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एनेस्थीसिया देते समय सांस की नली में फंसी थी सिरिंज, डॉक्टरों ने निकाला - एनेस्थीसिया

यूपी के झांसी में डॉक्टरों की टीम ने एक मरीज के सांस की नली में फंसी नीडिल निकालकर उसकी जान बचाई है. डॉक्टर ने बताया कि एनेस्थीसिया देते समय सिरिंज की नीडिल सांस की नली में चली गई थी.

एनेस्थीसिया देते समय सांस की नली में फंसी सिरिंज
एनेस्थीसिया देते समय सांस की नली में फंसी सिरिंज
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Published : Apr 11, 2021, 6:09 PM IST

झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने एक मरीज के सांस की नली में फंसी सिरिंज की नीडिल को ब्रांकोस्कोपी के माध्यम से निकालकर उसकी जान बचाने में सफलता हासिल की है. बता दें कि इलाज में देरी से मरीज की मौत भी हो सकती थी.

जानकारी देते डॉक्टर.

सांस लेने में हो रही थी दिक्कत
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के करैरा के रहने वाले 37 वर्षीय आईटीबीपी जवान लल्लन का झांसी के एक डॉक्टर के यहां इलाज होना था. गुरुवार को मरीज को लोकल एनेस्थीसिया देते समय सिरिंज की नीडिल सांस की नली में चली गई. इसके बाद मरीज को खांसी आने लगी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी. मरीज के परिजनों ने कई ईएनटी डॉक्टरों से सम्पर्क किया लेकिन, सभी ने मना कर दिया. इस बात की जानकारी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के हेड डॉ. जितेंद्र यादव को दी गई लेकिन, उनकी ड्यूटी कोविड अस्पताल में लगी हुई थी. मरीज की जिंदगी को खतरे में देखकर डॉ. जितेंद्र ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से अनुमति ली और टीम के साथ सांस की नली में फंसी सिरिंज की नीडिल निकालने में सफलता हासिल की.

झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने एक मरीज के सांस की नली में फंसी सिरिंज की नीडिल को ब्रांकोस्कोपी के माध्यम से निकालकर उसकी जान बचाने में सफलता हासिल की है. बता दें कि इलाज में देरी से मरीज की मौत भी हो सकती थी.

जानकारी देते डॉक्टर.

सांस लेने में हो रही थी दिक्कत
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के करैरा के रहने वाले 37 वर्षीय आईटीबीपी जवान लल्लन का झांसी के एक डॉक्टर के यहां इलाज होना था. गुरुवार को मरीज को लोकल एनेस्थीसिया देते समय सिरिंज की नीडिल सांस की नली में चली गई. इसके बाद मरीज को खांसी आने लगी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी. मरीज के परिजनों ने कई ईएनटी डॉक्टरों से सम्पर्क किया लेकिन, सभी ने मना कर दिया. इस बात की जानकारी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के हेड डॉ. जितेंद्र यादव को दी गई लेकिन, उनकी ड्यूटी कोविड अस्पताल में लगी हुई थी. मरीज की जिंदगी को खतरे में देखकर डॉ. जितेंद्र ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से अनुमति ली और टीम के साथ सांस की नली में फंसी सिरिंज की नीडिल निकालने में सफलता हासिल की.

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