जौनपुर: कोरोना संकट के चलते देश में 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है. इस दौरान शहर से लेकर गांव तक हर व्यक्ति अपने को कोरोना से बचाने के लिए प्रधानमंत्री के निर्देशों का पालन कर रहा है. इस संकट के बीच किसान पर भी आफत आ पड़ी है क्योंकि खेतों में गेहूं की फसल तैयार खड़ी है. इस खड़ी फसल को काटने के लिए न तो किसानों को मजदूर मिल रहे हैं और नहीं हार्वेस्टर मशीनें.
खेतों में काम करने वाले मजदूर ज्यादातर बिहार से आते थे. वहीं हार्वेस्टर मशीनें पंजाब से आती थीं, लेकिन लॉकडाउन के चलते दोनों ही गायब हैं. ऐसे में अपनी खड़ी फसल को देखकर किसान के माथे पर चिंता की लकीरें अब गहरी होती जा रही हैं. पहले भी बेमौसम बारिश और ओलों की वजह से गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा था, लेकिन अब इस बची फसल को किसान अपने घर तक ले आने के लिए परेशान हैं.
किसानों के लिए परेशानी का सबब बना लॉकडाउन
किसान के लिए उसकी फसल ही उसके सपनों को पूरा करने का एक जरिया होती है, लेकिन लॉकडाउन के दिनों में किसान की फसल पर भी खतरा मंडरा रहा है. जिले में किसानों ने गेहूं की फसल तैयार तो कर दी है, लेकिन अब तैयार खड़ी फसल को काटने के लिए न तो मजदूर मिल रहे हैं और न ही मशीनें. देश कोरोना के संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया है. ऐसी स्थिति में बिना मजदूर और मशीनों के गेहूं की फसल काटना किसानों के लिए समस्या है.
नहीं कट पा रही फसल
इस बार गेहूं की फसल को कई बार बेमौसम बारिश और ओलों का भी सामना करना पड़ा है. अब जब फसल तैयार हुई तो इसको कोरोना महामारी से भी जूझना पड़ रहा है. अगर समय रहते फसल को काटा नहीं गया तो अन्य उत्पादनों में भारी गिरावट भी देखने को मिलेगी. वहीं खाद्यान्न की बड़ी समस्या भी हो सकती है.
हो रही है किसानों को चिंता
इस समस्या को लेकर जब डोभी गांव में रहने वाले कुछ किसानों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि वह कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री के निर्देशों का पालन तो कर ही रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी फसल को लेकर भी चिंता हो रही है. सब सरकार से आस लगाए हुए हैं कि वह उनकी फसलों के बारे में भी कुछ सोचे और उनकी इस समस्या का निराकरण करे.
क्या बोले किसान
बातचीत में किसान ओपी यादव ने बताया कि इन दिनों कोरोना के चलते वह अपने घरों में प्रधानमंत्री के आदेशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन खड़ी फसल को देखकर उन्हें समस्या भी हो रही है. फिर भी जान रहेगी तो सब कुछ ठीक होगा.
किसान रामजीत यादव बताते हैं कि पहले उनकी फसलों को पशुओं ने नुकसान पहुंचाया, फिर बेमौसम बारिश ने. अब खड़ी फसल तैयार है तो कोरोना के संकट से जूझ रहे हैं, क्योंकि न तो मजदूर मिल रहे हैं और नहीं मशीनें हैं. ऐसे में वह अपनी फसलों को कैसे काटे.
वहीं किसान हरिराम बताते हैं कि उनकी फसलें तैयार हैं लेकिन इन दिनों न तो मजदूर हैं और न ही हार्वेस्टर की मशीनें है. इस वजह से वह अपनी फसलों को कैसे काटें, सरकार इसका कुछ उपाय करे.