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काले गेंहू और चावल की खेती कर किसान ने पेश की नजीर, आय हुई 10 गुनी

अगर किसी काम को मेहनत और लगन के साथ किया जाए तो उसमें कामयाबी जरूर मिलती है. इस कहावत को कन्नौज जिले के बहादुरपुर मुरैया गांव के रहने वाले एक किसान ने सच कर दिखाया है. किसान ने अपनी मेहनत व लगन से काले गेंहू व काले चावल की खेती कर न सिर्फ अपनी आय दो गुनी की है, बल्कि अन्य किसानों के लिए एक नजीर भी पेश की है.

किसान ने पेश की नजीर
किसान ने पेश की नजीर
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Published : Aug 1, 2021, 12:17 PM IST

कन्नौज: जिले के बहादुरपुर मुरैया गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान हरिनाथ सिंह जिले के पहले ऐसे किसान बन गए है जिन्होंने काले गेंहू व काले चावल की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. हरिनाथ बताते है कि चंदौली में काले चावल व गेंहू की खेती की जाती है. जिसकी यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) ने भी तारीफ की थी. चंदौली में काले चावल व गेंहू की खेती होती देख कन्नौज में भी इसकी खेती करने का विचार आया. जिसके बाद वहां कुछ जानने वाले किसानों से संपर्क कर खेती करने के बारे में जानकारी ली. साथ ही उनसे बीज भी लिया. बताते है कि पहले उन्होंने गांव में छोटे स्तर पर गेंहू और चावल की खेती की. जिसमें फसल अच्छी होने से साथ साथ आमदनी भी बढ़ी. जिसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे खेती का दायरा बढ़ाया.

किसान ने पेश की नजीर

किसान हरिनाथ सिंह ने बताया कि पहले छोटे स्तर पर खेती की शुरूआत की. खेती में फायदा होने पर किसान अब 10-12 एकड़ में काला गेंहू और चावल की खेती कर रहे है. जिससे उनकी आय भी 10 गुनी हुई है. जिले के अन्य किसान भी काले गेंहू और चावल की खेती करने के गुर सीख रहे हैं. बाजार में जहां काले चावल का मूल्य 300 रुपए प्रति किलो है, तो वहीं गेंहू 70-80 रुपए किलो तक बिक रहा है. खेती करने वाले किसान की मेहनत को देखकर कृषि विभाग के उपनिदेशक भी जमकर तारीफ कर रहे है.




काला चावल का 300 रुपए किलो


उपनिदेशक कृषि आरएन सिंह बताते हैं कि बाजार में काले चावल की कीमत करीब 300 रुपए प्रति है. वहीं काले गेंहू की कीमत 70-80 रुपए प्रति किलो है. जबकि सामान्य चावल की कीमत अधिकतम 50 से 100 रुपए किलो में बिकता है. सामान्य गेंहू की कीमत 20 रुपए किलो है. प्रगतिशील किसान हरिनाथ ने जिले में काले चावल व गेंहू की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है. अब अन्य किसान भी खेती की ओर आकर्षित हो रहे है. बताते हैं कि जहां पहले सामन्य खेती करने पर 10 एकड़ में 20-30 हजार तक का ही मुनाफा होता था. वहीं काला चावल व गेंहू की खेती करने पर सालाना 1.50 लाख तक का मुनाफा हो रहा है.

नहीं होता कीटनाशक का इस्तेमाल
काले चावल की खेती करने वाले किसान हरिनाथ सिंह बताते है कि ब्लैक राइस की खेती करने पर कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसमें सिर्फ जैविक खाद व कम्पोस्ट आदि का ही इस्तेमाल होता है. कम लागत में अधिक पैदावार होती है. बाजार में भी अन्य चावल के मुकाबले काले चावल की कीमत कई गुना ज्यादा है. साथ ही 90 से 110 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाती है.

शुगर फ्री होता है ब्लैक राइस
कृषि उपनिदेशक आरएन सिंह बताते है कि सामान्य चावल की तुलना में ब्लैक राइस में जिंक, आयरन, फाइबर, प्रोटीन अधिक मात्रा में पाई जाती है. ब्लैक राइस शुगर फ्री होता है. ब्लैक राइस शुगर व ह्दय रोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है.

काले गेहूं की खासियत
काले गेंहू में पाया जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक है. जो हार्टअटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है. काले गेहूं का स्वाद सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होता है. लेकिन यह बेहद पौष्टिक होता है. यह गेंहू जल्दी पचता है. उपनिदेशक कृषि आरएन सिंह ने बताया कि काले गेंहू व काले चावल की खेती को अपनाकर किसान अपनी आए को बढ़ा सकते हैं. सेहत के लिए भी यह फायदेमंद है. इसकी खेती करने वाले किसानों को विभाग की ओर से मदद की जा रही है. इसकी खेती में अच्छे परिणाम सामने आ रहे है. इसको बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान काले गेंहू व राइस की खेती को अपना कर व्यवसायिक लाभ से सकें.

कन्नौज: जिले के बहादुरपुर मुरैया गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान हरिनाथ सिंह जिले के पहले ऐसे किसान बन गए है जिन्होंने काले गेंहू व काले चावल की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. हरिनाथ बताते है कि चंदौली में काले चावल व गेंहू की खेती की जाती है. जिसकी यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) ने भी तारीफ की थी. चंदौली में काले चावल व गेंहू की खेती होती देख कन्नौज में भी इसकी खेती करने का विचार आया. जिसके बाद वहां कुछ जानने वाले किसानों से संपर्क कर खेती करने के बारे में जानकारी ली. साथ ही उनसे बीज भी लिया. बताते है कि पहले उन्होंने गांव में छोटे स्तर पर गेंहू और चावल की खेती की. जिसमें फसल अच्छी होने से साथ साथ आमदनी भी बढ़ी. जिसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे खेती का दायरा बढ़ाया.

किसान ने पेश की नजीर

किसान हरिनाथ सिंह ने बताया कि पहले छोटे स्तर पर खेती की शुरूआत की. खेती में फायदा होने पर किसान अब 10-12 एकड़ में काला गेंहू और चावल की खेती कर रहे है. जिससे उनकी आय भी 10 गुनी हुई है. जिले के अन्य किसान भी काले गेंहू और चावल की खेती करने के गुर सीख रहे हैं. बाजार में जहां काले चावल का मूल्य 300 रुपए प्रति किलो है, तो वहीं गेंहू 70-80 रुपए किलो तक बिक रहा है. खेती करने वाले किसान की मेहनत को देखकर कृषि विभाग के उपनिदेशक भी जमकर तारीफ कर रहे है.




काला चावल का 300 रुपए किलो


उपनिदेशक कृषि आरएन सिंह बताते हैं कि बाजार में काले चावल की कीमत करीब 300 रुपए प्रति है. वहीं काले गेंहू की कीमत 70-80 रुपए प्रति किलो है. जबकि सामान्य चावल की कीमत अधिकतम 50 से 100 रुपए किलो में बिकता है. सामान्य गेंहू की कीमत 20 रुपए किलो है. प्रगतिशील किसान हरिनाथ ने जिले में काले चावल व गेंहू की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है. अब अन्य किसान भी खेती की ओर आकर्षित हो रहे है. बताते हैं कि जहां पहले सामन्य खेती करने पर 10 एकड़ में 20-30 हजार तक का ही मुनाफा होता था. वहीं काला चावल व गेंहू की खेती करने पर सालाना 1.50 लाख तक का मुनाफा हो रहा है.

नहीं होता कीटनाशक का इस्तेमाल
काले चावल की खेती करने वाले किसान हरिनाथ सिंह बताते है कि ब्लैक राइस की खेती करने पर कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसमें सिर्फ जैविक खाद व कम्पोस्ट आदि का ही इस्तेमाल होता है. कम लागत में अधिक पैदावार होती है. बाजार में भी अन्य चावल के मुकाबले काले चावल की कीमत कई गुना ज्यादा है. साथ ही 90 से 110 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाती है.

शुगर फ्री होता है ब्लैक राइस
कृषि उपनिदेशक आरएन सिंह बताते है कि सामान्य चावल की तुलना में ब्लैक राइस में जिंक, आयरन, फाइबर, प्रोटीन अधिक मात्रा में पाई जाती है. ब्लैक राइस शुगर फ्री होता है. ब्लैक राइस शुगर व ह्दय रोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है.

काले गेहूं की खासियत
काले गेंहू में पाया जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक है. जो हार्टअटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है. काले गेहूं का स्वाद सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होता है. लेकिन यह बेहद पौष्टिक होता है. यह गेंहू जल्दी पचता है. उपनिदेशक कृषि आरएन सिंह ने बताया कि काले गेंहू व काले चावल की खेती को अपनाकर किसान अपनी आए को बढ़ा सकते हैं. सेहत के लिए भी यह फायदेमंद है. इसकी खेती करने वाले किसानों को विभाग की ओर से मदद की जा रही है. इसकी खेती में अच्छे परिणाम सामने आ रहे है. इसको बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान काले गेंहू व राइस की खेती को अपना कर व्यवसायिक लाभ से सकें.

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