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कन्नौज: टीबी ग्रसित 59 बच्चों को अधिकारियों और सामाजिक संस्थाओं ने लिया गोद

यूपी के कन्नौज में टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में 59 टीबी रोग से पीड़ित बच्चों को अधिकारियों और सामाजिक संस्थाओं ने गोद लिया.

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जिला क्षय रोग केंद्र, कन्नौज.
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Published : Oct 3, 2020, 7:44 PM IST

कन्नौज: जनपद से टीबी को जड़ से मिटाने के लिए जिले के अधिकारी और सामाजिक संस्थाएं आगे आई हैं. 59 टीबी रोग से पीड़ित बच्चों को गोद लिया गया है. गोद लेने वाले बच्चों को दवाएं, अन्य जरूरी चीजें अधिकारी और संस्थाएं मुहैया कराएंगी. गोद लेने वाले लोग बच्चों के लिए मूंगफली, गुड़, चना, सत्तू और मौसमी फल आदि भी उपलब्ध कराएंगे, ताकि बच्चे 15 दिन तक उसका सेवन कर सकें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त किया जाए इसी क्रम में क्षय रोग विभाग जिले से टीबी को खत्म करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है. टीबी से ग्रसित बच्चों को हर वर्ग और संस्था के लोग अपनाकर देश को टीबी मुक्त करने में सहयोग प्रदान करें, जिससे बीमारी से पीड़ित बच्चों को संतुलित आहार मिल सकेगा और बेहतर देखभाल हो सकेगी.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जेजे राम ने बताया कि विभाग की ओर से चिह्नित 60 बच्चों में से 59 बच्चों को शिव सेवा समाज कल्याण समिति मौसमपुर मौरारा, यूथ एजूकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी कन्नौज, शिव नन्दनी इन्टरप्राइजेज उमर्दा समेत सीडीओ, सीएमओ, एसीएमओ, खंड विकास अधिकारी ने गोद लिया है. गोद लेने वाले अधिकारियों व संगठन अपनी जिम्मेदारी पर बच्चों के घर जाकर मिलेंगे. बच्चों को दवाइयां लेने का क्रम समझाएंगे. इसके अलावा 15 दिनों के लिए मूंगफली, गुड, चना, सत्तू और मौसमी फल आदि उपलब्ध कराएंगे. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मरीज के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं. वह ठीक से सांस नहीं ले पाता. बच्चों में यह बीमारी होने पर स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है. गर्म दवाएं खाने से बच्चों की सेहत बिगड़ जाती है. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से इलाज के दौरान पीड़ित बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्वों वाला खाना नहीं मिल पाता. इस कारण बीमारी ठीक नहीं हो पाती. इसके लिए सामाजिक संस्थाओं, जिला प्रशासन, चिकित्सकों से टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लेने की अपील की गई थी.

650 टीबी के नए मरीज आए सामने

क्षय रोग विभाग के जिला समन्वयक रंजीत सिंह ने बताया कि मार्च 2020 से सितंबर 2020 तक 650 नए टीबी मरीजों की पहचान की गई. जिन्हें निक्षय पोर्टल पर अंकित कर दिया गया है. इलाज के दौरान खान-पान का ध्यान रखते के लिए सरकार की ओर से 500 रुपये प्रतिमाह की प्रोत्साहन राशि उनके खातों के माध्यम से दी जा रही है.

कन्नौज: जनपद से टीबी को जड़ से मिटाने के लिए जिले के अधिकारी और सामाजिक संस्थाएं आगे आई हैं. 59 टीबी रोग से पीड़ित बच्चों को गोद लिया गया है. गोद लेने वाले बच्चों को दवाएं, अन्य जरूरी चीजें अधिकारी और संस्थाएं मुहैया कराएंगी. गोद लेने वाले लोग बच्चों के लिए मूंगफली, गुड़, चना, सत्तू और मौसमी फल आदि भी उपलब्ध कराएंगे, ताकि बच्चे 15 दिन तक उसका सेवन कर सकें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त किया जाए इसी क्रम में क्षय रोग विभाग जिले से टीबी को खत्म करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है. टीबी से ग्रसित बच्चों को हर वर्ग और संस्था के लोग अपनाकर देश को टीबी मुक्त करने में सहयोग प्रदान करें, जिससे बीमारी से पीड़ित बच्चों को संतुलित आहार मिल सकेगा और बेहतर देखभाल हो सकेगी.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जेजे राम ने बताया कि विभाग की ओर से चिह्नित 60 बच्चों में से 59 बच्चों को शिव सेवा समाज कल्याण समिति मौसमपुर मौरारा, यूथ एजूकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी कन्नौज, शिव नन्दनी इन्टरप्राइजेज उमर्दा समेत सीडीओ, सीएमओ, एसीएमओ, खंड विकास अधिकारी ने गोद लिया है. गोद लेने वाले अधिकारियों व संगठन अपनी जिम्मेदारी पर बच्चों के घर जाकर मिलेंगे. बच्चों को दवाइयां लेने का क्रम समझाएंगे. इसके अलावा 15 दिनों के लिए मूंगफली, गुड, चना, सत्तू और मौसमी फल आदि उपलब्ध कराएंगे. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मरीज के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं. वह ठीक से सांस नहीं ले पाता. बच्चों में यह बीमारी होने पर स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है. गर्म दवाएं खाने से बच्चों की सेहत बिगड़ जाती है. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से इलाज के दौरान पीड़ित बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्वों वाला खाना नहीं मिल पाता. इस कारण बीमारी ठीक नहीं हो पाती. इसके लिए सामाजिक संस्थाओं, जिला प्रशासन, चिकित्सकों से टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लेने की अपील की गई थी.

650 टीबी के नए मरीज आए सामने

क्षय रोग विभाग के जिला समन्वयक रंजीत सिंह ने बताया कि मार्च 2020 से सितंबर 2020 तक 650 नए टीबी मरीजों की पहचान की गई. जिन्हें निक्षय पोर्टल पर अंकित कर दिया गया है. इलाज के दौरान खान-पान का ध्यान रखते के लिए सरकार की ओर से 500 रुपये प्रतिमाह की प्रोत्साहन राशि उनके खातों के माध्यम से दी जा रही है.

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