ETV Bharat / state

झांसी: अन्ना जानवरों से किसान परेशान, रात-दिन करते हैं खेतों की रखवाली - अन्ना जानवरों से किसान परेशान

उत्तर प्रदेश के झांसी में किसानों को अन्ना जानवरों के चलते काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अन्ना जानवर किसान की फसलों को खाते हैं और बर्बाद करते हैं, जिससे किसानों को रात-दिन खेतों की रखवाली करनी पड़ती है.

अन्ना जानवरों से किसान परेशान.
author img

By

Published : Nov 7, 2019, 7:58 AM IST

झांसी: कभी सूखे की मार, कभी बेमौसम ओलावृष्टि तो कभी अन्ना जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट कर देना, इन्हीं समस्याओं से ग्रस्त हो चुकी है किसानों की जिंदगी. सरकार चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन अंत में जब परेशानियों और कर्ज से पीड़ित किसान आत्महत्या कर लेता है तो वहां सरकार के दावे विफल होते नजर आते हैं. चलिए जानते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से झांसी में किसानों के हालात...

अन्ना जानवरों से किसान परेशान.

एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक झांसी में 65 हजार से अधिक आवारा गोवंश सड़कों पर और खेतों में घूम रहे हैं. इस आंकड़े से एक बात तो साफ है कि अन्ना जानवरों से किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए कितनी परेशानी उठानी पड़ती होगी.

क्षमता से चार गुना आवारा गोवंश
एक अनुमान के मुताबिक झांसी में अभी 15 से 20 हजार तक गोवंशों को रखने लायक आश्रय स्थल उपलब्ध हैं, जबकि चिह्नित आवारा गोवंशों की संख्या 65 हजार से अधिक बताई जा रही है. ऐसे में सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को आश्रय स्थल तक पहुंचा पाना एक बड़ी चुनौती है. इतने सारे गोवंशों को रखने के लिए फिलहाल तो जनपद में कोई व्यवस्था नहीं है.

ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का कारण
आवारा गोवंश उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का बड़ा कारण बनते हैं, जब खेतों में फसल खड़ी होती है. खेतों की रखवाली के दौरान गाय खदेड़ने और दूसरों के खेतों में घुस जाने के कारण हर साल यहां विवाद की स्थिति पैदा होती है. कई जगह तो गांव के लोगों को समूह बनाकर खेतों की रातों में जागकर रखवाली करनी पड़ती है.

कैसे सुधरेंगे हालात
हालात साफ हैं कि झांसी में सरकार द्वारा अन्ना जानवरों को आश्रय देने के दांवे फेल है, क्योंकि यहां जरूरत से ज्यादा संख्या में अन्ना जानवर सड़कों और खेतों में घूम रहे हैं.

झांसी: कभी सूखे की मार, कभी बेमौसम ओलावृष्टि तो कभी अन्ना जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट कर देना, इन्हीं समस्याओं से ग्रस्त हो चुकी है किसानों की जिंदगी. सरकार चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन अंत में जब परेशानियों और कर्ज से पीड़ित किसान आत्महत्या कर लेता है तो वहां सरकार के दावे विफल होते नजर आते हैं. चलिए जानते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से झांसी में किसानों के हालात...

अन्ना जानवरों से किसान परेशान.

एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक झांसी में 65 हजार से अधिक आवारा गोवंश सड़कों पर और खेतों में घूम रहे हैं. इस आंकड़े से एक बात तो साफ है कि अन्ना जानवरों से किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए कितनी परेशानी उठानी पड़ती होगी.

क्षमता से चार गुना आवारा गोवंश
एक अनुमान के मुताबिक झांसी में अभी 15 से 20 हजार तक गोवंशों को रखने लायक आश्रय स्थल उपलब्ध हैं, जबकि चिह्नित आवारा गोवंशों की संख्या 65 हजार से अधिक बताई जा रही है. ऐसे में सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को आश्रय स्थल तक पहुंचा पाना एक बड़ी चुनौती है. इतने सारे गोवंशों को रखने के लिए फिलहाल तो जनपद में कोई व्यवस्था नहीं है.

ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का कारण
आवारा गोवंश उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का बड़ा कारण बनते हैं, जब खेतों में फसल खड़ी होती है. खेतों की रखवाली के दौरान गाय खदेड़ने और दूसरों के खेतों में घुस जाने के कारण हर साल यहां विवाद की स्थिति पैदा होती है. कई जगह तो गांव के लोगों को समूह बनाकर खेतों की रातों में जागकर रखवाली करनी पड़ती है.

कैसे सुधरेंगे हालात
हालात साफ हैं कि झांसी में सरकार द्वारा अन्ना जानवरों को आश्रय देने के दांवे फेल है, क्योंकि यहां जरूरत से ज्यादा संख्या में अन्ना जानवर सड़कों और खेतों में घूम रहे हैं.

Intro:नोट - यह खबर सुबह सूरज मिश्रा जी ने करने के लिए कहा था।

झांसी. बुन्देलखण्ड के किसान कभी सूखे का सामना करते हैं तो कभी बेमौसम की ओलावृष्टि का। कुदरत के इस कहर से किसी तरह बच भी जाएं तो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है आवारा जानवरों से अपनी फसलों को बचा लेना। अकेले झांसी जनपद में एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक 65 हज़ार से अधिक आवारा गौवंश सड़कों पर और खेतों में घूम रहे हैं। ऐसे में बेहद आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों के लिए ये आवारा जानवर कितनी बड़ी चुनौती हैं।


Body:क्षमता से चार गुना आवारा गौवंश

एक अनुमान के मुताबिक झांसी जनपद में अभी 15 से 20 हज़ार तक गौवंशों को रखने लायक आश्रय स्थल उपलब्ध है जबकि चिह्नित आवारा गौवंशों की संख्या 65 हज़ार से अधिक बताई जा रही है। ऐसे में अभी भी सड़क पर घूम रहे गौवंशों को आश्रय स्थल तक पहुँचा पाना एक बड़ी चुनौती है। इतने सारे गौवंशों को रखने के लिये फ़िलहाल तो पूरी व्यवस्था होती नहीं दिख रही।

सड़क दुर्घटनाओं का बन रही कारण

आवारा जानवरों को बुन्देलखण्ड में अन्ना कहा जाता है। यहां जानवरों को आवारा छोड़ देने की परंपरा को अन्ना प्रथा कहा जाता है। सड़कों पर ये आवारा गौवंश एक ओर जहां चार पहिया वाहनों की स्पीड पर ब्रेक लगाते हैं तो दूसरी ओर ऐसी दुर्घटनाओं में गौवंशों की भी मौत होती है। झांसी के मोठ, चिरगांव, मऊरानीपुर, बबीना की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर आए दिन गौवंश की मौत वाहनों की चपेट में आकर होती है।




Conclusion:ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का कारण

आवारा गौवंश उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद का बड़ा कारण बनते हैं जब खेतों में फसल खड़ी होती है। खेतों की रखवाली के दौरान गाय खदेड़ने और दूसरों के खेतों में घुस जाने के कारण हर साल विवाद की स्थिति पैदा होती है। कई जगह तो गांव के लोगों को समूह बनाकर खेतों की रातों में जागकर रखवाली करनी पड़ती है। गरौठा तहसील क्षेत्र के रहने वाले किसान रघुनाथ बताते हैं कि यहां आवारा जानवरों को खेतों में पहुँचने से रोकने के लिए गांव के लोगों को बारी-बारी से निगरानी की जिम्मेदारी दी जाती है।

कैसे सुधरेंगे हालात

भारतीय किसान यूनियन के बुन्देलखण्ड प्रभारी शिव नारायण परिहार कहते हैं कि आवारा गौवंश बुन्देलखण्ड के किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। यहां गांव-गांव में गौ आश्रय स्थल बनाये जाने के दावे हुए थे लेकिन सड़कों पर गौवंशों की भीड़ देखकर पता चल जाता है कि सरकारी वादे किस हद तक पूरे हुए। झांसी के मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुण्डे बताते हैं कि जनपद में ग्राम पंचायत स्तर तक गौ आश्रय स्थल बनाये जा रहे हैं। गौवंश किसानों की फसल को नुकसान पहुँचाने के साथ ही दुर्घटना का भी कारण बनते हैं। आने वाले दिनों में सभी गौवंशों को आश्रय स्थल तक पहुँचाने की व्यवस्था कर ली जाएगी।

बाइट - भागीरथ - किसान
बाइट - शिव नारायण परिहार - किसान नेता
बाइट - निखिल टीकाराम फुण्डे - मुख्य विकास अधिकारी
पीटीसी

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.