झांसी: बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में बुंदेली पीठ और बुंदेली संग्रहालय की स्थापना के लिए एक साल पहले भेजे गए प्रस्ताव को अभी तक शासन की मंजूरी नहीं मिल सकी है. शासन ने बजट की कमी का हवाला देकर फिलहाल इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. दूसरी ओर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का कहना है कि प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाने की कोशिश चल रही है.
दरअसल, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने लगभग एक साल पहके एक विस्तृत प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा था. प्रस्ताव में बुंदेली संस्कृति के अध्ययन, बुंदेली पाठ्य पुस्तकों के संग्रहण, बुंदेली साहित्य से जुड़े विद्वानों को मंच देने, बुंदेली संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से संग्रहालय की स्थापना की बात है. इस प्रस्तावित संग्रहालय में बुंदेली वेशभूषा, वाद्ययंत्र, बुन्देली लोककलाओं के प्रदर्शन की भी योजना शामिल है. देश के अन्य हिस्सों में भाषाई और सांस्कृतिक संग्रहालयों की तर्ज पर इस तरह के संग्रहालय के प्रस्ताव का दावा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय कर रहा है.
एक साल से लंबित है प्रस्ताव
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुनीत बिसारिया के मुताबिक प्रस्ताव लगभग एक वर्ष पहले उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा गया था. यह प्रस्ताव लंबित है. शासन द्वारा वित्तीय मितव्ययिता को देखते हुए इस तरह के प्रस्ताव को फिलहाल अनुमति नहीं मिल रही है. डॉ. बिसारिया के मुताबिक आशा है कि शीघ्र ही उत्तर प्रदेश सरकार इस प्रस्ताव पर फंड मुहैया कराएगी और इस प्रकार के पीठ और संग्रहालय को स्थापित करने की अनुमति देगी. यहां के निवासी, विद्यार्थी और बुन्देलखण्ड की संस्कृति का अध्ययन करने वाले लोग ऐसे सृजन पीठ और संग्रहालय से लाभान्वित हो सकेंगे.
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