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झांसी में ब्लैक फंगस के मरीज का सर्जरी कर हटाना पड़ा जबड़ा

यूपी के झांसी में लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती ब्लैक फंगस के एक मरीज का जबड़ा निकाल दिया गया है. डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी में देरी पर मरीज की जान भी जा सकती थी.

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज
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Published : May 29, 2021, 10:37 PM IST

झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती ब्लैक फंगस के एक मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उसका जबड़ा निकलना पड़ा. दरअसल, झांसी के ग्वालियर रोड निवासी 57 वर्षीय मरीज को गुरुवार को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था और जांच के दौरान उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी.

गल गया था जबड़े का ऊपरी हिस्सा
ब्लैक फंगस के कारण मरीज के जबड़े के ऊपरी हिस्से का हड्डी गल गया था. दंत रोग विभाग के डॉक्टरों ने लगभग 3 घण्टे तक चली सर्जरी में गल चुके जबड़े के ऊपरी हिस्से को निकाला गया. सर्जरी के बाद मरीज की हालत ठीक बताई जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी में देरी पर मरीज की जान भी जा सकती थी.

बुन्देलखण्ड में पहला मामला
मेडिकल कॉलेज के दंत रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. रजत मिसुरिया के मुताबिक बुन्देलखण्ड में इस तरह के फंगस का यह पहला मामला है, जिसकी सर्जरी हुई है. इलाज में देरी पर यह फंगस दिमाग तक भी पहुंच सकता था और फिर मरीज के लिए जानलेवा साबित होता. सर्जरी के दौरान मरीज के साइनस आदि हिस्सों से भी फंगस निकाला गया.

ब्लैक फंगस के अब तक पच्चीस मामले
डॉक्टर रजत मिसुरिया ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि यह मरीज कुछ दिनों पहले कोविड के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कोविड नेगेटिव हो गया था. उसके बाद फंगस की समस्या हुई और उसकी सर्जरी की गई. फिलहाल मरीज स्वस्थ्य है और सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है. मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के अलग-अलग तरह के अब तक कुल 25 मामले आये हैं, जिनमें से दस की सफल सर्जरी डॉक्टरों की टीम कर चुकी है.

झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती ब्लैक फंगस के एक मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उसका जबड़ा निकलना पड़ा. दरअसल, झांसी के ग्वालियर रोड निवासी 57 वर्षीय मरीज को गुरुवार को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था और जांच के दौरान उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी.

गल गया था जबड़े का ऊपरी हिस्सा
ब्लैक फंगस के कारण मरीज के जबड़े के ऊपरी हिस्से का हड्डी गल गया था. दंत रोग विभाग के डॉक्टरों ने लगभग 3 घण्टे तक चली सर्जरी में गल चुके जबड़े के ऊपरी हिस्से को निकाला गया. सर्जरी के बाद मरीज की हालत ठीक बताई जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी में देरी पर मरीज की जान भी जा सकती थी.

बुन्देलखण्ड में पहला मामला
मेडिकल कॉलेज के दंत रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. रजत मिसुरिया के मुताबिक बुन्देलखण्ड में इस तरह के फंगस का यह पहला मामला है, जिसकी सर्जरी हुई है. इलाज में देरी पर यह फंगस दिमाग तक भी पहुंच सकता था और फिर मरीज के लिए जानलेवा साबित होता. सर्जरी के दौरान मरीज के साइनस आदि हिस्सों से भी फंगस निकाला गया.

ब्लैक फंगस के अब तक पच्चीस मामले
डॉक्टर रजत मिसुरिया ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि यह मरीज कुछ दिनों पहले कोविड के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कोविड नेगेटिव हो गया था. उसके बाद फंगस की समस्या हुई और उसकी सर्जरी की गई. फिलहाल मरीज स्वस्थ्य है और सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है. मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के अलग-अलग तरह के अब तक कुल 25 मामले आये हैं, जिनमें से दस की सफल सर्जरी डॉक्टरों की टीम कर चुकी है.

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