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झांसी में दिखी बुन्देलखण्ड के मौनिया नृत्य की झलक, लोगों ने दिखाए करतब

यूपी के झांसी जनपद में बुन्देलखण्ड के परंपरागत त्यौहार 'मौनिया नृत्य' की झलक देखने को मिली. इस अवसर पर लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर कई प्रकार के करतब दिखाते हैं.

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मौनिया नृत्य करते हुए लोग
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Published : Nov 15, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 8:05 PM IST

झांसीः बुन्देलखण्ड में दिवाली के एक दिन बाद परंपरागत त्योहार 'मौनिया नृत्य' का आयोजन किया जाता है. इस परंपरागत त्यौहार पर लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर ढोल-नगाड़ों की धुन पर झूमते हैं. बुन्देलखण्ड के इस त्यौहार को बच्चे व बूढ़े सभी मिलकर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं. इस त्यौहार के अवसर पर सभी लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहने हुए नाचते-गाते दिखाई देते हैं.

मौनिया नृत्य करते लोग.

इस त्यौहार को 'दिवाली नृत्य' भी कहा जाता है. बुन्देलखण्ड के इस त्यौहार की झलक रविवार को झांसी में भी देखने को मिली. इस अवसर पर 'मौनिया दल' की कई टोलियां कई अपन-अपने अंदाज में करतब दिखाते हुए दिखाई दीं.

कैसे मनाया जाता है 'मौनिय नृत्य' का त्यौहार ?

'मौनिय नृत्य' बुन्देलखण्ड की प्रसिद्ध परंपराओं में से एक है. इस त्यौहार को दिवाली के एक दिन मनाया जाता है. त्यौहार मनाने वाले दल को 'मौनिया दल' कहा जाता है. इस 'मौनिया दल' के अधिकांश लोग मौन व्रत धारण करके आस-पास के धार्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद 'मौनिया दल' के अपने घर लौटते समय गौ पूजन करने के बाद अपना वृत खोलते हैं.

क्यों मनाया जाता है 'मौनिय नृत्य' ?
बुन्देलखण्ड के इस परंपरिक त्यौहार को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं हैं. पुरानी कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने जब गांव वालों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था. उस समय लोगों ने नाच-गाकर अपनी खुशी का प्रदर्शन किया था. कहा जाता है तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है.

इस त्योहार को बुन्देलखण्ड का पारंपरिक त्यौहार माना जाता है, जिसकी झलक आज झांसी के कई कस्बाई इलाकों में देखने को मिली. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के रतनगढ़ मंदिर जा रहे मौनिया दल के एक सदस्य ने सुनील कुमार बताया कि यह बुन्देलखण्ड की प्रसिद्ध परंपरा है, यह बुंदेलखंडी लोकनृत्य है. त्यौहार के अवसर पर दल के सदस्य सुबह से मौन व्रत रखते हैं और रात में व्रत को खोलते हैं. साथ ही व्रत के दौरान 'मौनिया' पूरी तरह से मौन रहते हैं.

झांसीः बुन्देलखण्ड में दिवाली के एक दिन बाद परंपरागत त्योहार 'मौनिया नृत्य' का आयोजन किया जाता है. इस परंपरागत त्यौहार पर लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर ढोल-नगाड़ों की धुन पर झूमते हैं. बुन्देलखण्ड के इस त्यौहार को बच्चे व बूढ़े सभी मिलकर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं. इस त्यौहार के अवसर पर सभी लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहने हुए नाचते-गाते दिखाई देते हैं.

मौनिया नृत्य करते लोग.

इस त्यौहार को 'दिवाली नृत्य' भी कहा जाता है. बुन्देलखण्ड के इस त्यौहार की झलक रविवार को झांसी में भी देखने को मिली. इस अवसर पर 'मौनिया दल' की कई टोलियां कई अपन-अपने अंदाज में करतब दिखाते हुए दिखाई दीं.

कैसे मनाया जाता है 'मौनिय नृत्य' का त्यौहार ?

'मौनिय नृत्य' बुन्देलखण्ड की प्रसिद्ध परंपराओं में से एक है. इस त्यौहार को दिवाली के एक दिन मनाया जाता है. त्यौहार मनाने वाले दल को 'मौनिया दल' कहा जाता है. इस 'मौनिया दल' के अधिकांश लोग मौन व्रत धारण करके आस-पास के धार्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद 'मौनिया दल' के अपने घर लौटते समय गौ पूजन करने के बाद अपना वृत खोलते हैं.

क्यों मनाया जाता है 'मौनिय नृत्य' ?
बुन्देलखण्ड के इस परंपरिक त्यौहार को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं हैं. पुरानी कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने जब गांव वालों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था. उस समय लोगों ने नाच-गाकर अपनी खुशी का प्रदर्शन किया था. कहा जाता है तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है.

इस त्योहार को बुन्देलखण्ड का पारंपरिक त्यौहार माना जाता है, जिसकी झलक आज झांसी के कई कस्बाई इलाकों में देखने को मिली. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के रतनगढ़ मंदिर जा रहे मौनिया दल के एक सदस्य ने सुनील कुमार बताया कि यह बुन्देलखण्ड की प्रसिद्ध परंपरा है, यह बुंदेलखंडी लोकनृत्य है. त्यौहार के अवसर पर दल के सदस्य सुबह से मौन व्रत रखते हैं और रात में व्रत को खोलते हैं. साथ ही व्रत के दौरान 'मौनिया' पूरी तरह से मौन रहते हैं.

Last Updated : Nov 15, 2020, 8:05 PM IST
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