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आखिर क्यों...अर्धनग्न होकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे ग्रामीण - अर्धनग्न होकर किसानों ने प्रदर्शन किया

कई मांगो को लेकर सोमवार को किसानों ने कमिश्नर ऑफिस का घेराव किया. किसानों का आरोप है कि बार-बार उच्च अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी उनकी समस्या नहीं सुनी गई.

अर्धनग्न होकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे ग्रामीण
अर्धनग्न होकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे ग्रामीण
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Published : Aug 10, 2021, 5:38 AM IST

झांसी : बांध का पानी घरों में घुस जाने और भूमि अधिग्रहण का पैसा न मिलने से परेशान किसानों ने सोमवार को कमिश्नर ऑफिस का घेराव किया. इस दौरान सैंकड़ों पुरुष अर्द्धनग्न होकर जुलूस निकालते हुए कमिश्नर कार्यालय पहुंचे. विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाएं भी शामिल रहीं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि समस्या के समाधान के लिए वह कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं. अपनी समस्या को लेकर किसानो जिलाधिकारी से भी मुलाकात कर चुके हैं.

बार-बार सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाने के बाद जब किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह आज कमिश्नर के ऑफिस पहुंचे हैं. कमिश्नर कार्यालय पहुंचकर किसानों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. अपनी समस्या का समाधान कराने के लिए किसानों ने झांसी मण्डल के अपर आयुक्त आर.पी. मिश्रा को ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि 2 दिनों के अंदर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे. साथ ही लखनऊ और दिल्ली की ओर भी रुक करेंगे.

अर्धनग्न होकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे ग्रामीण

अपर आयुक्त को दिए शिकायती पत्र में कहा गया है कि पथराई बांध से प्रभावित पाल मुहल्ला तीन तरफ से बांध से घिरा हुआ है. बांध में पानी भरने पर गांव में रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस जाता है. ग्रामीणों की मांग है कि उनका गांव विस्थापित किया जाए. बता दें, कि चढ़रऊ धवारी गांव में बांध के पानी के रिसाव के कारण घरों में साल के 12 माह तक नमी रहती है. किसान इस गांव को भी विस्थापित किए जाने की मांग कर रहे हैं. किसानों द्वारा दिए गए पत्र में कहा गया है कि लखेरी बांध से प्रभावित बचेरा गांव के कई विस्थापित परिवारों को राहत राशि नहीं मिली है.

किसानों का आरोप है कि विस्थापित परिवारों को राहत राशि के लिए चयन होने के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने उनका नाम सूची से बाहर कर दिया है. किसानों का आरोप है कि राहत राशि का लाभ लेने के लिए जब वह सरकारी ऑफिस पहुंचते हैं तो ऑफिस के अधिकारी रिश्वत की मांग करते हैं. किसान नेता गौरी शंकर विदुआ ने कहा कि जब किसी अधिकारी ने उनकी समस्या नहीं सुनी, तो उन्हें अपनी समस्या लेकर कमिश्नर कार्यालय आना पड़ा. किसान नेता का कहना है कि जब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो जाता वह आंदोलन जारी रखेंगे.

इसे पढ़ें- ..तो केंद्र सरकार वापस ले सकती है कृषि कानून, भाजपा कार्यसमिति सदस्य व पूर्व विधायक ने किया दावा

झांसी : बांध का पानी घरों में घुस जाने और भूमि अधिग्रहण का पैसा न मिलने से परेशान किसानों ने सोमवार को कमिश्नर ऑफिस का घेराव किया. इस दौरान सैंकड़ों पुरुष अर्द्धनग्न होकर जुलूस निकालते हुए कमिश्नर कार्यालय पहुंचे. विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाएं भी शामिल रहीं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि समस्या के समाधान के लिए वह कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं. अपनी समस्या को लेकर किसानो जिलाधिकारी से भी मुलाकात कर चुके हैं.

बार-बार सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाने के बाद जब किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह आज कमिश्नर के ऑफिस पहुंचे हैं. कमिश्नर कार्यालय पहुंचकर किसानों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. अपनी समस्या का समाधान कराने के लिए किसानों ने झांसी मण्डल के अपर आयुक्त आर.पी. मिश्रा को ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि 2 दिनों के अंदर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे. साथ ही लखनऊ और दिल्ली की ओर भी रुक करेंगे.

अर्धनग्न होकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे ग्रामीण

अपर आयुक्त को दिए शिकायती पत्र में कहा गया है कि पथराई बांध से प्रभावित पाल मुहल्ला तीन तरफ से बांध से घिरा हुआ है. बांध में पानी भरने पर गांव में रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस जाता है. ग्रामीणों की मांग है कि उनका गांव विस्थापित किया जाए. बता दें, कि चढ़रऊ धवारी गांव में बांध के पानी के रिसाव के कारण घरों में साल के 12 माह तक नमी रहती है. किसान इस गांव को भी विस्थापित किए जाने की मांग कर रहे हैं. किसानों द्वारा दिए गए पत्र में कहा गया है कि लखेरी बांध से प्रभावित बचेरा गांव के कई विस्थापित परिवारों को राहत राशि नहीं मिली है.

किसानों का आरोप है कि विस्थापित परिवारों को राहत राशि के लिए चयन होने के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने उनका नाम सूची से बाहर कर दिया है. किसानों का आरोप है कि राहत राशि का लाभ लेने के लिए जब वह सरकारी ऑफिस पहुंचते हैं तो ऑफिस के अधिकारी रिश्वत की मांग करते हैं. किसान नेता गौरी शंकर विदुआ ने कहा कि जब किसी अधिकारी ने उनकी समस्या नहीं सुनी, तो उन्हें अपनी समस्या लेकर कमिश्नर कार्यालय आना पड़ा. किसान नेता का कहना है कि जब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो जाता वह आंदोलन जारी रखेंगे.

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