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कन्नौज: जिला अस्पताल में इलाज के अभाव में मासूम ने तोड़ा दम - कन्नौज जिला अस्पताल

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में इलाज के अभाव में एक ढाई माह की बच्ची की मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर समय से इलाज करते तो बच्ची की जान बच सकती थी.

newborn girl dies due to lack of treatment in kannauj
कन्नौज जिला अस्पताल में इलाज के अभाव में मासूम ने तोड़ा दम.
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Published : Sep 2, 2020, 5:20 PM IST

कन्नौज: जिला अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों की लापरवाही से एक ढाई माह की बच्ची की मौत हो गई. परिजन इलाज के लिए करीब एक घंटे तक इधर से उधर भटकते रहे. बच्ची दिमागी बुखार से पीड़ित चल रही थी. उसको झटके भी आने लगे थे. इसके बावजूद इलाज करने की बजाय ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने दवा वाले पर्चे पर ही बच्ची को रेफर कर दिया. परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर इलाज करते तो बच्ची की जान बच सकती थी.

इलाज के अभाव में मासूम ने तोड़ा दम.

गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र के गुगरापुर गांव निवासी रामू की ढाई माह की पुत्री मोनिका पिछले कुछ दिनों से दिमागी बुखार से पीड़ित चल रही थी. आराम न मिलने पर परिजन बुधवार को बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. यहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने बच्ची का इलाज करना मुनासिफ नहीं समझा.

newborn girl dies due to lack of treatment in kannauj
इलाज का पर्चा.

डॉक्टर परिजनों को इधर से उधर दौड़ाते रहे. इस दौरान बच्ची की तबीयत और बिगड़ गई. उसको झटके भी आने लगे. ओपीडी में तैनात डॉक्टर ने बच्ची का चेकअप करने के बाद पर्चे पर दवा तो लिख दी, लेकिन भर्ती नहीं किया. साथ ही उसी पर्चे पर कानपुर के लिए रेफर कर दिया. परिजन जैसे ही बच्ची को इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे, बच्ची ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर दौड़ाने की बजाए इलाज करते तो बच्ची की जान बच सकती थी. बाद में परिजन बच्ची का शव लेकर वापस घर लौट गए.

ये भी पढ़ें: कन्नौज जिला अस्पताल से डॉक्टर नदारद, भटक रहे मरीज

सीएमएस डॉ. शक्ति बसु का कहना है कि बच्ची गंभीर हालत में अस्पताल लाई गई थी. इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई. उन्होंने कहा कि पर्चे पर उचित उपचार लिखा गया. परिजनों को इमरजेंसी में इंजेक्शन लगवाने के लिए भेजा गया था, जहां पहुंचने से पहले ही बच्ची की मौत हो गई.

कन्नौज: जिला अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों की लापरवाही से एक ढाई माह की बच्ची की मौत हो गई. परिजन इलाज के लिए करीब एक घंटे तक इधर से उधर भटकते रहे. बच्ची दिमागी बुखार से पीड़ित चल रही थी. उसको झटके भी आने लगे थे. इसके बावजूद इलाज करने की बजाय ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने दवा वाले पर्चे पर ही बच्ची को रेफर कर दिया. परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर इलाज करते तो बच्ची की जान बच सकती थी.

इलाज के अभाव में मासूम ने तोड़ा दम.

गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र के गुगरापुर गांव निवासी रामू की ढाई माह की पुत्री मोनिका पिछले कुछ दिनों से दिमागी बुखार से पीड़ित चल रही थी. आराम न मिलने पर परिजन बुधवार को बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. यहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने बच्ची का इलाज करना मुनासिफ नहीं समझा.

newborn girl dies due to lack of treatment in kannauj
इलाज का पर्चा.

डॉक्टर परिजनों को इधर से उधर दौड़ाते रहे. इस दौरान बच्ची की तबीयत और बिगड़ गई. उसको झटके भी आने लगे. ओपीडी में तैनात डॉक्टर ने बच्ची का चेकअप करने के बाद पर्चे पर दवा तो लिख दी, लेकिन भर्ती नहीं किया. साथ ही उसी पर्चे पर कानपुर के लिए रेफर कर दिया. परिजन जैसे ही बच्ची को इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे, बच्ची ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर दौड़ाने की बजाए इलाज करते तो बच्ची की जान बच सकती थी. बाद में परिजन बच्ची का शव लेकर वापस घर लौट गए.

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सीएमएस डॉ. शक्ति बसु का कहना है कि बच्ची गंभीर हालत में अस्पताल लाई गई थी. इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई. उन्होंने कहा कि पर्चे पर उचित उपचार लिखा गया. परिजनों को इमरजेंसी में इंजेक्शन लगवाने के लिए भेजा गया था, जहां पहुंचने से पहले ही बच्ची की मौत हो गई.

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