जौनपुर: कोरोना के चलते देश का अन्नदाता भी इन दिनों परेशान है. लॉकडाउन के दौरान किसानों को सस्ते दामों में अपनी फसलों को बेचना पड़ा, जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है. अब खरीफ की फसल के लिए किसान परेशान हैं, क्योंकि इन दिनों यूरिया की किल्लत हो गई है. जनपद में किसान समितियों और सरकारी खाद केंद्रों पर यूरिया के लिए किसानों की लंबी-लंबी लाइने देखी जा रही हैं.
वहीं बाजार में भी खाद की कालाबाजारी जोरों पर है, जबकि शासन स्तर से ही किसानों को सरकारी खाद केंद्र पर खाद उपलब्ध कराए जाने के कड़े निर्देश हैं. जनपद के केराकत शहाबुद्दीनपुर के खाद केंद्र पर किसानों को यूरिया तो मिल रही है, लेकिन अधिक दाम देकर. सरकार ने 45 रुपये किलो यूरिया की बोरी का दाम 266.50 रुपये निर्धारित कर रखा है, लेकिन इस खाद केंद्र पर किसानों से 275 रुपये लिए जा रहे हैं. किसान भी मजबूर हैं और इसी मजबूरी का फायदा सरकारी समितियों के लोग उठा रहे हैं.
किसान अपनी धान, मक्का और खरीफ की फसलों को तैयार करने के लिए जी जान से जुटा हुआ है. लेकिन इन दिनों उसे यूरिया की कमी की परेशानी भी झेलनी पड़ रही है. जौनपुर में पिछले कई दिनों से यूरिया के लिए किसानों को लंबी-लंबी लाइनों से होकर गुजरना पड़ रहा है, जबकि शासन स्तर से यह कहा गया है कि खाद की कोई कमी नहीं है और किसानों को पूरी खाद मिलेगी, जबकि हकीकत में किसानों की जरूरत के मुताबिक खाद की कमी है, जिसका फायदा खाद की कालाबाजारी करने वाले लोग उठा रहे हैं.
सरकारी खाद केंद्रों पर भी किसानों को खाद तो जरूर मिल रही है, लेकिन वह भी अधिक दाम देकर किसानों से सरकारी कर्मियों के द्वारा ही मुनाफा वसूली की जा रही है.
किसान खाद केंद्र के प्रभारी बब्बन सिंह ने बताया कि उनके केंद्र पर प्रति बोरी 266.50 रुपये का रेट निर्धारित है, लेकिन वह 275 रुपये ले रहे हैं, क्योंकि उन्होंने खाद को निकालने के लिए कुछ लोग लगा रखे हैं.