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मंच पर जीवंत हो उठा वीरांगना के स्वाभिमान का संघर्ष - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाने वाली झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई की कल यानी 19 नवंबर को जयंती है. इस मौके पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi ) झांसी आ रहे हैं. साथ ही झांसी की रानी की जयंती को राष्ट्ररक्षा समर्पण पर्व के रूप में मनाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है.

मंच पर जीवंत हो उठा वीरांगना के स्वाभिमान का संघर्ष
मंच पर जीवंत हो उठा वीरांगना के स्वाभिमान का संघर्ष
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Published : Nov 18, 2021, 2:44 PM IST

झांसी: भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाने वाली झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई की कल यानी 19 नवंबर को जयंती है. इस मौके पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी आ रहे हैं. साथ ही झांसी की रानी की जयंती को राष्ट्ररक्षा समर्पण पर्व के रूप में मनाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. बता दें कि रानी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय जलसा पर्व व सेना की शस्त्र प्रदर्शनी का शुभारंभ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया था. वहीं, अब प्रधानमंत्री के आगमन को देखते हुए वीरांगना नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है.

रक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन व महारानी लक्ष्मी बाई की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कई गणमान्य शिरकत करेंगे. वहीं, जलसा कार्यक्रम के आगाज के मौके पर झांसी के मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूलों से आए छात्र-छात्राओं ने अलग-अलग नृत्य के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी.

जीवंत हो उठा वीरांगना के स्वाभिमान का संघर्ष

इस बीच एक ऐसी प्रस्तुति हुई, जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की मशहूर कविता 'बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' पर सचित्र नाट्य रूपांतरण कर स्कूली छात्राओं ने झांसी की जनता का मन मोह लिया.

इसे भी पढ़ें - सीएम योगी और धामी की मुलाकात, दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्ति विवाद पर बनी सहमति

इधर, नाटक में मुख्य किरदार निभा रही दो बच्चियां दिशा और प्रियांशी के अभिनय ने तो लोगों को दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दिया. दिशा ने रानी झांसी के बचपन का महत्वपूर्ण किरदार निभाया तो वहीं, प्रियांशी ने विवाह के बाद का का किरदार निभाया. दोनों से बात करने पर उन्होंने बताया कि जब वे मंच पर झांसी की रानी का किरदार निभाती हैं तो उन्हें अंदर से शक्ति मिलती है.

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झांसी: भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाने वाली झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई की कल यानी 19 नवंबर को जयंती है. इस मौके पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी आ रहे हैं. साथ ही झांसी की रानी की जयंती को राष्ट्ररक्षा समर्पण पर्व के रूप में मनाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. बता दें कि रानी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय जलसा पर्व व सेना की शस्त्र प्रदर्शनी का शुभारंभ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया था. वहीं, अब प्रधानमंत्री के आगमन को देखते हुए वीरांगना नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है.

रक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन व महारानी लक्ष्मी बाई की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कई गणमान्य शिरकत करेंगे. वहीं, जलसा कार्यक्रम के आगाज के मौके पर झांसी के मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूलों से आए छात्र-छात्राओं ने अलग-अलग नृत्य के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी.

जीवंत हो उठा वीरांगना के स्वाभिमान का संघर्ष

इस बीच एक ऐसी प्रस्तुति हुई, जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की मशहूर कविता 'बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' पर सचित्र नाट्य रूपांतरण कर स्कूली छात्राओं ने झांसी की जनता का मन मोह लिया.

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इधर, नाटक में मुख्य किरदार निभा रही दो बच्चियां दिशा और प्रियांशी के अभिनय ने तो लोगों को दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दिया. दिशा ने रानी झांसी के बचपन का महत्वपूर्ण किरदार निभाया तो वहीं, प्रियांशी ने विवाह के बाद का का किरदार निभाया. दोनों से बात करने पर उन्होंने बताया कि जब वे मंच पर झांसी की रानी का किरदार निभाती हैं तो उन्हें अंदर से शक्ति मिलती है.

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