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झांसी: 20 रुपये की इस दवा से हो सकता है पराली का प्रबंधन

उत्तर प्रदेश के झांसी में खेतों में पराली की समस्या पर काबू पाने के लिए वेस्ट डिकम्पोजर नाम की दवा तैयार की गई है. बता दें कि यह दवा किसानों की पराली की समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकती है.

के के सिंह, कृषि उप निदेशक.
के के सिंह, कृषि उप निदेशक.
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Published : Oct 14, 2020, 3:43 PM IST

झांसी: खेतों में पराली की समस्या पर काबू पाने के लिए वेस्ट डिकम्पोजर नाम की दवा किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. बीस रुपये कीमत का यह कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने तैयार किया है. झांसी के कृषि विभाग के उप निदेशक के के सिंह के मुताबिक यह दवा किसानों की पराली की समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकती है.

पराली के निस्तारण के लिए दवा तैयार.

सात दिन में तैयार होता है घोल
कृषि विभाग के उप निदेशक के के सिंह बताते हैं कि यह दवा वेस्ट डिकम्पोजर के नाम से बाजार में उपलब्ध है, जिसकी कीमत महज बीस रुपये है. किसान इसका प्रयोग किसी ड्रम के 200 लीटर पानी और दो किलो गुड़ के साथ घोल बनाकर उसमें दवा मिला दें. फिर एक सप्ताह तक लगातार इसे डंडे से हिलाते रहें, जिससे सात दिनों में यह घोल इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाता है.

दस बार तैयार कर सकते हैं घोल
के के सिंह के मुताबिक किसान किसी गड्ढे में पराली को एकत्र कर इस दवा को छिड़क दें, जो कि 200 लीटर का घोल तैयार होगा. साथ ही इसमें बीस लीटर लिक्विड बचाकर रखें. इस घोल को इस तरह से 10 बार तैयार कर सकते हैं. यह घोल दस दिन में पराली को गलाकर उसे खाद के रूप में परिवर्तित कर देता है. किसान इसका खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं और इस तरह पराली का प्रबंधन भी हो सकता है.

झांसी: खेतों में पराली की समस्या पर काबू पाने के लिए वेस्ट डिकम्पोजर नाम की दवा किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. बीस रुपये कीमत का यह कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने तैयार किया है. झांसी के कृषि विभाग के उप निदेशक के के सिंह के मुताबिक यह दवा किसानों की पराली की समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकती है.

पराली के निस्तारण के लिए दवा तैयार.

सात दिन में तैयार होता है घोल
कृषि विभाग के उप निदेशक के के सिंह बताते हैं कि यह दवा वेस्ट डिकम्पोजर के नाम से बाजार में उपलब्ध है, जिसकी कीमत महज बीस रुपये है. किसान इसका प्रयोग किसी ड्रम के 200 लीटर पानी और दो किलो गुड़ के साथ घोल बनाकर उसमें दवा मिला दें. फिर एक सप्ताह तक लगातार इसे डंडे से हिलाते रहें, जिससे सात दिनों में यह घोल इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाता है.

दस बार तैयार कर सकते हैं घोल
के के सिंह के मुताबिक किसान किसी गड्ढे में पराली को एकत्र कर इस दवा को छिड़क दें, जो कि 200 लीटर का घोल तैयार होगा. साथ ही इसमें बीस लीटर लिक्विड बचाकर रखें. इस घोल को इस तरह से 10 बार तैयार कर सकते हैं. यह घोल दस दिन में पराली को गलाकर उसे खाद के रूप में परिवर्तित कर देता है. किसान इसका खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं और इस तरह पराली का प्रबंधन भी हो सकता है.

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