झांसी: महाभारत ग्रंथ के एक लाख से अधिक श्लोकों का हिन्दी काव्य अनुवाद करने में डॉ रमेश चन्द्र वर्मा पिछले 25 सालों से लगे हैं. केंद्रीय विद्यालय से शिक्षक के रूप में साल 2017 में रिटायर हुए डॉ वर्मा काव्य अनुवाद के काम को इन दिनों अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. श्लोकों के हिन्दी अनुवाद की मदद से इन्हें विभिन्न तरह के छंदों में बदलकर और काव्य का रूप देने के बाद प्रकाशित कराने का लक्ष्य है.
डॉ रमेश चन्द्र वर्मा महाभारत के श्लोकों दे रहे हैं छंद का रूप
ईटीवी भारत से बातचीत में डॉ रमेश चन्द्र वर्मा ने बताया कि महाभारत में एक लाख श्लोक हैं, उन सभी को विभिन्न छंदों का उपयोग करते हुए काव्यबद्ध करते हुए आगे बढ़ रहा हूं. इस काम को करते हुए 25 साल हो गए हैं. रिटायर होने के बाद इस पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे पा रहा हूं, उम्मीद है कि डेढ़ साल में इसे पूरा कर समाज के सामने ला पाऊंगा. वहीं खुद ही श्लोकों को टाइप कर रहा हूं. टाइप होने के बाद इन्हें प्रेस में दिया जायेगा. मेरा प्रयास है कि यह अनूठी रचना दुनिया के सामने आ सके.
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डॉ वर्मा को बचपन से ही था लिखने का शौक
डॉ वर्मा ने आगे बताया कि लिखने की प्रवृत्ति बचपन से ही थी और मैं गांव में होने वाले नाटक में भाग लिया करता था. वहीं नाटक के हम निर्देशक होते थे, लोगों को नाटक पसंद आने लगा तो धीरे-धीरे बारातों में ले जाने लगे. नाटक का मुख्य किरदार भी मैं ही निभाते था और अभिमन्यु का रोल मैं खुद करता ही किया करता था. नौकरी में आने के बाद मैंने लिखने की शुरुआत की. इसमें आधे से ज्यादा काम हो चुका है. लगभग एक हजार से अधिक पेज मैं टाइप कर चुका हूं. अनुमान है कि यह 20 से 25 हजार पेज तक जाना चाहिए.