ETV Bharat / state

कभी घर बैठे मिलता था काम, अब दो वक्त की रोटी के लिए कर रहे जद्दोजहद

कोरोना महामारी के चलते अधिकतर लोगों के व्यापार ठप हो गए है. लाखों लोग बेरोजगार हो गए है. ऐसे में इत्र की नगरी कन्नौज के तालग्राम कस्बे में कढ़ाई का काम करने वाले कारीगर भी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. लॉकडाउन के चलते बंद हुए जरदोजी के कारखानों के कारण कारीगर दो वक्त की रोटी जुटाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.

zardosi work materials  zardosi workers  kannauj zardosi workers  zardosi work design  kannauj zardosi  kannauj news  kannauj latest news  corona effect  corona lockdown  कन्नौज खबर  कन्नौज में जरदोजी का काम  जरदोजी के कारीगर  कन्नौज जरदोजी कारखाना  दो जून की रोटी  कढ़ाई  कोरोना वायरस  कोरोना प्रभाव  जरदोजी के कारखानें
रोजी-रोटी पर संकट.
author img

By

Published : Jun 15, 2021, 8:09 PM IST

कन्नौजः कोरोना महामारी के चलते अधिकतर लोगों के व्यापार ठप हो गए हैं. लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना वायरस के कारण जरदोजी का कारोबार करीब 80 फीसदी तक ठप पड़ा हुआ है. इत्रनगरी के तालग्राम कस्बा में लहंगा, चुन्नी, दुपट्टा, साड़ी में कढ़ाई कर कलाकारी का हुनर दिखाने वाले कारीगरों पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

कारीगर बताते हैं कि कोराना से पहले घर बैठे काम मिलता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से माल की सप्लाई दूसरे राज्यों में न होने की वजह से काम मिलना बंद हो गया है. जिससे कारीगर आर्थिक तंगी से गुजर रहे है. वहीं कुछ कारीगरों ने परिवार का पेट पालने के लिए कढ़ाई का काम छोड़कर मजदूरी और अन्य काम करने लगे हैं. मौजूदा समय में कढ़ाई का पूरी तरह से ठप पड़ा है. एक्का दुक्का ही यूनिटों में काम हो रहा है. पिछले साल से जरदोजी का कारोबार ठप पड़ा है.

जरदोजी कारीगर.

80 फीसदी बंद हुए कारखाना

तालग्राम कस्बा में लंहगा, चुन्नी, साड़ी, दुपट्टा पर बारीक कढ़ाई कर चार चांद लगाने वाले करीब 20 से 25 कारखानें हैं. इसके अलावा आसपास के गावों में भी जरदोजी काम होता है. एक कारखानें में 15 से ज्यादा कारीगर कढ़ाई का काम करते हैं. जिसमें कारीगर टिकी-कोरा, जरकन-नग, गोटा-दबका लगाकर फर्रुखाबादी और जयपुरिया लहंगों की कढ़ाई कर चार चांद लगाते हैं. यहां पर कपड़ों पर कढ़ाई का काम होने के बाद राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों में निर्यात किया जाता है, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद माल की मांग कम होने की वजह से करीब 80 फीसदी कारखाना बंद हो गए है. आठ से 10 कारीगरों वाले कारखानें पूरी तरह से बंद पड़े है. जो कारखानें चल भी रहे हैं. उसमें भी काम न के बराबर ही हो रहा रहा है. ठेकेदार दो या तीन कारीगरों से ही काम करवा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- मुरादाबाद: लॉकडाउन ने छीना दिव्यांग दम्पति का रोजगार, सरकार से लगाई मदद की गुहार

आर्थिक तंगी से जूझ रहे कारीगर

कोरोना की वजह ठप हुए जरदोजी के कारोबार की वजह से हुनरमंद कारीगर भी बेरोजगार हो गए हैं. इससे कारीगर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. आलम ये है कि कारीगरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कढ़ाई का काम करने वाले कारीगर बताते हैं कि काम न मिलने की वजह से कई कारीगरों ने कढ़ाई का काम छोड़ दिया है. अब वह लोग मजदूरी कर रहे हैं या फिर ठेला लगाकर परिवार का पेट पाल रहे हैं.

zardosi work materials  zardosi workers  kannauj zardosi workers  zardosi work design  kannauj zardosi  kannauj news  kannauj latest news  corona effect  corona lockdown  कन्नौज खबर  कन्नौज में जरदोजी का काम  जरदोजी के कारीगर  कन्नौज जरदोजी कारखाना  दो जून की रोटी  कढ़ाई  कोरोना वायरस  कोरोना प्रभाव  जरदोजी के कारखानें
जरदोजी का काम करते कारीगर.

बंद करना पड़ा कारखाना

जरदोजी का कारखाना चलाने वाले तनवीर वारसी बताते हैं कि कोरोना से पहले उनका कारखाना चलता था. जिसमें दो तरह का काम होता था. एक जोधपुर और दिल्ली का काम होता था. दिल्ली का काम 15 से 25 हजार रुपये तक का होता था. जबकि जोधपुर का हल्का काम होता था. 25 सौ पांच हजार तक का काम होता था. कारखाना के अलावा घरों में भी लोगों को काम देते थे. एक कारीगर 300 से 400 रुपये प्रतिदिन कमा लेते थे. काम न होने की वजह से कारीगर काम छोड़ चुके हैं. बताया कि लॉकडाउन से पहले काम चल रहा था. माल दिल्ली जा रहा था. लॉकडाउन की वजह से दिल्ली बंद होने पर यहां पर काम पूरी तरह से बंद हो गया. जिसके चलते कारखाना बंद करना पड़ा. कारखाना में करीब 25 कारीगर काम करते थे. काम न होने की वजह से वह भी बेरोजगार हो गए है.

दाल रोटी मिलना भी हुआ मुश्किल

कढ़ाई का काम करने वाले नाजिम बताते है कि घर पर ही कढ़ाई का काम करते हैं. लॉकडाउन से पहले काम अच्छा मिलता था. रोजाना 300 रुपये तक प्रतिदिन कमा लेते थे, लेकिन अब काम नहीं मिल रहा है. बताया कि तीन माह बाद अब काम मिला है. वो भी 100 से 125 रुपये पीस के हिसाब से काम मिल रहा है. पूरे दिन दो लोग मिलकर काम करते हैं. तब जाकर एक पीस तैयार हो पाता है. घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया है.

zardosi work materials  zardosi workers  kannauj zardosi workers  zardosi work design  kannauj zardosi  kannauj news  kannauj latest news  corona effect  corona lockdown  कन्नौज खबर  कन्नौज में जरदोजी का काम  जरदोजी के कारीगर  कन्नौज जरदोजी कारखाना  दो जून की रोटी  कढ़ाई  कोरोना वायरस  कोरोना प्रभाव  जरदोजी के कारखानें
जरदोजी का काम करते कारीगर.

इसे भी पढ़ें- मंहगाई की मार से हथकरघा उद्योग बेहाल, रोजी के संकट से जूझ रहे बुनकर

एक पीस पर 8 हजार रुपये तक का कर देते थे काम

ठेकेदार मुश्ताक ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उनके पास करीब 15 से 20 कारीगर काम करते थे. लेकिन काम न मिलने पर अब दो ही कारीगर काम कर रहे हैं. बताया कि एक पीस पर करीब 8 हजार रुपये तक कढ़ाई का काम कर देते थे. लेकिन कोरोना की वजह से काम मिलना ही बंद हो गया है.

कन्नौजः कोरोना महामारी के चलते अधिकतर लोगों के व्यापार ठप हो गए हैं. लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना वायरस के कारण जरदोजी का कारोबार करीब 80 फीसदी तक ठप पड़ा हुआ है. इत्रनगरी के तालग्राम कस्बा में लहंगा, चुन्नी, दुपट्टा, साड़ी में कढ़ाई कर कलाकारी का हुनर दिखाने वाले कारीगरों पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

कारीगर बताते हैं कि कोराना से पहले घर बैठे काम मिलता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से माल की सप्लाई दूसरे राज्यों में न होने की वजह से काम मिलना बंद हो गया है. जिससे कारीगर आर्थिक तंगी से गुजर रहे है. वहीं कुछ कारीगरों ने परिवार का पेट पालने के लिए कढ़ाई का काम छोड़कर मजदूरी और अन्य काम करने लगे हैं. मौजूदा समय में कढ़ाई का पूरी तरह से ठप पड़ा है. एक्का दुक्का ही यूनिटों में काम हो रहा है. पिछले साल से जरदोजी का कारोबार ठप पड़ा है.

जरदोजी कारीगर.

80 फीसदी बंद हुए कारखाना

तालग्राम कस्बा में लंहगा, चुन्नी, साड़ी, दुपट्टा पर बारीक कढ़ाई कर चार चांद लगाने वाले करीब 20 से 25 कारखानें हैं. इसके अलावा आसपास के गावों में भी जरदोजी काम होता है. एक कारखानें में 15 से ज्यादा कारीगर कढ़ाई का काम करते हैं. जिसमें कारीगर टिकी-कोरा, जरकन-नग, गोटा-दबका लगाकर फर्रुखाबादी और जयपुरिया लहंगों की कढ़ाई कर चार चांद लगाते हैं. यहां पर कपड़ों पर कढ़ाई का काम होने के बाद राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों में निर्यात किया जाता है, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद माल की मांग कम होने की वजह से करीब 80 फीसदी कारखाना बंद हो गए है. आठ से 10 कारीगरों वाले कारखानें पूरी तरह से बंद पड़े है. जो कारखानें चल भी रहे हैं. उसमें भी काम न के बराबर ही हो रहा रहा है. ठेकेदार दो या तीन कारीगरों से ही काम करवा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- मुरादाबाद: लॉकडाउन ने छीना दिव्यांग दम्पति का रोजगार, सरकार से लगाई मदद की गुहार

आर्थिक तंगी से जूझ रहे कारीगर

कोरोना की वजह ठप हुए जरदोजी के कारोबार की वजह से हुनरमंद कारीगर भी बेरोजगार हो गए हैं. इससे कारीगर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. आलम ये है कि कारीगरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कढ़ाई का काम करने वाले कारीगर बताते हैं कि काम न मिलने की वजह से कई कारीगरों ने कढ़ाई का काम छोड़ दिया है. अब वह लोग मजदूरी कर रहे हैं या फिर ठेला लगाकर परिवार का पेट पाल रहे हैं.

zardosi work materials  zardosi workers  kannauj zardosi workers  zardosi work design  kannauj zardosi  kannauj news  kannauj latest news  corona effect  corona lockdown  कन्नौज खबर  कन्नौज में जरदोजी का काम  जरदोजी के कारीगर  कन्नौज जरदोजी कारखाना  दो जून की रोटी  कढ़ाई  कोरोना वायरस  कोरोना प्रभाव  जरदोजी के कारखानें
जरदोजी का काम करते कारीगर.

बंद करना पड़ा कारखाना

जरदोजी का कारखाना चलाने वाले तनवीर वारसी बताते हैं कि कोरोना से पहले उनका कारखाना चलता था. जिसमें दो तरह का काम होता था. एक जोधपुर और दिल्ली का काम होता था. दिल्ली का काम 15 से 25 हजार रुपये तक का होता था. जबकि जोधपुर का हल्का काम होता था. 25 सौ पांच हजार तक का काम होता था. कारखाना के अलावा घरों में भी लोगों को काम देते थे. एक कारीगर 300 से 400 रुपये प्रतिदिन कमा लेते थे. काम न होने की वजह से कारीगर काम छोड़ चुके हैं. बताया कि लॉकडाउन से पहले काम चल रहा था. माल दिल्ली जा रहा था. लॉकडाउन की वजह से दिल्ली बंद होने पर यहां पर काम पूरी तरह से बंद हो गया. जिसके चलते कारखाना बंद करना पड़ा. कारखाना में करीब 25 कारीगर काम करते थे. काम न होने की वजह से वह भी बेरोजगार हो गए है.

दाल रोटी मिलना भी हुआ मुश्किल

कढ़ाई का काम करने वाले नाजिम बताते है कि घर पर ही कढ़ाई का काम करते हैं. लॉकडाउन से पहले काम अच्छा मिलता था. रोजाना 300 रुपये तक प्रतिदिन कमा लेते थे, लेकिन अब काम नहीं मिल रहा है. बताया कि तीन माह बाद अब काम मिला है. वो भी 100 से 125 रुपये पीस के हिसाब से काम मिल रहा है. पूरे दिन दो लोग मिलकर काम करते हैं. तब जाकर एक पीस तैयार हो पाता है. घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया है.

zardosi work materials  zardosi workers  kannauj zardosi workers  zardosi work design  kannauj zardosi  kannauj news  kannauj latest news  corona effect  corona lockdown  कन्नौज खबर  कन्नौज में जरदोजी का काम  जरदोजी के कारीगर  कन्नौज जरदोजी कारखाना  दो जून की रोटी  कढ़ाई  कोरोना वायरस  कोरोना प्रभाव  जरदोजी के कारखानें
जरदोजी का काम करते कारीगर.

इसे भी पढ़ें- मंहगाई की मार से हथकरघा उद्योग बेहाल, रोजी के संकट से जूझ रहे बुनकर

एक पीस पर 8 हजार रुपये तक का कर देते थे काम

ठेकेदार मुश्ताक ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उनके पास करीब 15 से 20 कारीगर काम करते थे. लेकिन काम न मिलने पर अब दो ही कारीगर काम कर रहे हैं. बताया कि एक पीस पर करीब 8 हजार रुपये तक कढ़ाई का काम कर देते थे. लेकिन कोरोना की वजह से काम मिलना ही बंद हो गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.