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लॉकडाउन: बुन्देलखण्ड में बढ़ी पानी की खपत, पेयजल परियोजनाओं पर भी ब्रेक की संभावना - बुन्देलखण्ड में पेयजल परियोजनाओं पर ब्रेक की संभावना

उत्तर प्रदेश के झांसी के बुंदेलखंड में लॉकडाउन के दौरान पेयजल संकट की संभावना गहरा रही है. जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक ने दावा किया कि बुन्देलखण्ड में बड़ी पेयजल परियोजनाओं पर भी फिलहाल ब्रेक लग सकता है.

लॉकडाउन के कारण बुन्देलखण्ड में बढ़ी पानी की खपत
लॉकडाउन के कारण बुन्देलखण्ड में बढ़ी पानी की खपत
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Published : Apr 14, 2020, 2:27 PM IST

झांसी: कोरोना संकट के कारण देशव्यापी लॉकडाउन से इस साल गर्मी के मौसम में बुन्देलखण्ड में पेयजल संकट के अधिक गहराने की संभावना जताई जा रही है. बड़ी संख्या में लोगों की वापसी और घरों में कैद रहने के कारण पानी की खपत में बढ़ोत्तरी हुई है. जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह ने अपने अध्ययन के हवाले से दावा किया है कि प्रति व्यक्ति पानी की खपत बढ़ने के साथ ही बुन्देलखण्ड में बड़ी पेयजल परियोजनाओं पर भी फिलहाल ब्रेक लग सकता है.

लॉकडाउन के कारण बुन्देलखण्ड में बढ़ी पानी की खपत

विश्व जल दिवस पर हुई थी अध्ययन की शुरूआत

डॉ. संजय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 25 मार्च से लागू हुए लॉकडाउन के बाद से सारे लोग घरों में रह रहे हैं. विश्व जल दिवस पर 22 मार्च को बुन्देलखण्ड में इस अध्ययन की शुरुआत हुई थी. संजय सिंह ने पांच अप्रैल तक कुछ तथ्य एकत्र किए. जल संस्थान और जल निगम के आंकड़ों के आधार पर प्रति परिवार संवाद किया गया.

पानी की खपत हुई डेढ़ गुनी

संजय सिंह बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में दिन भर स्वच्छता पर काफी पानी खर्च हो रहा है. ऐसी स्थिति में झांसी में प्रति व्यक्ति पानी की खपत 75 लीटर से बढ़कर 125 लीटर पहुंच गई. इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए दो बड़े बांधों माताटीला और पारीछा से आने वाले पानी की मात्रा की जानकारी जुटाई गई. इन दोनों बांधों से झांसी में पानी आता है.

आंकड़े बताते हैं कि जिले में पानी की खपत डेढ़ गुना हो गई है. खपत बढ़ने से आने वाले दिनों में पानी का संकट बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि बांध से पानी मिलने का निर्धारित कोटा होता है. खपत बढ़ने का असर जून में देखने को मिलेगा और मई में समस्या सामने आने की शुरुआत हो जाएगी.

पीएम के सपने पर कोरोना ने लगाया ब्रेक

संजय सिंह बताते हैं कि पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने बुन्देलखण्ड और विंध्य में पेयजल के लिए नौ हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था. इस आधार पर बहुत सारी डीपीआर बन गई थी. बहुत सारी जगहों पर योजनाओं की शुरूआत की जानी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ये सारी योजनाएं रुकी हुई हैं. उन्होंने बताया कि कुछ बजट भी आवंटित हो चुका था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2024 तक सभी घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का सपना इस कोरोना संकट के कारण प्रभावित होगा.

योजना में कटौती की संभावना

संजय सिंह बताते हैं कि मार्च के महीने में सारी योजनाएं कमीशन्ड होनी थी, इसके लिए बहुत सारी प्राइवेट एजेंसीज को यह काम मिला है. उन्होंने बताया कि टेंडर शुरू होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब सारा काम रुक गया है. आने वाले दिनों में जिस तरह योजनाओं में कटौती होगी, उसका असर इस पर भी पड़ेगा. यहां के लोगों को शुद्ध पानी के लिए अब और अधिक इंतजार करना पड़ेगा.

झांसी: कोरोना संकट के कारण देशव्यापी लॉकडाउन से इस साल गर्मी के मौसम में बुन्देलखण्ड में पेयजल संकट के अधिक गहराने की संभावना जताई जा रही है. बड़ी संख्या में लोगों की वापसी और घरों में कैद रहने के कारण पानी की खपत में बढ़ोत्तरी हुई है. जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह ने अपने अध्ययन के हवाले से दावा किया है कि प्रति व्यक्ति पानी की खपत बढ़ने के साथ ही बुन्देलखण्ड में बड़ी पेयजल परियोजनाओं पर भी फिलहाल ब्रेक लग सकता है.

लॉकडाउन के कारण बुन्देलखण्ड में बढ़ी पानी की खपत

विश्व जल दिवस पर हुई थी अध्ययन की शुरूआत

डॉ. संजय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 25 मार्च से लागू हुए लॉकडाउन के बाद से सारे लोग घरों में रह रहे हैं. विश्व जल दिवस पर 22 मार्च को बुन्देलखण्ड में इस अध्ययन की शुरुआत हुई थी. संजय सिंह ने पांच अप्रैल तक कुछ तथ्य एकत्र किए. जल संस्थान और जल निगम के आंकड़ों के आधार पर प्रति परिवार संवाद किया गया.

पानी की खपत हुई डेढ़ गुनी

संजय सिंह बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में दिन भर स्वच्छता पर काफी पानी खर्च हो रहा है. ऐसी स्थिति में झांसी में प्रति व्यक्ति पानी की खपत 75 लीटर से बढ़कर 125 लीटर पहुंच गई. इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए दो बड़े बांधों माताटीला और पारीछा से आने वाले पानी की मात्रा की जानकारी जुटाई गई. इन दोनों बांधों से झांसी में पानी आता है.

आंकड़े बताते हैं कि जिले में पानी की खपत डेढ़ गुना हो गई है. खपत बढ़ने से आने वाले दिनों में पानी का संकट बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि बांध से पानी मिलने का निर्धारित कोटा होता है. खपत बढ़ने का असर जून में देखने को मिलेगा और मई में समस्या सामने आने की शुरुआत हो जाएगी.

पीएम के सपने पर कोरोना ने लगाया ब्रेक

संजय सिंह बताते हैं कि पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने बुन्देलखण्ड और विंध्य में पेयजल के लिए नौ हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था. इस आधार पर बहुत सारी डीपीआर बन गई थी. बहुत सारी जगहों पर योजनाओं की शुरूआत की जानी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ये सारी योजनाएं रुकी हुई हैं. उन्होंने बताया कि कुछ बजट भी आवंटित हो चुका था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2024 तक सभी घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का सपना इस कोरोना संकट के कारण प्रभावित होगा.

योजना में कटौती की संभावना

संजय सिंह बताते हैं कि मार्च के महीने में सारी योजनाएं कमीशन्ड होनी थी, इसके लिए बहुत सारी प्राइवेट एजेंसीज को यह काम मिला है. उन्होंने बताया कि टेंडर शुरू होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब सारा काम रुक गया है. आने वाले दिनों में जिस तरह योजनाओं में कटौती होगी, उसका असर इस पर भी पड़ेगा. यहां के लोगों को शुद्ध पानी के लिए अब और अधिक इंतजार करना पड़ेगा.

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