जौनपुर: कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में तीन मई तक लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. इस लॉकडाउन में मजदूरी करने वालों के सामने रोजी- रोटी की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके कारण वह एक-एक दाने के मोहताज हो गए हैं. जौनपुर जिले में गरीब मजदूर और ईट भट्ठों पर काम करने वाले पुरुष और महिला प्रवासी मजदूरों की हालत इन दिनों बेहद खराब है.
ईंट भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों के काम धंधे बंद हो गए हैं. ऐसे में इन्हें अब पेट भरना भी मुश्किल होने लगा है. सरकार की तरफ से प्रत्येक राशन कार्ड पर अतिरिक्त राशन भी उपलब्ध कराया गया, लेकिन यह भी मजदूरों को पेट भरने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि परिवार का आकार बड़ा है. इसके कारण उन्हें अब खेत में टूटी हुई गेहूं की बालियां बीनकर अपने परिवार की रोजी रोटी चलानी पड़ रही है. सरकार ने मजदूरों की समस्या को देखते हुए अतिरिक्त राशन से लेकर उनके बैंक खातों में पैसे भी भेजे हैं, लेकिन सरकारी सहायता इस दौर में उनको फीकी पड़ने लगी है.
कड़ी धूप में बालियां बीन रही महिलाएं
परिवार का आकार बड़े होने के कारण न तो उनका सरकारी राशन से काम चल रहा है और नहीं इतने पैसे मिल रहे हैं कि इतने में वह महीने भर का गुजारा कर सकें, इसलिए मजदूर महिलाओं को अब गेहूं की खेत की टूटी हुई बालियां बीनना पड़ रहा है. इन बालियों को महिलाएं दिन की कड़ी धूप में बीनती हैं फिर इन्हें सुखाकर कर पीटती है और इनसे निकलने वाले गेहूं को वह फिर खाने में प्रयोग में लाती है.
खेतों से गेहूं चुन कर घर लौट रही सरिता बताती हैं कि सरकार जो भी राशन दे रही है उससे उनका काम नहीं चलता है. यह राशन कुछ दिन में ही खत्म हो जाता है .ऐसे में वह खेतों में टूटी हुई गेहूं की बालियों को चुनने को मजबूर हैं.
-सरिता, ग्रामीण