झांसी: कभी सूखे की मार, कभी बेमौसम ओलावृष्टि तो कभी अन्ना जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट कर देना, इन्हीं समस्याओं से ग्रस्त हो चुकी है किसानों की जिंदगी. सरकार चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन अंत में जब परेशानियों और कर्ज से पीड़ित किसान आत्महत्या कर लेता है तो वहां सरकार के दावे विफल होते नजर आते हैं. चलिए जानते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से झांसी में किसानों के हालात...
एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक झांसी में 65 हजार से अधिक आवारा गोवंश सड़कों पर और खेतों में घूम रहे हैं. इस आंकड़े से एक बात तो साफ है कि अन्ना जानवरों से किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए कितनी परेशानी उठानी पड़ती होगी.
क्षमता से चार गुना आवारा गोवंश
एक अनुमान के मुताबिक झांसी में अभी 15 से 20 हजार तक गोवंशों को रखने लायक आश्रय स्थल उपलब्ध हैं, जबकि चिह्नित आवारा गोवंशों की संख्या 65 हजार से अधिक बताई जा रही है. ऐसे में सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को आश्रय स्थल तक पहुंचा पाना एक बड़ी चुनौती है. इतने सारे गोवंशों को रखने के लिए फिलहाल तो जनपद में कोई व्यवस्था नहीं है.
ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का कारण
आवारा गोवंश उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का बड़ा कारण बनते हैं, जब खेतों में फसल खड़ी होती है. खेतों की रखवाली के दौरान गाय खदेड़ने और दूसरों के खेतों में घुस जाने के कारण हर साल यहां विवाद की स्थिति पैदा होती है. कई जगह तो गांव के लोगों को समूह बनाकर खेतों की रातों में जागकर रखवाली करनी पड़ती है.
कैसे सुधरेंगे हालात
हालात साफ हैं कि झांसी में सरकार द्वारा अन्ना जानवरों को आश्रय देने के दांवे फेल है, क्योंकि यहां जरूरत से ज्यादा संख्या में अन्ना जानवर सड़कों और खेतों में घूम रहे हैं.