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पैसे न होने पर नवजात को मां से छीना, अस्पताल प्रशासन ने पिता को दी जहर खाने की सलाह - doctor did not give child to family

झांसी जिले के एक निजी अस्पताल में चिकित्सक ने नवजात को भर्ती कर लिया. वहीं, परिजनों के पास इलाज का भुगतान करने के लिए पैसे न होने पर डॉक्टर ने बच्चा देने से मना कर दिया. बच्चे के पिता और मां ने एसएसपी ऑफिस पहुंचकर न्याय की मांग की.

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डॉक्टर कुलदीप त्रिवेदी
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Published : Aug 16, 2022, 10:09 PM IST

झांसीः जिले में मंगलवार को इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां परिजनों के पास इलाज का भुगतान करने के लिए पैसे न होने पर डॉक्टर ने एक नवजात शिशु को पिछले 6 दिनों से उसकी मां से अलग रखा. इतना ही नहीं, नवजात के पिता को जहर खाकर मर जाने की सलाह भी डॉक्टर साहब ने दे डाली.

पीड़ित पिता

राजगढ़ निवासी नवजात बच्चे के पिता राजा ने बताया कि 9 अगस्त को मां शारदा हॉस्पिटल में रानी ने एक बच्चे को जन्म दिया था. बच्चे की हालत नाजुक होने पर उसको दूसरे निजी अस्पताल मातृत्व में भर्ती कराया गया. अब उनको उनका बेटा नहीं मिल पा रहा है. आर्थिक तंगी से गुजर रहे राजा ने कहा कि अस्पताल के लोग कह रहे हैं या तो 20 हजार रुपये लेकर आओ, नहीं तो जहर खा लो. अब राजा इस बात पर तैयार है कि वह मजदूरी करके अस्पताल के पैसे चुका देगा, लेकिन एक बच्चे को मां से अलग न रखा जाए.

वहीं, इस मामले में डॉक्टर कुलदीप त्रिवेदी ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि नवजात शिशु के पिता की आइडेंटिटी नहीं मिल रही है. इसलिए अब बच्चे को कानूनी प्रक्रिया के तहत वापस दिया जाएगा. गौरतलब है कि इसी मातृत्व अस्पताल में आज से कुछ दिन पहले एक नवजात शिशु की इलाज में लापरवाही करने के दौरान मौत हो गई थी और परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा था. इस अस्पताल का यह कोई पहला मामला नहीं है. परिजनों के साथ अस्पताल के कर्मचारियों ने मामले की शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.

मामला बढ़ता हुआ देख डॉक्टर कुलदीप नवजात शिशु को लेकर थाना नवाबाद पहुंचे. यहां पर उन्होंने नवजात शिशु को हेल्प डेस्क के सामने उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया. साथ ही अस्पताल का बकाया भुगतान भी नहीं लिया. विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज ने बताया कि बच्चों को अस्पताल में भर्ती करते समय परिजनों ने बच्चे के पिता का नाम सुनील लिखवाया गया था, जबकि महिला का सुनील से अलग हो गई है. महिला राजा के साथ पिछले डेढ़ साल से रह रही है और यह बच्चा इन दोनों का ही है.

पढ़ेंः जमीनी विवाद में दो पक्षों में खूनी संघर्ष, चार गिरफ्तार

पिता का नाम सुनील लिखा जाने पर और सुनील के उपस्थित न होने पर इस मामले में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी. जिसकी वजह से डॉक्टर ने बच्चे को इनके परिजनों को सौंपने में घबरा रहे थे. इस वजह से नवजात शिशु को उनके मां-बाप यानी कि राजा और रानी को नहीं सौंपा जा रहा था. पुलिस के इस मामले में छानबीन करने के बाद बच्चे को उसकी मां रानी और उसके पिता राजा के सुपुर्द कर दिया गया है.

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झांसीः जिले में मंगलवार को इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां परिजनों के पास इलाज का भुगतान करने के लिए पैसे न होने पर डॉक्टर ने एक नवजात शिशु को पिछले 6 दिनों से उसकी मां से अलग रखा. इतना ही नहीं, नवजात के पिता को जहर खाकर मर जाने की सलाह भी डॉक्टर साहब ने दे डाली.

पीड़ित पिता

राजगढ़ निवासी नवजात बच्चे के पिता राजा ने बताया कि 9 अगस्त को मां शारदा हॉस्पिटल में रानी ने एक बच्चे को जन्म दिया था. बच्चे की हालत नाजुक होने पर उसको दूसरे निजी अस्पताल मातृत्व में भर्ती कराया गया. अब उनको उनका बेटा नहीं मिल पा रहा है. आर्थिक तंगी से गुजर रहे राजा ने कहा कि अस्पताल के लोग कह रहे हैं या तो 20 हजार रुपये लेकर आओ, नहीं तो जहर खा लो. अब राजा इस बात पर तैयार है कि वह मजदूरी करके अस्पताल के पैसे चुका देगा, लेकिन एक बच्चे को मां से अलग न रखा जाए.

वहीं, इस मामले में डॉक्टर कुलदीप त्रिवेदी ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि नवजात शिशु के पिता की आइडेंटिटी नहीं मिल रही है. इसलिए अब बच्चे को कानूनी प्रक्रिया के तहत वापस दिया जाएगा. गौरतलब है कि इसी मातृत्व अस्पताल में आज से कुछ दिन पहले एक नवजात शिशु की इलाज में लापरवाही करने के दौरान मौत हो गई थी और परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा था. इस अस्पताल का यह कोई पहला मामला नहीं है. परिजनों के साथ अस्पताल के कर्मचारियों ने मामले की शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.

मामला बढ़ता हुआ देख डॉक्टर कुलदीप नवजात शिशु को लेकर थाना नवाबाद पहुंचे. यहां पर उन्होंने नवजात शिशु को हेल्प डेस्क के सामने उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया. साथ ही अस्पताल का बकाया भुगतान भी नहीं लिया. विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज ने बताया कि बच्चों को अस्पताल में भर्ती करते समय परिजनों ने बच्चे के पिता का नाम सुनील लिखवाया गया था, जबकि महिला का सुनील से अलग हो गई है. महिला राजा के साथ पिछले डेढ़ साल से रह रही है और यह बच्चा इन दोनों का ही है.

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पिता का नाम सुनील लिखा जाने पर और सुनील के उपस्थित न होने पर इस मामले में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी. जिसकी वजह से डॉक्टर ने बच्चे को इनके परिजनों को सौंपने में घबरा रहे थे. इस वजह से नवजात शिशु को उनके मां-बाप यानी कि राजा और रानी को नहीं सौंपा जा रहा था. पुलिस के इस मामले में छानबीन करने के बाद बच्चे को उसकी मां रानी और उसके पिता राजा के सुपुर्द कर दिया गया है.

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