जौनपुर: कोरोना वायरस का कहर देश में जारी है. देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन लागू है. इस दौरान जनपद में मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है. तनाव और अन्य कारणों से आत्महत्या करने के मामले में भारी गिरावट दर्ज हुई है. वहीं सड़क पर हादसों की संख्या भी काफी कम हुई है.
'श्मशान घाट पर दिखा लॉकडाउन का असर'
लॉकडाउन का असर अब श्मशान घाट पर दिखाई दे रहा है. जौनपुर में रामघाट गोमती नदी के किनारे प्रमुख श्मशान घाट है. इस श्मशान घाट पर पहले जहां 50 से लेकर 100 दाह संस्कार प्रतिदिन होते थे. आज यह घट के 8 से 10 रह गए हैं. दाह संस्कार की गिरती संख्या की वजह से अब श्मशान घाट पर सन्नाटा पसरा हुआ है.
लोगों के लिए शुभ संकेत
लॉकडाउन के चलते जहां लोग घरों में रहकर सरकार के निर्देश का कड़ाई से पालन कर रहे हैं तो वहीं इससे लोगों को जीवनदान भी मिल रहा है. श्मशान घाट के साथ पोस्टमार्टम गृह पर भी सन्नाटे से लोग अब लॉकडाउन की वजह से जीवनदान की बात को स्वीकार करने लगे हैं, जो इस महामारी के दौर में एक शुभ संकेत भी है.
इन लोगों में छाई निराशा
गोमती नदी किनारे स्थित रामघाट श्मशान घाट पर सन्नाटा पसरा हुआ है. इस सन्नाटे के कारण जहां पर लकड़ी और दाह संस्कार से रोजी-रोटी कमाने वाले लोग परेशान हैं तो वहीं श्मशान घाट पर शांति की वजह से आसपास के लोग भी काफी खुश हैं.
मृत्युदर में आई गिरावट
घरों में रहने की वजह से लोगों का तनाव कम हो रहा है तो वह बीमार भी कम पड़ रहे हैं. ऐसे हालात में जनपद में मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है. रामघाट शमशान घाट पर दाह संस्कार के लिए लकड़ी बेचने वाले का काम करने वाले गोरख बताते हैं कि पहले 40 से 50 दाह संस्कार प्रतिदिन होते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण इन दिनों यह संख्या काफी घट गई है. अब प्रतिदिन 8 से 10 लाशें ही आ रही है.
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'सड़क हादसों और अपराध की घटनाओं में आई कमी'
रामघाट श्मशान सेवा समिति के प्रमुख रतन सिंह चौहान बताते हैं कि इस श्मशान घाट पर सन्नाटा पसरा हुआ है, क्योंकि कोरोना के चलते मरने वालों की संख्या कम हो गई है. उन्होंने बताया कि पहले श्मशान घाट पर 40- 50 से लेकर 100 तक दाह संस्कार होते थे, लेकिन इन दिनों यह संख्या दहाई भी नहीं पहुंच पा रही है. इसके पीछे सड़क हादसे का कम होना और अपराध की संख्या में गिरावट भी प्रमुख कारण है.