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झांसी : बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शुरू हुई इसरो की प्रदर्शनी

झांसी के बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष कार्यक्रम की जानकारियां और उपलब्धियां स्कूली विद्यार्थियों तक पहुंचाने के लिए तीन दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है.

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शुरू हुई इसरो की प्रदर्शनी.
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Published : Oct 18, 2019, 10:49 PM IST

झांसी: जिले में अंतरिक्ष कार्यक्रम की जानकारियां और उपलब्धियां स्कूली विद्यार्थियों तक पहुंचाने के मकसद से बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन शुक्रवार को हुआ. प्रदर्शनी के पहले दिन झांसी और आसपास के जिलों से आए स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की उपलब्धियों और कार्यक्रमों के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल की.

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शुरू हुई इसरो की प्रदर्शनी.
कई जनपदों से आये विद्यार्थीबुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस प्रदर्शनी में पैनल और मॉडल के माध्यम से विद्यार्थियों को सैटेलाइट और रॉकेट के काम करने की तकनीकी बताई गई. इस दौरान फिल्म का प्रदर्शन कर चन्द्रयान और मंगलयान जैसे अभियानों की रोचक कहानियों से विद्यार्थियों को रूबरू कराया गया. झांसी, जालौन, छतरपुर सहित अन्य जनपदों के विद्यालयों और महाविद्यालयों से आये हजारों विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाएं यहां मौजूद विशेषज्ञों से बातचीत कर शांत की.बुन्देलखण्ड में पहला आयोजनप्रदर्शनी के संयोजक और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ ऋषि सक्सेना ने बताया कि ऐसा कार्यक्रम उत्तर प्रदेश और बुन्देलखण्ड में पहली बार हो रहा है. इसरो द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान की प्रदर्शनी लगाई गई है. इसरो कैसे काम करता है और कौन-कौन से सैटेलाइट लांच किए है. साथ ही आने वाले दिनों में आदित्य-1 सैटेलाइट सूरज पर जाने वाला है यह सब जानकारियां हासिल हुई.उत्साहित दिखे विद्यार्थीप्रदर्शनी में हिस्सा लेने आई छात्रा मनस्वी ने कहा कि पहले हमें लगा था कि एजुकेशनल ट्रिप होगी. यहां आने के बाद हमारा इंटरेस्ट बढ़ा है. हमको इसरो के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं थी, लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि स्पेस में क्या होता है.

विक्रम साराभाई की स्मृति में अंतरिक्ष प्रदर्शनी आयोजित की गई है. इसमें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास से लेकर अब तक की सारी जानकारी दी जा रही है. पैनल के माध्यम से बच्चों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि इसरो ने आज तक क्या-क्या किया है. अंतरिक्ष तकनीकी में हम कहां पहुंच गए हैं. हम विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न कर रहे हैं और उनकी शंकाओं का समाधान कर रहे हैं.
-जीतेन्द्र खडडे, अंतरिक्ष वैज्ञानिक

झांसी: जिले में अंतरिक्ष कार्यक्रम की जानकारियां और उपलब्धियां स्कूली विद्यार्थियों तक पहुंचाने के मकसद से बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन शुक्रवार को हुआ. प्रदर्शनी के पहले दिन झांसी और आसपास के जिलों से आए स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की उपलब्धियों और कार्यक्रमों के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल की.

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शुरू हुई इसरो की प्रदर्शनी.
कई जनपदों से आये विद्यार्थीबुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस प्रदर्शनी में पैनल और मॉडल के माध्यम से विद्यार्थियों को सैटेलाइट और रॉकेट के काम करने की तकनीकी बताई गई. इस दौरान फिल्म का प्रदर्शन कर चन्द्रयान और मंगलयान जैसे अभियानों की रोचक कहानियों से विद्यार्थियों को रूबरू कराया गया. झांसी, जालौन, छतरपुर सहित अन्य जनपदों के विद्यालयों और महाविद्यालयों से आये हजारों विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाएं यहां मौजूद विशेषज्ञों से बातचीत कर शांत की.बुन्देलखण्ड में पहला आयोजनप्रदर्शनी के संयोजक और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ ऋषि सक्सेना ने बताया कि ऐसा कार्यक्रम उत्तर प्रदेश और बुन्देलखण्ड में पहली बार हो रहा है. इसरो द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान की प्रदर्शनी लगाई गई है. इसरो कैसे काम करता है और कौन-कौन से सैटेलाइट लांच किए है. साथ ही आने वाले दिनों में आदित्य-1 सैटेलाइट सूरज पर जाने वाला है यह सब जानकारियां हासिल हुई.उत्साहित दिखे विद्यार्थीप्रदर्शनी में हिस्सा लेने आई छात्रा मनस्वी ने कहा कि पहले हमें लगा था कि एजुकेशनल ट्रिप होगी. यहां आने के बाद हमारा इंटरेस्ट बढ़ा है. हमको इसरो के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं थी, लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि स्पेस में क्या होता है.

विक्रम साराभाई की स्मृति में अंतरिक्ष प्रदर्शनी आयोजित की गई है. इसमें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास से लेकर अब तक की सारी जानकारी दी जा रही है. पैनल के माध्यम से बच्चों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि इसरो ने आज तक क्या-क्या किया है. अंतरिक्ष तकनीकी में हम कहां पहुंच गए हैं. हम विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न कर रहे हैं और उनकी शंकाओं का समाधान कर रहे हैं.
-जीतेन्द्र खडडे, अंतरिक्ष वैज्ञानिक

Intro:झांसी. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की जानकारियां और उपलब्धियां स्कूली विद्यार्थियों तक पहुँचाने के मकसद से झांसी के बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में तीन दिनों की प्रदर्शनी की शुरुआत शुक्रवार को हुई। प्रदर्शनी के पहले दिन झांसी और आसपास के जिलों से आये स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की उपलब्धियों और कार्यक्रमों के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल की।


Body:कई जनपदों से आये विद्यार्थी

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस प्रदर्शनी में पैनल और मॉडल के माध्यम से विद्यार्थियों को सैटेलाइट और रॉकेट के काम करने की तकनीकी बताई गई। इस दौरान फ़िल्म का प्रदर्शन कर चन्द्रयान और मंगलयान जैसे अभियानों की रोचक कहानियों से विद्यार्थियों को रूबरू कराया गया। झांसी, जालौन, छतरपुर सहित अन्य जनपदों के विद्यालयों और महाविद्यालयों से आये हज़ारों विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाएं यहां मौजूद विशेषज्ञों से बातचीत कर शांत की।

बुन्देलखण्ड में पहला आयोजन

प्रदर्शनी के संयोजक और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ ऋषि सक्सेना ने बताया कि ऐसा कार्यक्रम उत्तर प्रदेश और बुन्देलखण्ड में पहली बार हो रहा है। इसरो द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसरो कैसे काम करता है, कौन-कौन से सैटेलाइट लांच किए है और आने वाले दिनों में आदित्य -1 सैटेलाइट सूरज पर जाने वाला है, यह सब जानकारियां हासिल हुई।


Conclusion:विद्यार्थी दिखे उत्साहित

प्रदर्शनी में हिस्सा लेने आई छात्रा मनस्वी ने कहा कि पहले हमें लगा था कि एजुकेशनल ट्रिप होगी। यहां आने के बाद हमारा इंटरेस्ट बढा है। इसरो के बारे में जानना चाहिए। इसरो के बारे में ज्यादा जानकारी तो थी नहीं। यहां आने के बाद पता चला कि स्पेस में क्या होता है।

विक्रम साराभाई की स्मृति में आयोजन

इसरो से जुड़े वैज्ञानिक जीतेन्द्र खडडे ने बताया कि विक्रम साराभाई की स्मृति में अंतरिक्ष प्रदर्शनी आयोजित की गई है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास से लेकर अब तक की सारी जानकारी दी जा रही है। इसमें सारे सैटेलाइट्स और रॉकेट्स के मॉडल हैं। पैनल के माध्यम से बच्चों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि इसरो ने आज तक क्या-क्या किया है और अंतरिक्ष तकनीकी में हम कहाँ पहुँच गए हैं। हम विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न कर रहे हैं और उनकी शंकाओं का समाधान कर रहे हैं।

बाइट - डॉ ऋषि सक्सेना - प्रदर्शनी समन्वयक
बाइट - मनस्वी - छात्रा
बाइट - जीतेन्द्र खडडे - अंतरिक्ष वैज्ञानिक

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
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