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चिट्ठियां लिखकर दे रहे सन्देश, संस्कार ही नहीं, जान भी बचाती हैं कविताएं - poet prem kumar gautam

झांसी में लेखक और कवि कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं. इसके माध्यम से वो बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिखकर इस अभियान में शामिल होने की अपील कर रहे हैं.

कविता सम्मेलन
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Published : Mar 18, 2019, 8:23 PM IST

झांसी: कहते हैं साहित्य इंसान के संस्कार बचाए रखने में अपनी भूमिका निभाता है. यह बात सच भी है. झांसी के एक लेखक और कवि पिछले काफी दिनों से कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं. उनका मकसद है कि नई पीढ़ी में कविता के संस्कार डालकर उन्हें संवेदनशील बनाया जाए.

झांसी में कविता अभियान से लेखक दे रहे हैं लोगों को संदेश.

इन दिनों वो शहर के बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिखकर इस अभियान में शामिल होने की अपील कर रहे हैं. इनका नाम है प्रेम कुमार गौतम. प्रेम कुमार पिछले छह सालों से कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं. इसके तहत बेहद सादगी के साथ एक कवि विद्यार्थियों के बीच अपनी कविताओं का पाठ करता है.

गौतम पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद शहर के बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिख रहे हैं. अपनी चिट्ठी में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट से आए एक ऐतिहासिक फैसले का भी उल्लेख कर रहे हैं, जिसमें एक गैर आदतन अपराधी की फांसी की सजा इस आधार पर माफ कर दी गई कि वह जेल में रहने के दौरान कविताएं लिखता था.


गौतम बताते हैं कि वे पिछले काफी समय से स्कूलों-कालेजों में बच्चों में मानवीय संस्कार जगाने के मकसद से अभियान चला रहे हैं. कविताएं इंसान को मानवीय और सामाजिक बनाती हैं. कविताओं में वह ताकत है, जो उसे मौत से जिंदगी की ओर अग्रसर कर सकता है.उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद मेरा यह विश्वास और भी मजबूत हुआ है.

झांसी: कहते हैं साहित्य इंसान के संस्कार बचाए रखने में अपनी भूमिका निभाता है. यह बात सच भी है. झांसी के एक लेखक और कवि पिछले काफी दिनों से कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं. उनका मकसद है कि नई पीढ़ी में कविता के संस्कार डालकर उन्हें संवेदनशील बनाया जाए.

झांसी में कविता अभियान से लेखक दे रहे हैं लोगों को संदेश.

इन दिनों वो शहर के बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिखकर इस अभियान में शामिल होने की अपील कर रहे हैं. इनका नाम है प्रेम कुमार गौतम. प्रेम कुमार पिछले छह सालों से कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं. इसके तहत बेहद सादगी के साथ एक कवि विद्यार्थियों के बीच अपनी कविताओं का पाठ करता है.

गौतम पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद शहर के बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिख रहे हैं. अपनी चिट्ठी में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट से आए एक ऐतिहासिक फैसले का भी उल्लेख कर रहे हैं, जिसमें एक गैर आदतन अपराधी की फांसी की सजा इस आधार पर माफ कर दी गई कि वह जेल में रहने के दौरान कविताएं लिखता था.


गौतम बताते हैं कि वे पिछले काफी समय से स्कूलों-कालेजों में बच्चों में मानवीय संस्कार जगाने के मकसद से अभियान चला रहे हैं. कविताएं इंसान को मानवीय और सामाजिक बनाती हैं. कविताओं में वह ताकत है, जो उसे मौत से जिंदगी की ओर अग्रसर कर सकता है.उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद मेरा यह विश्वास और भी मजबूत हुआ है.

Intro:झांसी. कहते हैं साहित्य इंसान के संस्कार बचाये रखने में अपनी भूमिका निभाता है। यह बात सच भी है। झांसी के एक लेखक और कवि पिछले काफी दिनों से कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं। उनका मकसद है कि नई पीढ़ी में कविता के संस्कार के डालकर उन्हें संवेदनशील बनाया जाये। इन दिनों वे शहर के बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिखकर इस अभियान में शामिल होने की अपील कर रहे हैं।


Body:प्रेम कुमार गौतम पिछले छह सालों से कॉलेज में कविता नाम से अभियान चला रहे हैं। इसके तहत बेहद सादगी के साथ एक कवि विद्यार्थियों के बीच अपनी कविताओं का पाठ करता है। गौतम पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद शहर के बुद्धिजीवियों को चिट्ठी लिख रहे हैं। अपनी चिट्ठी में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट से आये एक ऐतिहासिक फैसले का भी उल्लेख कर रहे हैं, जिसमें एक गैर आदतन अपराधी की फांसी की सजा इस आधार पर माफ़ कर दी गई कि वह जेल में रहने के दौरान कवितायेँ लिखता था।


Conclusion:गौतम बताते हैं कि वे पिछले काफी समय से स्कूलों-कालेजों में बच्चों में मानवीय संस्कार जगाने के मकसद से अभियान चला रहे हैं। कविताएं इंसान को मानवीय और सामाजिक बनाती हैं। कविताओं में वह ताकत है जो उसे मौत से जिंदगी की ओर अग्रसर कर सकता है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद मेरा यह विश्वास और भी मजबूत हुआ है।

बाइट - प्रेम कुमार गौतम - कवि

पीटीसी

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045
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