प्रयागराज: विश्वभर में खेले जाने वाले शतरंज का ईजाद कन्नौज में हुआ, इस बात से दुनिया को रुबरु करने को लेकर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार सम्पन्न हुई. इस दौरान विश्व में खेले जाने वाले शतरंज के कन्नौज में ईजाद होने पर मुहर लग गई. 20 साल तक शोध करने वाली जर्मनी की संस्था चैरिटी ट्रस्ट चेस हिस्ट्रोरिकल रिसर्च के संस्थापक और प्रतिनिधियों ने ऐतिहासिक नगरी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कन्नौज को दुनिया को शतरंज देने का तमगा दिया है. इस अवसर पर प्रतिनिधियों ने साक्ष्य प्रस्तुत कर बताया कि ईरान में चतुरंगा शतरंज के रूप में लोकप्रिय हुआ.
जर्मनी की चैरिटी ट्रस्ट चेस हिस्ट्रोरिकल रिसर्च संस्था ने किया शोध
जर्मनी की चैरिटी ट्रस्ट चेस हिस्ट्रोरिकल रिसर्च संस्था के संस्थापक मैनफ्रेड एजे इडर करीब 20 साल से 50 देशों में प्रतिनिधियों की मदद से शतरंज के ईजाद को लेकर शोध कर रहे थे. 2019 में कन्नौज के राजा हर्षवर्धन के इस खेल की शुरुआत करने के साक्ष्य सामने आए थे. दुनिया के सामने शतरंज की सच्चाई लाने के लिए 27 फरवरी को शहर के भारतीय पुरातत्व संग्रहालय में डॉ. फ्रैंक सेवेकैंप (जर्मनी), डॉ. एल्के रोगर्स डाटर (स्वीडन), डॉ. रेनेट मैय्यद (जर्मनी), डॉ. लियंडर ए फेलर (जर्मनी), डॉ. पीटर उल्लरिच (कनाडा) और भारत के सी. पांडुरंगा भट्ट (फारमर कोआर्डिनेटर मैनेजमेंट सेंटर फार ह्यूमन, वैल्यूज इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कोलकाता) ने अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लिया.
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इस सेमिनार में बताया गया कि शतरंज का ईजाद सातवीं सदी में कन्नौज के प्रतापी राजा हर्षवर्धन ने चतुरंगा के रूप में किया था. उन्होंने अपनी युद्धनीति से विदेशी शासकों को पराजित किया था. भारत के बाद यह खेल ईरान में मुगलों से पहुंचा. ईरान में चतुरंगा से इसका नाम शतरंज हुआ. अन्य देशों में इसे चेस के रूप में जाना गया.
कन्नौज में आज भी मौजूद है शतरंज के ईजाद के तथ्य
कन्नौज संग्रहालय में रखे अश्वरोही, गजारोही, पैदल सिपाही और राजा के प्यादे साक्ष्य के तौर पर दिखाए गए. मैनफ्रेड एजे इडर ने 'द कन्नौज' पुस्तक दिखाई. इसमें उन्होंने स्वयं राजा हर्षवर्धन से जुड़ी जानकारी और उनके चतुरंगा का चित्रों के साथ वर्णन किया. उन्होंने बताया कि 1996 में उन्हें कन्नौज में शतरंज के ईजाद के तथ्य मिले थे. इसके बाद उन्होंने शोध शुरू किया था. मौजूद समय करीब 70 देशों में उनकी पुस्तक 'द कन्नौज' प्रचलित हो चुकी है.
2022 में दिल्ली या कन्नौज में होगा सेमिनार का आयोजन
सेमिनार के समापन अवसर पर बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र राजपूत, साहित्यकार डॉ. जीवन शुक्ला, एनसी टंडन ने भाग लिया. एजे इडर से कहा कि कन्नौज की गलियों और खेतों में मिले अश्वरोही, गजारोही, पैदल सिपाही और राजा की मूूर्तियों से शतरंज के कन्नौज में ईजाद की सच्चाई उजागर हुई है. सेमिनार के अंत में एजे इडर भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि कन्नौज प्रतापी राजाओं की भूमि है. यहां के लोगों से उन्हें बेहद स्नेह मिला है. इस शहर से जाने का मन नहीं है. कन्नौज को विश्व में विख्यात करने के लिए उन्हें अभी बहुत कुछ करना है. एजे इडर ने कहा कि वह 2021 में जर्मनी के अपने शहर म्यूनिख में शतरंज के ईजाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार करेंगे. इसके बाद 2022 में दिल्ली या कन्नौज में सेमिनार का आयोजन करेंगे.