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कोविड काल में कुलियों ने झेले दर्द, किसी को यात्रियों से मिली दुत्कार तो किसी ने बदल लिया रोजगार

कोविड काल में जब कोरोना संक्रमण के कहर ने अपना असर दिखाया तो ट्रेनों की सवारियों का बोझ उठाने वाले कुलियों की जिंदगी भी काफी गहरे तक नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई. कुलियों ने इस दौरान संक्रमण की संभावना के कारण यात्रियों की उपेक्षा, कर्ज और इसके अलावा भी कई तरह की समस्याओं का सामना किया. कई कुली तो मजबूरी में दूसरे काम-धंधे भी करने लगे हैं.

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Published : Jun 13, 2021, 1:09 AM IST

कोविड काल में कुलियों ने बदल लिया रोजगार
कोविड काल में कुलियों ने बदल लिया रोजगार

झांसी: कोविड काल में जब कोरोना संक्रमण के कहर ने अपना असर दिखाया और ट्रेनों के परिचालन में कमी आई तो सवारियों का बोझ उठाने वाले कुलियों की जिंदगी भी काफी गहरे तक नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई. झांसी रेलवे स्टेशन पर कार्यरत ज्यादातर कुलियों की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है. कुलियों ने इस दौरान संक्रमण की संभावना के कारण यात्रियों की उपेक्षा, कर्ज और इसके अलावा भी कई तरह की समस्याओं का सामना किया. कई कुली तो मजबूरी में दूसरे काम-धंधे भी करने लगे हैं.

कोविड काल में कुलियों ने बदल लिया रोजगार
छुआछूत का सामनाझांसी रेलवे स्टेशन पर दस साल से अधिक समय से कुली के रूप में सवारियों का सामान उठा रहे मोहम्मद कलीम के लिए यह कोविड काल बेहद खराब अनुभव लेकर आया. कलीम बताते हैं कि एक तो हमारे पास काम नहीं है, दूसरे हमे हिकारत से देखा जा रहा है. हमे उम्मीद होती है कि यात्री हमसे लगेज उठवायेगा लेकिन वे हमें यह कहकर दूर कर देते हैं कि पब्लिक के बीच मे रहने के कारण उन्हें हमसे कोरोना हो सकता है. हमारे साथ बेहद अमानवीय व्यवहार होता है और हम इससे बेहद दुखी हैं.कई ने बदल लिए रोजगारअरविंद पाल कहते हैं कि इस काम से घर नहीं चल रहा था इसलिए पल्लेदारी का काम शुरू कर दिया है. हमारे कई साथियों ने काम बदल दिया है क्योंकि उनका गुजारा नहीं हो पा रहा था. हेमंत बताते हैं कि इस काम से तो किराया भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो रहा है. सब्जी का ठेला लगा रहे हैं तो सब्जी भी नहीं बिक रही है. कोई भी काम नहीं चल रहा है. सभी लोग कर्ज में आ गए हैं. मनोज कुमार बताते हैं कि काम बेहद धीमा चल रहा है. यहां सौ-पचास जो मिल जाते हैं, वही लेकर घर जाते हैं. एक छोटी सी दुकान खोली है. कुछ वहां से हो जाता है. कुछ यहां से हो जाता है.

झांसी: कोविड काल में जब कोरोना संक्रमण के कहर ने अपना असर दिखाया और ट्रेनों के परिचालन में कमी आई तो सवारियों का बोझ उठाने वाले कुलियों की जिंदगी भी काफी गहरे तक नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई. झांसी रेलवे स्टेशन पर कार्यरत ज्यादातर कुलियों की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है. कुलियों ने इस दौरान संक्रमण की संभावना के कारण यात्रियों की उपेक्षा, कर्ज और इसके अलावा भी कई तरह की समस्याओं का सामना किया. कई कुली तो मजबूरी में दूसरे काम-धंधे भी करने लगे हैं.

कोविड काल में कुलियों ने बदल लिया रोजगार
छुआछूत का सामनाझांसी रेलवे स्टेशन पर दस साल से अधिक समय से कुली के रूप में सवारियों का सामान उठा रहे मोहम्मद कलीम के लिए यह कोविड काल बेहद खराब अनुभव लेकर आया. कलीम बताते हैं कि एक तो हमारे पास काम नहीं है, दूसरे हमे हिकारत से देखा जा रहा है. हमे उम्मीद होती है कि यात्री हमसे लगेज उठवायेगा लेकिन वे हमें यह कहकर दूर कर देते हैं कि पब्लिक के बीच मे रहने के कारण उन्हें हमसे कोरोना हो सकता है. हमारे साथ बेहद अमानवीय व्यवहार होता है और हम इससे बेहद दुखी हैं.कई ने बदल लिए रोजगारअरविंद पाल कहते हैं कि इस काम से घर नहीं चल रहा था इसलिए पल्लेदारी का काम शुरू कर दिया है. हमारे कई साथियों ने काम बदल दिया है क्योंकि उनका गुजारा नहीं हो पा रहा था. हेमंत बताते हैं कि इस काम से तो किराया भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो रहा है. सब्जी का ठेला लगा रहे हैं तो सब्जी भी नहीं बिक रही है. कोई भी काम नहीं चल रहा है. सभी लोग कर्ज में आ गए हैं. मनोज कुमार बताते हैं कि काम बेहद धीमा चल रहा है. यहां सौ-पचास जो मिल जाते हैं, वही लेकर घर जाते हैं. एक छोटी सी दुकान खोली है. कुछ वहां से हो जाता है. कुछ यहां से हो जाता है.
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