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मक्के की फसल पर फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप, किसान परेशान

यूपी के कन्नौज जिले में मक्के की फसल का उत्पादन अन्य जिलों के मुकाबले ज्यादा होता है, लेकिन इस वर्ष खेतों पर खड़ी मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. कीट मक्के की फसल को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. लिहाजा इससे बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सुझाव दिए हैं.

मक्के की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीट का हमला.
मक्के की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीट का हमला.
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Published : Apr 23, 2020, 2:56 PM IST

कन्नौज: रबी फसल मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए यह साल मुसीबत भरा हो सकता है. लगातार मौसम में तब्दीली और छुटपुट बूंदाबांदी से खेतों पर तैयार हो रही फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप शुरू हो गया है. प्रदेश के कन्नौज एवं फर्रुखाबाद जिले में मक्के की खेती बहुतायत की जाती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि फॉल आर्मी वर्म का अगर समय से इलाज नहीं किया गया तो 25-40 फीसदी तक फसल को नुकसान हो सकता है.

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मक्के की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीट का हमला.

फॉल आर्मी वर्म मक्के की फसल के लिए बना खतरा
फॉल आर्मी वर्म कीट के लिए मक्का पसंदीदा फसल है. इसके पतंगे हवा के बहाव के साथ एक रात में 100 किलोमीटर तक प्रवास कर जाते हैं. कीट की प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण पूरी फसल कुछ समय में ही नष्ट हो जाती है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अंडे से निकली इल्ली मक्का की फसल पर पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर खाती हैं, जिससे पत्ते के ऊपर सफेद रंग के धब्बे बन जाते हैं. इसके साथ ही बड़ी इल्लियां पौधे के तने के अंदर छुप जाती हैं, जिससे कुछ ही समय में फसल नष्ट हो जाती है.

इन फसलों को भी होता है नुकसान
कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. जगदीश किशोर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. वी. के. कनौजिया और कृषि मौसम वैज्ञानिक अमरेन्द्र यादव ने किसानों को बताया कि ये कीट मक्का के अलाव ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं सहित गन्ने की फसल को भी विशेष हानि पहुंचाते हैं. लेकिन इस कीट का सबसे पसंदीदा भोजन मक्का फसल ही होता है.

फॉल आर्मी वर्म कीट की ये खासियत
ये कीट मुख्य रूप से चांदनी रात में अंडे देती है. मादा कीट ज्यादातर पत्तियों के निचले सतह पर समूह में अंडे देती है. इसके अंडों का रंग क्रीमी और भूरा होता है. मादा कीट अपने जीवन कल में 1,000 से अधिक अंडे देती है. इसका लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है. इसके शरीर पर अलग से ट्यूव बेलनाकार दिखाई देता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि फेरोमेन ट्रैप आकलन के लिए एक एकड़ में 5-10 ट्रैप तथा कन्ट्रोल के लिए 15 -20 ट्रैप लगाने चाहिए. इसके कैप्सूल को 15- 20 दिन के अंतराल में बदल देना चाहिए. वैज्ञानिकों ने सुझाया खेत में टी (T ) आकर की 6 से 7 फीट लंबी लकड़ी को किसान लगा दें, जिस पर कीट खाने वाली चिड़ियां बैठ सकें और कीट खा सकें.

इन दवाओं का छिड़काव कर फसल को बचा सकते हैं किसान
किसान फसल को कीटों से बचाने के लिए पांच मिली नीम आयल प्रति लीटर पानी का घोल बना लें और उसे 500 लीटर पानी के साथ ढाई एकड़ फसल में छिडकाव करें. साथ ही ट्राइजोफॉस या मोनोक्रोटोफास ( रसायन ) दो मिली दवा प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिडकाव करें. साथ ही इन्डोक्साकॉर्ब को एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव कर फसल को फॉल आर्मी वर्म कीट से बचाया जा सकता है.

कन्नौज: रबी फसल मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए यह साल मुसीबत भरा हो सकता है. लगातार मौसम में तब्दीली और छुटपुट बूंदाबांदी से खेतों पर तैयार हो रही फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप शुरू हो गया है. प्रदेश के कन्नौज एवं फर्रुखाबाद जिले में मक्के की खेती बहुतायत की जाती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि फॉल आर्मी वर्म का अगर समय से इलाज नहीं किया गया तो 25-40 फीसदी तक फसल को नुकसान हो सकता है.

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मक्के की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीट का हमला.

फॉल आर्मी वर्म मक्के की फसल के लिए बना खतरा
फॉल आर्मी वर्म कीट के लिए मक्का पसंदीदा फसल है. इसके पतंगे हवा के बहाव के साथ एक रात में 100 किलोमीटर तक प्रवास कर जाते हैं. कीट की प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण पूरी फसल कुछ समय में ही नष्ट हो जाती है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अंडे से निकली इल्ली मक्का की फसल पर पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर खाती हैं, जिससे पत्ते के ऊपर सफेद रंग के धब्बे बन जाते हैं. इसके साथ ही बड़ी इल्लियां पौधे के तने के अंदर छुप जाती हैं, जिससे कुछ ही समय में फसल नष्ट हो जाती है.

इन फसलों को भी होता है नुकसान
कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. जगदीश किशोर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. वी. के. कनौजिया और कृषि मौसम वैज्ञानिक अमरेन्द्र यादव ने किसानों को बताया कि ये कीट मक्का के अलाव ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं सहित गन्ने की फसल को भी विशेष हानि पहुंचाते हैं. लेकिन इस कीट का सबसे पसंदीदा भोजन मक्का फसल ही होता है.

फॉल आर्मी वर्म कीट की ये खासियत
ये कीट मुख्य रूप से चांदनी रात में अंडे देती है. मादा कीट ज्यादातर पत्तियों के निचले सतह पर समूह में अंडे देती है. इसके अंडों का रंग क्रीमी और भूरा होता है. मादा कीट अपने जीवन कल में 1,000 से अधिक अंडे देती है. इसका लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है. इसके शरीर पर अलग से ट्यूव बेलनाकार दिखाई देता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि फेरोमेन ट्रैप आकलन के लिए एक एकड़ में 5-10 ट्रैप तथा कन्ट्रोल के लिए 15 -20 ट्रैप लगाने चाहिए. इसके कैप्सूल को 15- 20 दिन के अंतराल में बदल देना चाहिए. वैज्ञानिकों ने सुझाया खेत में टी (T ) आकर की 6 से 7 फीट लंबी लकड़ी को किसान लगा दें, जिस पर कीट खाने वाली चिड़ियां बैठ सकें और कीट खा सकें.

इन दवाओं का छिड़काव कर फसल को बचा सकते हैं किसान
किसान फसल को कीटों से बचाने के लिए पांच मिली नीम आयल प्रति लीटर पानी का घोल बना लें और उसे 500 लीटर पानी के साथ ढाई एकड़ फसल में छिडकाव करें. साथ ही ट्राइजोफॉस या मोनोक्रोटोफास ( रसायन ) दो मिली दवा प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिडकाव करें. साथ ही इन्डोक्साकॉर्ब को एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव कर फसल को फॉल आर्मी वर्म कीट से बचाया जा सकता है.

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