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हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटा हिन्दी साहित्य भारती

झांसी में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने की मुहिम के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्य को संरक्षण देने के मकसद से हिन्दी साहित्य भारती की रविवार को 32 देशों की कार्यकारिणी घोषित की गई. इसका ऐलान रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य प्रोफेसर अरविंद कुमार ने की.

हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटा हिन्दी साहित्य भारती
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Published : Jul 11, 2021, 3:39 PM IST

Updated : Jul 11, 2021, 4:43 PM IST

झांसी: हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्य को संरक्षण व प्रोत्साहन देने के मकसद से स्थापित संस्था हिन्दी साहित्य भारती की रविवार को 32 देशों की कार्यकारिणी घोषित की गई. लगभग एक वर्ष पूर्व स्थापित यह संस्था देश के बाहर विश्व के 32 देशों में फैल चुकी है और देश के 27 राज्यों में इसकी कार्यकारिणी का गठन हो चुका है. रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य प्रोफेसर अरविंद कुमार ने रविवार को झांसी में प्रेस कांफ्रेंस कर कार्यकारिणी का ऐलान किया.




हिन्दी साहित्य भारती का गठन 15 जुलाई 2020 को झांसी में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व डॉ. रवींद्र शुक्ल ने किया था. पूर्व राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. विष्णु पंड्या, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार सहित ग्यारह ख्यातिप्राप्त लोग इसके मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं. हिन्दी भाषा को संविधान में राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के मकसद से संस्था से जुड़े सदस्यों और विद्वानों की ओर से पन्द्रह हज़ार पत्र राष्ट्रपति को लिखने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटा हिन्दी साहित्य भारती
मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार ने बताया कि आज हम हिन्दी साहित्य भारती का गठन कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घोषणा कर रहे हैं. विश्व के 32 देशों में हिन्दी साहित्य भारती की कार्यकारिणी गठित की जा चुकी है. हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना और हिन्दी भाषा को बहुमूल्य भाषा बनाने का हमारा लक्ष्य है.

झांसी: हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्य को संरक्षण व प्रोत्साहन देने के मकसद से स्थापित संस्था हिन्दी साहित्य भारती की रविवार को 32 देशों की कार्यकारिणी घोषित की गई. लगभग एक वर्ष पूर्व स्थापित यह संस्था देश के बाहर विश्व के 32 देशों में फैल चुकी है और देश के 27 राज्यों में इसकी कार्यकारिणी का गठन हो चुका है. रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य प्रोफेसर अरविंद कुमार ने रविवार को झांसी में प्रेस कांफ्रेंस कर कार्यकारिणी का ऐलान किया.




हिन्दी साहित्य भारती का गठन 15 जुलाई 2020 को झांसी में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व डॉ. रवींद्र शुक्ल ने किया था. पूर्व राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. विष्णु पंड्या, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार सहित ग्यारह ख्यातिप्राप्त लोग इसके मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं. हिन्दी भाषा को संविधान में राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के मकसद से संस्था से जुड़े सदस्यों और विद्वानों की ओर से पन्द्रह हज़ार पत्र राष्ट्रपति को लिखने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटा हिन्दी साहित्य भारती
मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार ने बताया कि आज हम हिन्दी साहित्य भारती का गठन कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घोषणा कर रहे हैं. विश्व के 32 देशों में हिन्दी साहित्य भारती की कार्यकारिणी गठित की जा चुकी है. हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना और हिन्दी भाषा को बहुमूल्य भाषा बनाने का हमारा लक्ष्य है.
Last Updated : Jul 11, 2021, 4:43 PM IST
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