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सांसद सुब्रत पाठक सहित 14 लोग गैंगेस्टर से बरी, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला

जज ने फैसला सुनाते हुए सांसद समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने तत्कालीन सरकार और जिलाधिकारी को भी मनमाने तरीके से प्रशासनिक शक्तियों का दुरूपयोग करने का दोषी माना है.

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सांसद सुब्रत पाठक सहित 14 लोग गैंगेस्टर से बरी, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला
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Published : Mar 3, 2022, 5:21 PM IST

कन्नौज. सपा सरकार में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत 14 नेताओं पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई थी. न्यायालय में मामला विचाराधीन चल रहा था. तकरीबन छह साल पुराने मामले में गुरूवार को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज मुकेश कुमार सिंह फैसला सुनाया है.

जज ने फैसला सुनाते हुए सांसद समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने तत्कालीन सरकार और जिलाधिकारी को भी मनमाने तरीके से प्रशासनिक शक्तियों का दुरूपयोग करने का दोषी माना है. कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, सपा सरकार में साल 2017 में शहर में साप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें पठकाना मोहल्ला निवासी भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत देविन टोला मोहल्ला निवासी सौरभ कटियार, हरदेव गंज मोहल्ला निवासी विक्रम त्रिपाठी, विशाल शुक्ला, गुड्डू यागव, गदनपुर बड्डू निवासी अरविंद उर्फ भौंदू, युसूफपुर भगवान मोहल्ला निवासी अवधेश राठौर, रंजीत कश्यप, ईशू कनौजिया, होली मोहल्ला निवासी पुष्कर मिश्रा, बगिया फजल इमाम मोहल्ला निवासी चीनी कनौजिया, कचहरी टोला निवासी मनुपार्थ सारथी, चौधरी सराय निवासी अंकित दुबे, अंबेडकर नगर निवासी गगन मिश्रा के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज किए गए थे.

इसमें सभी आरोपियों पर गैंगस्टर की भी कार्रवाई की गई थी. तत्कालीन एसएचओ श्यामवीर सिंह ने गैंगस्टर की कार्रवाई की थी. आरोप लगाया था कि यह लोग गिरोहबंद होकर गैंग के सदस्यों के लिए आर्थिक एवं भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए हत्या, लूट, चोरी, आगजनी, सांप्रदायिक व धार्मिक उन्माद फैलाकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने जैसे समाज विरोधी क्रियाकलापों में लिप्त हैं.

यह भी पढ़ें : कार सवार बदमाशों ने लिफ्ट देकर सब्जी विक्रेता से की लूट, 5 गिरफ्तार

मामले में इन सभी की गिरफ्तारी भी हुई थी और इन्हें जेल भी जाना पड़ा था. सरकार बदलते ही सभी कार्रवाइयों में नए सिरे से जांच हुई और सभी को लगातार कोर्ट से भी राहत मिल रही है. गुरुवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज मुकेश कुमार सिंह ने गैंगस्टर मामले में फैसला सुनाया. जज ने फैसला सुनाते हुए सांसद समेत 14 लोगों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया.

साथ ही तत्कालीन सरकार और जिलाधिकारी को भी मनमाने तरीके से प्रशासनिक शक्तियों का दुरूपयोग करने का दोषी माना है. कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई. उन्होंने कहा कि सत्य की जय हुई है और असत्य एक बार फिर हार गया. तत्कालीन सरकार के इशारों पर फर्जी मुकदमा लगवाए गए थे.

गवाहों ने पक्ष में दी थी गवाही

एडीजीसी यतेंद्र पाल सिंह ने बताया कि कोर्ट में गवाही के दौरान पुलिस द्वारा तैयार किए गए अल्पसंख्यक वर्ग के सभी गवाहों ने भाजपा सांसद और कार्यकर्ताओं के पक्ष में गवाही दे दी. गवाहों ने कोर्ट में कहा कि अखिलेश यादव के दबाव में पुलिस ने फर्जी मुकदमें दर्ज कराए थे.

वहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि जिस दिन सुब्रत पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, उसके एक दिन पहले ही गैंगस्टर लगाने की फाइल डीएम को भेज दी गई थी. तत्कालीन डीएम ने भी इस संबंध में कोई पूछताछ या जांच न कर सीधे आदेश कर दिए थे.

कन्नौज. सपा सरकार में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत 14 नेताओं पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई थी. न्यायालय में मामला विचाराधीन चल रहा था. तकरीबन छह साल पुराने मामले में गुरूवार को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज मुकेश कुमार सिंह फैसला सुनाया है.

जज ने फैसला सुनाते हुए सांसद समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने तत्कालीन सरकार और जिलाधिकारी को भी मनमाने तरीके से प्रशासनिक शक्तियों का दुरूपयोग करने का दोषी माना है. कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, सपा सरकार में साल 2017 में शहर में साप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें पठकाना मोहल्ला निवासी भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत देविन टोला मोहल्ला निवासी सौरभ कटियार, हरदेव गंज मोहल्ला निवासी विक्रम त्रिपाठी, विशाल शुक्ला, गुड्डू यागव, गदनपुर बड्डू निवासी अरविंद उर्फ भौंदू, युसूफपुर भगवान मोहल्ला निवासी अवधेश राठौर, रंजीत कश्यप, ईशू कनौजिया, होली मोहल्ला निवासी पुष्कर मिश्रा, बगिया फजल इमाम मोहल्ला निवासी चीनी कनौजिया, कचहरी टोला निवासी मनुपार्थ सारथी, चौधरी सराय निवासी अंकित दुबे, अंबेडकर नगर निवासी गगन मिश्रा के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज किए गए थे.

इसमें सभी आरोपियों पर गैंगस्टर की भी कार्रवाई की गई थी. तत्कालीन एसएचओ श्यामवीर सिंह ने गैंगस्टर की कार्रवाई की थी. आरोप लगाया था कि यह लोग गिरोहबंद होकर गैंग के सदस्यों के लिए आर्थिक एवं भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए हत्या, लूट, चोरी, आगजनी, सांप्रदायिक व धार्मिक उन्माद फैलाकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने जैसे समाज विरोधी क्रियाकलापों में लिप्त हैं.

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मामले में इन सभी की गिरफ्तारी भी हुई थी और इन्हें जेल भी जाना पड़ा था. सरकार बदलते ही सभी कार्रवाइयों में नए सिरे से जांच हुई और सभी को लगातार कोर्ट से भी राहत मिल रही है. गुरुवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज मुकेश कुमार सिंह ने गैंगस्टर मामले में फैसला सुनाया. जज ने फैसला सुनाते हुए सांसद समेत 14 लोगों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया.

साथ ही तत्कालीन सरकार और जिलाधिकारी को भी मनमाने तरीके से प्रशासनिक शक्तियों का दुरूपयोग करने का दोषी माना है. कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई. उन्होंने कहा कि सत्य की जय हुई है और असत्य एक बार फिर हार गया. तत्कालीन सरकार के इशारों पर फर्जी मुकदमा लगवाए गए थे.

गवाहों ने पक्ष में दी थी गवाही

एडीजीसी यतेंद्र पाल सिंह ने बताया कि कोर्ट में गवाही के दौरान पुलिस द्वारा तैयार किए गए अल्पसंख्यक वर्ग के सभी गवाहों ने भाजपा सांसद और कार्यकर्ताओं के पक्ष में गवाही दे दी. गवाहों ने कोर्ट में कहा कि अखिलेश यादव के दबाव में पुलिस ने फर्जी मुकदमें दर्ज कराए थे.

वहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि जिस दिन सुब्रत पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, उसके एक दिन पहले ही गैंगस्टर लगाने की फाइल डीएम को भेज दी गई थी. तत्कालीन डीएम ने भी इस संबंध में कोई पूछताछ या जांच न कर सीधे आदेश कर दिए थे.

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