कन्नौज: महाशिवरात्रि पर इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज के प्रतापी राजा जयचंद्र की स्मृति में भव्य समारोह का आयोजन किया गया. कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के तत्वाधान में समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में चंदबरदाई के ग्रंथ पृथ्वीराज रासो में कलंकित कथा को मिटाने का प्रयास किया गया है. इस दौरान कवि व इतिहासकारों ने कन्नौज के इतिहास पर अपने विचार प्रकट किए. कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के सदस्यों ने कहा कि अगर राजा जयचंद को कोई गद्दार साबित कर दे तो समिति की तरफ से 5 लाख का नगद इनाम दिया जाएगा. इस दौरान आल्हा गायकों ने श्रोताओं में जोश भर दिया.
ये है मामला
गुरूवार को इत्रनगरी के जेरकिला मोहल्ला में कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के तत्वाधान में महाशिवरात्रि पर्व पर राजा जयचंद स्मृति समारोह का धूमधाम से आयोजन किया गया. समिति लगातार कई वर्षों से महा शिवरात्रि पर्व पर समारोह का आयोजन करती आ रही है. समारोह के दौरान सबसे पहले समिति के पदाधिकारियों ने राजा जयचंद्र के किले पर लगी उनकी प्रतिमा को माला पहनाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. कार्यक्रम के दौरान आल्हा सम्राट संग्राम सिंह ने आल्हा का गायन कर श्रोताओं में जोश भरा. राष्ट्र कवि डॉ. नरेश कात्यान ने कन्नौज के इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कन्नौज का इतिहास गौरवमय रहा है. सबसे दानवीर सम्राट हर्षवर्धन की धरती पर कोई गद्दार पैदा नहीं हो सकता है. बल्कि कुछ चाटुकार इतिहासकारों ने वीर राजा जयचंद्र के चरित्र की छवि दागदार बनाने का काम किया है. कहा कि राजा जयचंद्र बहुत वीर व सहासी सम्राट थे. उन्होंने अपनी जन्म भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति हंसते हंसते दे दी. इस मौके पर डॉ. अमरनाथ दुबे, कवि मदन तिवारी, कवि सुशील राकेश फिल्म प्रोड्यूसर स्वामी, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुन्ना दारोगा, संयोजक नवाब सिंह, नीलू यादव सहित अन्य लोग मौजूद रहे.
जयचंद्र को गद्दार साबित करने पर समिति देगी 5 लाख का इनाम
कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संयोजक व पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव ने बताया कि पिछले 16 साल पहले शिवरात्रि के दिन किले के पास राजा जयचंद्र की प्रतिमा स्थापित की गई थी. तब से समारोह मनाया जा रहा है. जिसमें राजा जयचंद्र के गुणों का बखान किया जाता है. कहा कि राजा जयचंद्र को गद्दार साबित करने पर समिति की ओर से 5 लाख रुपये का ईनाम दिया जाएगा.
कौन थे राजा जयचंद्र ?
राजा जयचंद गहरवार (राठौड़) राजवंश के थे. इतिहासकार बताते है कि जयचंद्र का राज्याभिषेक 1226 आषाढ़ शुक्ल को हुआ था. वह बहुत ही पराक्रमी राजा थे. उनकी विशाल सैन्य वाहिनी सदैव विचरण करती रहती थी. इसलिए उन्हें 'दल-पंगुल' भी कहा जाता है. इसका गुणगान पृथ्वीराज रासो में भी हुआ है. बताया कि जयचंद्र ने सिधु नदी पर मुसलमानों से घोर संग्राम किया. जिससे रक्त के प्रवाह से नदी का जल लाल हो गया था. जयचंद्र जब तक राजा रहे यवन प्रवेश नहीं कर सके थे.
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