलेश यादव ने यहां पर केवल राजनीति की है. वह राजनीति न किए होते और अपने कमीशन की चिंता की होती, तो शायद भारत सरकार की ओर से एक हजार करोड़ की लागत से उमर्दा में बनाई गई काऊ मिल्क प्लांट बनवाने से पहले सर्वे किया जाता. उन्होंने काऊ मिल्क प्लांट बनवाने से पहले क्या सर्वे कराया था कि यहां पर गाय कितनी है. गाय का दूध प्लांट तक कैसे आएगा. काऊ मिल्क प्लांट तक किसानों को जाने के लिए रास्ता तक ठीक से नहीं बनाया गया है. उन्होंने अपने लोगों को लाभ देने के लिए अपने लोगों की जमीन अधिग्रहण हो जाए और भारत सरकार द्वारा दिए गए पैसों से कमीशन मिल जाए. इसके अतिरिक्त उनका कोई काम नहीं रहा है. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने अपना व अपने लोगों का विकास करने का काम किया है.पान मसाला खाने का आरोप लगा रहे है. जिस तरह से हम उनके ऊपर भ्रष्टाचार, कमीशन लेने का, गुंडागर्दी का बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे है. इस तरह का आरोप लगाए मेरे ऊपर. इनके मुख्यमंत्री रहते हुए इनके नेताओं ने जमीनों पर कब्जा कर लिया था. सरकार अब उनके कब्जों पर बुलडोजर चला रही है.'
यह भी पढ़ें: अखिलेश का कन्नौज से चुनाव लड़ने वाला बयान हताशापूर्ण, 2024 के बाद बोलेंगे EVM हुई थी हैक, सुब्रत पाठक का निशाना