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जौनपुर: सरकारी अस्पतालों में पैदा नवजातों में 35 फ़ीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार!

उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं के सफलताओं के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. जिले में पैदा हो रहे नवजात बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जिससे यह साफ नजर आ रहा कि सरकार की जननी सुरक्षा योजना का लोग लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

कुपोष्ण से मर रहे नवजाल बच्चे.
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Published : Aug 26, 2019, 11:15 PM IST

जौनपुर: एक तरफ जहां सरकार ने जनता के फायदे के लिए कई योजनाएं बनाई है, तो वहीं कई लोगों तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार ने जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से प्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता दिखाई है. योजना में सिर्फ मां ही नहीं बल्कि नवजात बच्चों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए हर साल हजारों करोड़ों रुपए सरकार खर्च कर रही है.

कुपोषण से नवजात बच्चों की हो रही मौत.

जिले में कई नवजात बच्चों के कुपोषित होने की खबर सामने आई है. जिले के सरकारी अस्पताल में पैदा होने वाले नवजात बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों तक अभी भी कई योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है.

नवजात बच्चों ने खोली सरकार की पोल-
कुपोषित बच्चे सामान्य बच्चों से कम वजन के होते हैं, जिसके कारण इन बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है. वहीं इन कुपोषित बच्चों के अंग भी कम विकसित होते हैं. हालांकि यही कारणों की वजह से इन बच्चों में मृत्यु दर भी अधिक होती है. इन सभी बातों पर गौर करने से यह पता चल रहा है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को कितना सफलता मिल रही है. वहीं सरकार की इन योजनाओं पर सफलताओं के दावे पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.


अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कम वजन के हैं. वहीं इन बच्चों को विशेष निगरानी में रखा जाता है. जिला महिला अस्पताल में आठ मशीनें ही एसएनसीयू में है, जिनमें इन कमजोर बच्चों को रखा जाता है. ऐसे में बहुत से बच्चे सरकार की इस सुविधा के लाभ से भी वंचित रह जाते हैं.
-डॉ. आर के सरोज, अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल, जौनपुर

जौनपुर: एक तरफ जहां सरकार ने जनता के फायदे के लिए कई योजनाएं बनाई है, तो वहीं कई लोगों तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार ने जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से प्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता दिखाई है. योजना में सिर्फ मां ही नहीं बल्कि नवजात बच्चों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए हर साल हजारों करोड़ों रुपए सरकार खर्च कर रही है.

कुपोषण से नवजात बच्चों की हो रही मौत.

जिले में कई नवजात बच्चों के कुपोषित होने की खबर सामने आई है. जिले के सरकारी अस्पताल में पैदा होने वाले नवजात बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों तक अभी भी कई योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है.

नवजात बच्चों ने खोली सरकार की पोल-
कुपोषित बच्चे सामान्य बच्चों से कम वजन के होते हैं, जिसके कारण इन बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है. वहीं इन कुपोषित बच्चों के अंग भी कम विकसित होते हैं. हालांकि यही कारणों की वजह से इन बच्चों में मृत्यु दर भी अधिक होती है. इन सभी बातों पर गौर करने से यह पता चल रहा है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को कितना सफलता मिल रही है. वहीं सरकार की इन योजनाओं पर सफलताओं के दावे पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.


अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों में 35 फीसदी बच्चे कम वजन के हैं. वहीं इन बच्चों को विशेष निगरानी में रखा जाता है. जिला महिला अस्पताल में आठ मशीनें ही एसएनसीयू में है, जिनमें इन कमजोर बच्चों को रखा जाता है. ऐसे में बहुत से बच्चे सरकार की इस सुविधा के लाभ से भी वंचित रह जाते हैं.
-डॉ. आर के सरोज, अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल, जौनपुर

Intro:जौनपुर।। सरकार जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से जहां प्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पैदा होने वाले नवजात बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर साल हजारों करोड रुपए खर्च कर रही है लेकिन वही सरकार की इन योजनाओं का बड़ा फायदा लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। जौनपुर के सरकारी अस्पतालों में पैदा होने वाले नवजात बच्चों में 35 फ़ीसदी बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं । यह बच्चे सामान्य बच्चों से कम वजन के होते हैं जिसके कारण इन बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। वही इन कुपोषित बच्चों के अंग भी कम विकसित होते हैं । इसी कारण इन बच्चों में मृत्यु दर भी अधिक होती है । ऐसे में जनपद में नवजात बच्चों के लिए सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की सफलता पर बड़ा सवाल भी खड़ा होता है।


Body:वीओ।। जौनपुर के सरकारी अस्पतालों में तो रोज सैकड़ों की संख्या में प्रसव होता है। जनपद में पैदा होने वाले नवजात बच्चों कि आंकड़ों ने सरकारी योजनाओं की सफलता के दावों की पोल खोल दी है । सरकारी अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों में 35 फ़ीसदी बच्चे कम वजन के पैदा हो रहे हैं जिनको एसएनसीयू में रखा जाता है । यह बच्चे सामान्य बच्चों से कमजोर होते हैं ।वही इन में रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम होती है जिसके कारण बीमारियों की गिरफ्त में यह बच्चे जल्दी आ जाते हैं ।

जिला महिला चिकित्सालय के अस्पताल अधीक्षक डॉ आरके सरोज ने बताया कि अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों में 35 फ़ीसदी बच्चे कम वजन के हैं ।वही इन बच्चों को विशेष निगरानी में रखा जाता है । जिला महिला अस्पताल में आठ मशीनें ही एसएनसीयू में है जिनमें इन कमजोर बच्चों को रखा जाता है। ऐसे में बहुत से बच्चे सरकार की इस सुविधा के लाभ से भी वंचित रह जाते हैं।


Conclusion:बाइट-डॉ आर के सरोज- अधीक्षक जिला महिला अस्पताल जौनपुर

पीटीसी


Dharmendra singh
jaunpur
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