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अधिकारियों के न आने पर महिला आयोग सदस्य हुईं नाराज, हत्याकांड मामले में बेटियों ने मांगा न्याय - women commission

झांसी में सोमवार को महिला आयोग की सदस्य ने जनसुनवाई की. इस दौरान कई विभागों के अधिकारियों के न आने पर उन्होंने नाराजगी जताई. वहीं, जनसुनवाई में आईं बेटियों ने आयोग सदस्य से न्याय मांगा.

जनसुनवाई करतीं महिला आयोग की सदस्य.
जनसुनवाई करतीं महिला आयोग की सदस्य.
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Published : Nov 23, 2021, 8:07 AM IST

झांसी: सर्किट हाउस में सोमवार को महिला आयोग की सदस्य डॉ. कंचन जयसवाल ने जनसुनवाई की. जनसुनवाई शुरू होने से पहले सिर्फ उच्चाधिकारियों में एसडीएम व महिला थाना अध्यक्ष के अलावा विभागों के संबंधित अधिकारी नजर नहीं आने पर उन्होंने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि जब तक विभागों के संबंधित अधिकारी नहीं आ जाते जन सुनवाई शुरू नहीं होगी.

महिला आयोग संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों को नाराजगी जताते हुए सभी विभागों के संबंधित उच्चाधिकारियों को तुरंत सर्किट हाउस पहुंचने के लिए फोन करवाएं. वहीं, बाद में महिला आयोग सदस्य कंचन जयसवाल ने खुद फोन कर झांसी एसएसपी शिवहरी मीणा से बात की. इसके बाद तुरंत आनन-फानन में एसपी सिटी जनसुनवाई मैं पहुंचे और साथ ही बीएसए झांसी सहित कई अधिकारी जनसुनवाई में शामिल हुए.

जनसुनवाई करतीं महिला आयोग की सदस्य.

महिला आयोग की सदस्य डॉ कंचन जयसवाल ने जनसुनवाई की. 4 घंटे चली जनसुनवाई में 15 महिलाएं शिकायत लेकर पहुंचीं. इनके समाधान के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए. जनसुनवाई में सिलगुआ गांव निवासी प्रतिभा सिंह, उसकी बहन विजेता और उनकी मां उमा सिंह पहुंचीं. दोनों बहनों ने कहा कि उनके पिता भगवान सिंह की हत्या हुई थी. 17 अगस्त को जोगेंद्र सिंह और सतीश के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया था. अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. सोमवार को एसपी से मिले तो उन्होंने कहा कि सतीश को गिरफ्तार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हत्या में चारों आरोपी शामिल हैं, जबकि एक को गिरफ्तार किया जा रहा है. सदस्य को सतीश का एक वीडियो ऑडियो सुना कर कहा कि यह सतीश है जो करीब 15 दिन पहले घर आया था. कहने लगा कि एक आरोपी का बेटा उसको 10000 रुपये महीने देने का लालच देकर जुर्म कुबूल करने की बात कह रहा है. आरोपी को बचाने के लिए एक आरोपी की गिरफ्तारी की जा रही है. सदस्य को फोन करके निर्दोष को मत फंसाना. बेटियों की बात सुन सदस्य ने सकरार थाना प्रभारी से फोन पर बात की. कहा कि जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है, उसकी रिकॉर्डिंग मृतक की बेटियों के पास है.

उन्होंने कहा कि एक बात स्पष्ट रूप से जान ली जाए कि निर्दोष को सजा न मिल पाए और दोषी को बख्शना नहीं है. ऐसा न हो कि निर्दोष को फंसा दें और दोषी घूमते रहें. इनको आपके पास भेज रहे हैं. निष्पक्ष तरीके से जांच करें. समथर की एक महिला अपने पिता के साथ पहुंची. उसने बताया कि 7 साल पहले उसकी मथुरा के बांके बिहारी मंदिर के पदाधिकारी से शादी हुई थी. प्रताड़ना पर उसने पति, सास, ससुर सहित पांच लोगों के खिलाफ थाने में केस कराया था. एएसआई ने कोर्ट के आदेश भी नहीं माने सिर्फ पति के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, जबकि बाकी को दोषमुक्त कर दिया. एसआई ने दबाव व लालच में यह सब कुछ किया है. आयोग सदस्य ने दोबारा से जांच करने के आदेश दिए.

यह भी पढ़ें : बच्चों से ओरल सेक्स गंभीर अपराध नहींः इलाहाबाद हाईकोर्ट

बड़ा गांव निवासी एक महिला की नोगांव में शादी हुई थी. उसका घरेलू हिंसा का केस कई माह से लंबित है. पति सिविल इंजीनियर है. जनसुनवाई में ससुर भी मौजूद थे. महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों ने कहा कि काउंसलिंग के लिए दोनों पक्षों को कई बार बुलाया गया. ससुराल पक्ष के लोग बहू को ले जाने के लिए बार-बार तारीख बढ़ा रहे हैं. आयोग के आदेश पर ससुर बहू को ले जाने के लिए राजी हो गए. एसपी सिटी ने बताया कि सुनवाई के दौरान जो भी मामले आए हैं, उनसे संबंधित अधिकारियों को निष्पक्ष जांच करने के आदेश दे दिए गए हैं.

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झांसी: सर्किट हाउस में सोमवार को महिला आयोग की सदस्य डॉ. कंचन जयसवाल ने जनसुनवाई की. जनसुनवाई शुरू होने से पहले सिर्फ उच्चाधिकारियों में एसडीएम व महिला थाना अध्यक्ष के अलावा विभागों के संबंधित अधिकारी नजर नहीं आने पर उन्होंने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि जब तक विभागों के संबंधित अधिकारी नहीं आ जाते जन सुनवाई शुरू नहीं होगी.

महिला आयोग संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों को नाराजगी जताते हुए सभी विभागों के संबंधित उच्चाधिकारियों को तुरंत सर्किट हाउस पहुंचने के लिए फोन करवाएं. वहीं, बाद में महिला आयोग सदस्य कंचन जयसवाल ने खुद फोन कर झांसी एसएसपी शिवहरी मीणा से बात की. इसके बाद तुरंत आनन-फानन में एसपी सिटी जनसुनवाई मैं पहुंचे और साथ ही बीएसए झांसी सहित कई अधिकारी जनसुनवाई में शामिल हुए.

जनसुनवाई करतीं महिला आयोग की सदस्य.

महिला आयोग की सदस्य डॉ कंचन जयसवाल ने जनसुनवाई की. 4 घंटे चली जनसुनवाई में 15 महिलाएं शिकायत लेकर पहुंचीं. इनके समाधान के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए. जनसुनवाई में सिलगुआ गांव निवासी प्रतिभा सिंह, उसकी बहन विजेता और उनकी मां उमा सिंह पहुंचीं. दोनों बहनों ने कहा कि उनके पिता भगवान सिंह की हत्या हुई थी. 17 अगस्त को जोगेंद्र सिंह और सतीश के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया था. अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. सोमवार को एसपी से मिले तो उन्होंने कहा कि सतीश को गिरफ्तार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हत्या में चारों आरोपी शामिल हैं, जबकि एक को गिरफ्तार किया जा रहा है. सदस्य को सतीश का एक वीडियो ऑडियो सुना कर कहा कि यह सतीश है जो करीब 15 दिन पहले घर आया था. कहने लगा कि एक आरोपी का बेटा उसको 10000 रुपये महीने देने का लालच देकर जुर्म कुबूल करने की बात कह रहा है. आरोपी को बचाने के लिए एक आरोपी की गिरफ्तारी की जा रही है. सदस्य को फोन करके निर्दोष को मत फंसाना. बेटियों की बात सुन सदस्य ने सकरार थाना प्रभारी से फोन पर बात की. कहा कि जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है, उसकी रिकॉर्डिंग मृतक की बेटियों के पास है.

उन्होंने कहा कि एक बात स्पष्ट रूप से जान ली जाए कि निर्दोष को सजा न मिल पाए और दोषी को बख्शना नहीं है. ऐसा न हो कि निर्दोष को फंसा दें और दोषी घूमते रहें. इनको आपके पास भेज रहे हैं. निष्पक्ष तरीके से जांच करें. समथर की एक महिला अपने पिता के साथ पहुंची. उसने बताया कि 7 साल पहले उसकी मथुरा के बांके बिहारी मंदिर के पदाधिकारी से शादी हुई थी. प्रताड़ना पर उसने पति, सास, ससुर सहित पांच लोगों के खिलाफ थाने में केस कराया था. एएसआई ने कोर्ट के आदेश भी नहीं माने सिर्फ पति के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, जबकि बाकी को दोषमुक्त कर दिया. एसआई ने दबाव व लालच में यह सब कुछ किया है. आयोग सदस्य ने दोबारा से जांच करने के आदेश दिए.

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बड़ा गांव निवासी एक महिला की नोगांव में शादी हुई थी. उसका घरेलू हिंसा का केस कई माह से लंबित है. पति सिविल इंजीनियर है. जनसुनवाई में ससुर भी मौजूद थे. महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों ने कहा कि काउंसलिंग के लिए दोनों पक्षों को कई बार बुलाया गया. ससुराल पक्ष के लोग बहू को ले जाने के लिए बार-बार तारीख बढ़ा रहे हैं. आयोग के आदेश पर ससुर बहू को ले जाने के लिए राजी हो गए. एसपी सिटी ने बताया कि सुनवाई के दौरान जो भी मामले आए हैं, उनसे संबंधित अधिकारियों को निष्पक्ष जांच करने के आदेश दे दिए गए हैं.

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