झांसी: मुंबई और सूरत से लौटे बिहार के प्रवासी मजदूरों ने यूपी-एमपी सीमा पर नीतीश सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की. वहीं प्रवासी मजदूर झांसी प्रशासन की तारीफ करते नजर आए. फिलहाल यूपी प्रशासन ने सभी प्रवासी मजदूरों को बस में बैठाकर उनके गंतव्य तक भेज दिया गया है.
मुंबई से लौटे राजेश यादव ने बताया कि बिहार सरकार की उदासीनता का ही नतीजा है, कि हम लोग को बहुत परेशानी हुई. वो मुंबई में काम करते थे. लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया. उन्होंने बिहार सरकार को कई बार मेल किया. कोई सुविधा नहीं मिली तो ट्रक पर सवार होकर वहां से चले आए. भला हो झांसी जिला प्रशासन का, जो उसने हमें बस की सुविधा दी और खाने-पीने का भी इंतजाम किया.
प्रवासी मजदूरों ने बयां किया दर्द
मोहम्मद आलम ने बताया कि हम मुंबई से चले तो रास्ते में पुलिस ने पकड़कर हमें जंगल में रोक दिया. हम वहां भूखे प्यासे थे. हमारी वहां कोई सुन नहीं रहा था. हम लोग चुपचाप वहां से एक ट्रक पर बैठे और यूपी बॉर्डर तक पहुंच गए. यहां की पुलिस ने हमारी मदद की. हम 4 दिन से भूखे थे. हमें यहां खाना खिलाया गया. इसके अलावा बिहार तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.
रामबाबू नाम के प्रवासी मजदूर ने कहा कि हमारी दुर्दशा के पीछे नीतीश सरकार का हाथ है. उन्होंने घर वापस आने में किसी भी प्रकार की मदद नहीं की. हमने ट्रक वाले को 3-3 हजार रुपए किराया दिया है. तब कहीं जाकर यहां तक पहुंचे हैं.