झांसी: बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेवी वैशम्पायन ने शुक्रवार को करगुवां क्षेत्र में स्थित जैविक परिक्षेत्र का निरीक्षण किया. विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के विद्यार्थी यहां जैविक खेती से जुड़े कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं, जिनके बारे में कुलपति ने जानकारी हासिल की.
कुलपति प्रोफेसर जेवी वैशम्पायन ने एग्रोनॉमी के विद्यार्थियों द्वारा कम पानी के उपयोग से विकसित पौधों और काले गेहूं पर किये जा रहे कार्यों की सराहना की. इन सब कार्यों के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने एक डाक्यूमेंट्री का निर्माण कराने को कहा. कुलपति ने छात्राओं द्वारा स्ट्राबेरी के पौधों की नर्सरी को देखने के बाद छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि इससे स्वरोजगार में काफी मदद मिलेगी. जैविक प्रक्षेत्र के प्रभारी ने कुलपति को बताया कि प्रक्षेत्र में जितनी भी फसले उगाई जाती हैं, सभी के लिए गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और पोल्ट्री मैन्योर का ही उपयेाग किया जाता है. प्रक्षेत्र का विकास करने के लिए बीएससी कृषि के विद्यार्थियों को भी इस प्रक्षेत्र से जोड़ा जा रहा है.
इस मौके पर कुलपति प्रोफेसर जेवी वैशम्पायन ने कहा कि वर्तमान में जनसंख्या की आवश्यकता को पूरा करने के लिए खाद्यान्न का उत्पादन तो बढ़ गया है, लेकिन गुणवत्ता कम हो गई है. अधिक अनाज के उत्पादन के लिए किसान रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं, इससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. कुलपति ने कहा कि जैविक तरीके से उत्पन्न फसलों में गुणवत्ता और पौष्टिकता के तत्व उपलब्ध रहते हैं, जो मानव शरीर के लिए लाभकारी होते हैं.