झांसीः शहर स्थित ऐतिहासिक पानी वाली धर्मशाला की तस्वीर बदलने का काम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चल रहा है. लगभग चार करोड़ रुपये खर्च कर इस जलस्रोत को पुनर्जीवित करने के साथ ही इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की भी तैयारी है. इससे पहले कई बार इसे साफ करने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन सारे प्रयास नाकाम रहे. इस बार नगर निगम का दावा है कि सफाई और पुनरुद्धार के काम के बाद यह स्थान एक नए स्वरूप में नजर आएगा.
पानी वाली धर्मशाला का पुनरुद्धार
जानकारों के मुताबिक ऐतिहासिक पानी वाली धर्मशाला का निर्माण महारानी लक्ष्मीबाई के पूर्वजों ने कराया था. बाद में रानी लक्ष्मीबाई ने इस स्रोत को विकसित किया. इसके पास ऐतिहासिक गणेश मंदिर स्थित हैं, जहां रानी लक्ष्मीबाई का महाराज गंगाधर राव के साथ विवाह हुआ था. कालांतर में देखरेख के अभाव में इसमें कूड़े और जलकुंभी का अंबार लग गया और शहर का गंदा पानी भी इसमें प्रवाहित होने लगा. अब इसके पुरुद्धार का काम शुरू हुआ है और नगर निगम अफसरों का दावा है कि इस स्थान को हेरिटेज स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.
स्मार्ट सिटी के तहत किया जा रहा सफाई कार्य
स्थानीय निवासी प्रवीण कुमार बताते हैं कि पहली बार उन्होंने इस स्थान को इतना खाली होते हुए देखा है. लोगों ने अब तक इसकी धरती नहीं देखी. पहली बार इस स्तर तक सफाई दिख रही है. स्थानीय निवासी ओम प्रकाश यादव बताते हैं कि यह जगह रानी लक्ष्मीबाई के भी पहले की है. नगर आयुक्त अवनीश कुमार राय कहते हैं कि ऐतिहासिक जलस्रोत के संरक्षण और उसे पुनर्जीवन देने का काम स्मार्ट सिटी योजना के तहत किया जा रहा है. इस स्थान को पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा. काम तेज गति से चल रहा है और बहुत जल्द इसे पूरा करने की कोशिश है.