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जौनपुर: हर साल बढ़ता है मंदिर में स्थापित शिव धड़ का आकार

जौनपुर जिले में प्रसिद्ध त्रिलोचन महादेव का मंदिर स्थित है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां शिव धड़ स्थापित है और यह साल कुछ इंच बढ़ता भी है. त्रिलोचन महादेव मंदिर के पुजारी का कहना है कि मंदिर की प्राचीनता का जिक्र स्कंद पुराण के 674 नंबर पेज पर भी मिलता है.

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हर साल बढ़ता है मंदिर में स्थापित शिव धड़ का आकार
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Published : Feb 21, 2020, 4:17 AM IST

जौनपुर: जिले में स्थित त्रिलोचन महादेव का मंदिर, प्राचीनता के साथ-साथ अपने अद्भुत स्वरूप के कारण प्रदेश भर में अपना अलग महत्व रखता है. इस मंदिर की प्राचीनता का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. इसके कारण इस मंदिर की महत्ता और बढ़ जाती है. वहीं इस मंदिर में शिवलिंग नहीं बल्कि शिव धड़ है. मान्यता है कि यह सात पाताल भेदकर अपने आप प्रकट हुआ था. वहीं इस पत्थर की शिला पर भगवान शिव का पूरा चेहरा उभरा हुआ है.

इस शिवधड़ की एक खासियत है, जिसके कारण इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दराज से आते हैं. मान्यता है कि मंदिर में स्थापित शिवधड़ हर साल कुछ सेंटीमीटर बढ़ता है. मंदिर के सामने ही एक तालाब भी है जो मंदिर जितना ही प्राचीन माना जाता है. इस तालाब पर बने चार घाट हैं. जहां चार अलग तरह के पानी मिलते हैं. वहीं इन 4 घाटों पर अलग-अलग तरह की बीमारियां नहाने मात्र से ही दूर होती हैं.

हर साल बढ़ता है मंदिर में स्थापित शिव धड़ का आकार.
स्कन्द पुराण में वर्णित है मन्दिर की प्राचीनता का प्रमाण
पुजारी बताते हैं कि त्रिलोचन महादेव मंदिर की प्राचीनता का जिक्र स्कंद पुराण के 674 नंबर पेज पर मिलता है. वहीं इस मंदिर के बारे में स्कंद पुराण के दो पन्नों में वर्णन है. इस मंदिर में शिवलिंग नहीं बल्कि शिव धड़ है, जो सात पाताल भेद कर उत्पन्न हुआ बताया जाता है. वहीं इस उत्पन्न हुई पत्थर की शिला पर भगवान शिव का पूरा चेहरा उभरा हुआ है.

वहीं शिवरात्रि और सावन के महीने में इस मंदिर की महत्ता और भी बढ़ जाती है. सावन के पवित्र महीने में दूरदराज से भक्त, दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी हुई भक्त की हर मुरादें पूरी होती हैं. शिवरात्रि के मौके पर तो यहां लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और तालाब में स्नान करके भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं.

तालाब में नहाने मात्र से दूर होती है सारी बीमारी
त्रिलोचन महादेव मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश गिरी बताते हैं कि मंदिर के सामने स्थित तालाब काफी प्राचीन है और इसकी एक अलग खासियत भी है. मंदिर के 4 घाटों पर चार अलग-अलग तरह का पानी मिलता है. वही यहां पर नहाने मात्र से कुष्ठ रोग जैसी बीमारी भी दूर होती है.

इसे भी पढ़ें:-गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की शिव परिवार की पूजा

जौनपुर: जिले में स्थित त्रिलोचन महादेव का मंदिर, प्राचीनता के साथ-साथ अपने अद्भुत स्वरूप के कारण प्रदेश भर में अपना अलग महत्व रखता है. इस मंदिर की प्राचीनता का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. इसके कारण इस मंदिर की महत्ता और बढ़ जाती है. वहीं इस मंदिर में शिवलिंग नहीं बल्कि शिव धड़ है. मान्यता है कि यह सात पाताल भेदकर अपने आप प्रकट हुआ था. वहीं इस पत्थर की शिला पर भगवान शिव का पूरा चेहरा उभरा हुआ है.

इस शिवधड़ की एक खासियत है, जिसके कारण इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दराज से आते हैं. मान्यता है कि मंदिर में स्थापित शिवधड़ हर साल कुछ सेंटीमीटर बढ़ता है. मंदिर के सामने ही एक तालाब भी है जो मंदिर जितना ही प्राचीन माना जाता है. इस तालाब पर बने चार घाट हैं. जहां चार अलग तरह के पानी मिलते हैं. वहीं इन 4 घाटों पर अलग-अलग तरह की बीमारियां नहाने मात्र से ही दूर होती हैं.

हर साल बढ़ता है मंदिर में स्थापित शिव धड़ का आकार.
स्कन्द पुराण में वर्णित है मन्दिर की प्राचीनता का प्रमाण
पुजारी बताते हैं कि त्रिलोचन महादेव मंदिर की प्राचीनता का जिक्र स्कंद पुराण के 674 नंबर पेज पर मिलता है. वहीं इस मंदिर के बारे में स्कंद पुराण के दो पन्नों में वर्णन है. इस मंदिर में शिवलिंग नहीं बल्कि शिव धड़ है, जो सात पाताल भेद कर उत्पन्न हुआ बताया जाता है. वहीं इस उत्पन्न हुई पत्थर की शिला पर भगवान शिव का पूरा चेहरा उभरा हुआ है.

वहीं शिवरात्रि और सावन के महीने में इस मंदिर की महत्ता और भी बढ़ जाती है. सावन के पवित्र महीने में दूरदराज से भक्त, दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी हुई भक्त की हर मुरादें पूरी होती हैं. शिवरात्रि के मौके पर तो यहां लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और तालाब में स्नान करके भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं.

तालाब में नहाने मात्र से दूर होती है सारी बीमारी
त्रिलोचन महादेव मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश गिरी बताते हैं कि मंदिर के सामने स्थित तालाब काफी प्राचीन है और इसकी एक अलग खासियत भी है. मंदिर के 4 घाटों पर चार अलग-अलग तरह का पानी मिलता है. वही यहां पर नहाने मात्र से कुष्ठ रोग जैसी बीमारी भी दूर होती है.

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