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जौनपुर: प्राइवेट स्कूलों से छूटा मोह, सरकारी स्कूल लगने लगे अच्छे - सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला

यूपी के जौनपुर जिले में कोरोना वैश्विक महामारी के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. इस वजह से प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावक अब उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में करा रहे हैं.

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सरकारी स्कूलों में बढ़े एडमिशन.
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Published : Jun 27, 2020, 3:58 PM IST

जौनपुरः वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश में रोजगार का संकट जहां पैदा हो गया है. वहीं लोगों की आमदनी पहले से काफी घट गई है, जिसके कारण अब उन्हें अपने खर्चों में भी कटौती करने को मजबूर होना पड़ रहा है. जौनपुर जिले में भी ऐसा ही देखने को मिला है. यहां अभिभावक पहले अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते थे. वहीं इन दिनों कोरोना के चलते उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो उन्होंने अपने बच्चों का नाम कटवा कर अब सरकारी स्कूलों में दर्ज करा दिया.

सरकारी स्कूलों में बढ़े एडमिशन.

महंगे कॉन्वेंट स्कूलों का छूटा मोह
जौनपुर जनपद में भी तीन लाख से ज्यादा मजदूर कोरोना संकट काल में बाहर से घरों को पहुंचे हैं. यह पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्यों में काम कर रहे थे. तब उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी, लेकिन इन दिनों न रोजगार है और न ही हाथ में पैसे हैं. ऐसे में उन्हें अब अपने खर्चों में भी कटौती करने को मजबूर होना पड़ रह है. इसके कारण वह अब अपने बच्चों को महंगे कॉन्वेंट स्कूलों से हटाकर सरकारी स्कूलों में नाम लिखवा रहे हैं.

आर्थिक स्थिति डावांडोल
कोरोना वायरस से परेशान शशि बताते हैं कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी, जिसके कारण वह अपने बच्चों को महंगे कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाते थे. वहां पर वह अपने बच्चे पर 1300 रुपये महीने का खर्च भी करते थे. अब यह खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है, जिसके कारण उन्होंने बच्चे का नाम अब सरकारी स्कूल में लिखवाया है.

ग्राम प्रधान डॉ. मदन लाल यादव बताते हैं कि इस कोरोना वायरस की वजह से उनके काम-धंधे पर बुरा असर पड़ा है, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हुई है. वह पहले अपने बच्चे को सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ाते थे. जहां वह 2000 रुपये तक हर बच्चे पर खर्च करते थे, लेकिन अब उन्हें पढ़ाना मुश्किल हो रहा है. इसलिए वह अपने बच्चों का नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में लिखवाया है.

सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला
शाहगंज के खंड शिक्षा अधिकारी राजीव कुमार यादव बताते हैं कि इस बार कोरोना की वजह से अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसलिए वह अपने बच्चों का नाम अब महंगे प्राइवेट स्कूलों से कटवाकर सरकारी स्कूलों में दर्ज करा रहे हैं.

जपटापुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. सभाजीत यादव ने बताया कि उनके स्कूलों में 52 एडमिशन अभी तक हो चुके हैं. यह एडमिशन ऐसे हैं, जो प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर अपने बच्चों को यहां दाखिला करवा रहे हैं. साथ ही लोग अब ऐसे सरकारी स्कूल का भी चुनाव कर रहे हैं, जहां पर पढ़ाई अच्छी होती है.

इन स्कूलों के बच्चे का सरकारी स्कूल में हुआ दाखिला
शाहगंज के जपटापुर प्राथमिक विद्यालय के आसपास गैलेक्सी पब्लिक स्कूल, राजाराम पब्लिक स्कूल, महात्मा गांधी पब्लिक स्कूल, बीडी पब्लिक स्कूल और ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल संचालित हो रहे हैं. इनमें राजाराम पब्लिक स्कूल के अधिकतम बच्चे जपटापुर प्राथमिक विद्यालय में जा चुके हैं. वहीं महात्मा गांधी पब्लिक स्कूल भी बंद हो चुका है, जबकि इस साल बीडी पब्लिक स्कूल से काफी बच्चे जपटापुर प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन के लिए आए हैं. इस साल जपटापुर में 52 नए बच्चों का एडमिशन हुआ है.

मध्यम वर्ग के पढ़ते थे बच्चे
इन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे पिछड़ा वर्ग और मध्यम वर्ग से आते हैं. इस बार कोरोना की वजह से इन परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है, जिसके कारण यह बच्चे अब सरकारी स्कूलों की तरफ जा रहे हैं. वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ज्यादातर पिछड़े और गरीब वर्ग के हैं.

महंगी होती है फीस
शाहगंज के जपटापुर और गुरैनी के पास प्राइवेट स्कूल में फीस 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है. वहीं बीडी पब्लिक स्कूल में बच्चों की संख्या 1200 है और यहां पर फीस 1300 रुपये है, जबकि और पब्लिक स्कूलों में बच्चों की संख्या अब बहुत कम हो चुकी है. इन स्कूलों में बच्चों की संख्या अब सौ से डेढ़ सौ ही बची है.

जौनपुरः वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश में रोजगार का संकट जहां पैदा हो गया है. वहीं लोगों की आमदनी पहले से काफी घट गई है, जिसके कारण अब उन्हें अपने खर्चों में भी कटौती करने को मजबूर होना पड़ रहा है. जौनपुर जिले में भी ऐसा ही देखने को मिला है. यहां अभिभावक पहले अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते थे. वहीं इन दिनों कोरोना के चलते उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो उन्होंने अपने बच्चों का नाम कटवा कर अब सरकारी स्कूलों में दर्ज करा दिया.

सरकारी स्कूलों में बढ़े एडमिशन.

महंगे कॉन्वेंट स्कूलों का छूटा मोह
जौनपुर जनपद में भी तीन लाख से ज्यादा मजदूर कोरोना संकट काल में बाहर से घरों को पहुंचे हैं. यह पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्यों में काम कर रहे थे. तब उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी, लेकिन इन दिनों न रोजगार है और न ही हाथ में पैसे हैं. ऐसे में उन्हें अब अपने खर्चों में भी कटौती करने को मजबूर होना पड़ रह है. इसके कारण वह अब अपने बच्चों को महंगे कॉन्वेंट स्कूलों से हटाकर सरकारी स्कूलों में नाम लिखवा रहे हैं.

आर्थिक स्थिति डावांडोल
कोरोना वायरस से परेशान शशि बताते हैं कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी, जिसके कारण वह अपने बच्चों को महंगे कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाते थे. वहां पर वह अपने बच्चे पर 1300 रुपये महीने का खर्च भी करते थे. अब यह खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है, जिसके कारण उन्होंने बच्चे का नाम अब सरकारी स्कूल में लिखवाया है.

ग्राम प्रधान डॉ. मदन लाल यादव बताते हैं कि इस कोरोना वायरस की वजह से उनके काम-धंधे पर बुरा असर पड़ा है, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हुई है. वह पहले अपने बच्चे को सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ाते थे. जहां वह 2000 रुपये तक हर बच्चे पर खर्च करते थे, लेकिन अब उन्हें पढ़ाना मुश्किल हो रहा है. इसलिए वह अपने बच्चों का नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में लिखवाया है.

सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला
शाहगंज के खंड शिक्षा अधिकारी राजीव कुमार यादव बताते हैं कि इस बार कोरोना की वजह से अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसलिए वह अपने बच्चों का नाम अब महंगे प्राइवेट स्कूलों से कटवाकर सरकारी स्कूलों में दर्ज करा रहे हैं.

जपटापुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. सभाजीत यादव ने बताया कि उनके स्कूलों में 52 एडमिशन अभी तक हो चुके हैं. यह एडमिशन ऐसे हैं, जो प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर अपने बच्चों को यहां दाखिला करवा रहे हैं. साथ ही लोग अब ऐसे सरकारी स्कूल का भी चुनाव कर रहे हैं, जहां पर पढ़ाई अच्छी होती है.

इन स्कूलों के बच्चे का सरकारी स्कूल में हुआ दाखिला
शाहगंज के जपटापुर प्राथमिक विद्यालय के आसपास गैलेक्सी पब्लिक स्कूल, राजाराम पब्लिक स्कूल, महात्मा गांधी पब्लिक स्कूल, बीडी पब्लिक स्कूल और ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल संचालित हो रहे हैं. इनमें राजाराम पब्लिक स्कूल के अधिकतम बच्चे जपटापुर प्राथमिक विद्यालय में जा चुके हैं. वहीं महात्मा गांधी पब्लिक स्कूल भी बंद हो चुका है, जबकि इस साल बीडी पब्लिक स्कूल से काफी बच्चे जपटापुर प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन के लिए आए हैं. इस साल जपटापुर में 52 नए बच्चों का एडमिशन हुआ है.

मध्यम वर्ग के पढ़ते थे बच्चे
इन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे पिछड़ा वर्ग और मध्यम वर्ग से आते हैं. इस बार कोरोना की वजह से इन परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है, जिसके कारण यह बच्चे अब सरकारी स्कूलों की तरफ जा रहे हैं. वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ज्यादातर पिछड़े और गरीब वर्ग के हैं.

महंगी होती है फीस
शाहगंज के जपटापुर और गुरैनी के पास प्राइवेट स्कूल में फीस 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है. वहीं बीडी पब्लिक स्कूल में बच्चों की संख्या 1200 है और यहां पर फीस 1300 रुपये है, जबकि और पब्लिक स्कूलों में बच्चों की संख्या अब बहुत कम हो चुकी है. इन स्कूलों में बच्चों की संख्या अब सौ से डेढ़ सौ ही बची है.

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