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जौनपुर का मशहूर मक्का सेहत के साथ-साथ दे रहा लोगों को रोजगार

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में कोरोना संकट में मक्के की खेती किसानों के लिए सबसे अच्छा रोजगार का साधन बना हुआ है. जनपद के किसान और लॉकडाउन में बेरोजगार हुए श्रमिक बड़े पैमाने पर मक्के के फसल उगा रहे हैं और जिले के विभिन्न चाक-चौराहे पर ठेलिया लगाकर भुट्टा बेंच रहे है.

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Published : Jun 22, 2020, 2:13 PM IST

भुट्टे की ठेलिया लगाए हुए श्रमिक
भुट्टे की ठेलिया लगाए हुए श्रमिक

जौनपुर: उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला जो मक्के के लिए मशहूर है. किसान यहां बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं. जनपद से विभिन्न शहरों और गांवों में मक्के की डिमांड रहती है. आज कल जिले में कोरोना लॉकडाउन से बेरोजगार हुए मजदूर वर्ग के लोगों को मक्का सबसे बड़ा रोजगार का साधन बना हुआ है. कोरोना संकट ने अब जनपद के श्रमिक भुट्टा बेंचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.

भुट्टा बना रोजगार का साधन

वैसे तो जौनपुर जिले में होने वाली मूली की खेती पूरे देश में सबसे अधिक और स्वाद में मिठास भरी होती है. यही हाल यहां बनने वाली इमरती का भी है. जौनपुर इमरती के लिए उतना ही फेमस है. लेकिन आज कल जौनपुर मक्के को लेकर सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां मक्के का उत्पादन सबसे ज्यादा किसान करते हैं. इस फसल के बलबूते ही उन्हें अच्छी आमदनी भी होती है.

रोजगार का साधन बना भुट्टा

कोरोना संकट में जहां मक्का लोगों की सेहत को सही करने में मददगार साबित हो रहा है, वहीं इन दिनों इसी मक्के की फसल तैयार होने के बाद भुट्टे का ठेला लगाकर हजारों श्रमिक रुपये कमा रहे हैं. मक्का जनपद में श्रमिकों के लिए रोजगार का सबसे अच्छा साधन बना हुआ है. इन दिनों हर सड़क चौराहों पर भुट्टे के ठेला देखने को मिल रहा हैं. क्योंकि इन्हीं ठेलों के जरिए कई गरीबों का परिवार चल रहा है.

जनपद में उगने वाले मक्के की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके दाने बड़े होने के साथ-साथ मीठे भी होते हैं. बरसात का मौसम शुरू होने से पहले ही मक्के की डिमांड बढ़ने लगती है. बारिश के मौसम में जिले का सभी चौक चौराहा और सड़क किनारा भुट्टे के ठेलों से पट जाता है. गरम-गरम भुट्टे का स्वाद लेने के लिए लोगों की लम्बी लाइने लग जाती हैं. आज के समय में कोविड-19 से बचने के लिए जहां लोग अपने शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं. वहीं यह मक्का भी लोगों की सेहत को दुरुस्त करने में मददगार साबित हो रहा है. वहीं इन दिनों रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम भी मक्का बना हुआ है.

भुट्टे से जो आमदनी होती है उससे चलता है घर
जनपद निवासी राम फल जगदीशपुर रेलवे फाटक के पास भुट्टे की ठेला लगाते हैं. उन्होंने बताया कि रोज यहां भुट्टा बेचते हैं, यही रोजी रोटी का साधन है. राम फल ने बताया कि रोजाना भुट्टा बेचकर 200-300 रुपये की आमदनी हो जाती है. इसी से परिवार का पालन पोषण हो पाता है.

वहीं भुट्टे की ठेल लगाने वाले सरोज सोनकर बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास कोई रोजगार नहीं था. वह घर बैठे हुए थे लेकिन जब से मक्के की फसल तैयार हुई है और बाजार खुला है, तो वह ठेला लगाकर भुट्टा बेच रहे हैं. इससे जो आमदनी होती है उससे परिवार का पेट भर रहा है.

भुट्टा खरीदने आए ग्राहक रत्नाकर चौबे बताते हैं कि जौनपुर का मक्का अपनी मिठास के लिए पूरे देश में मशहूर है. साथ ही यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. लेकिन इन दिनों कोरोना संकट में भुट्टा गरीबों की आमदनी का जरिया बना हुआ है.

कुलमिलाकर जौनपुर में लॉकडाउन में बेरोजगार हुए श्रमिकों को जिले का मशहुर फसल रोजगार का साधन बना हुआ है. नौकरी छूटने के बाद विभिन्न शहरों से घर लौटे मजदूर अब यहां भुट्टा बेच रहे हैं.

जौनपुर: उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला जो मक्के के लिए मशहूर है. किसान यहां बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं. जनपद से विभिन्न शहरों और गांवों में मक्के की डिमांड रहती है. आज कल जिले में कोरोना लॉकडाउन से बेरोजगार हुए मजदूर वर्ग के लोगों को मक्का सबसे बड़ा रोजगार का साधन बना हुआ है. कोरोना संकट ने अब जनपद के श्रमिक भुट्टा बेंचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.

भुट्टा बना रोजगार का साधन

वैसे तो जौनपुर जिले में होने वाली मूली की खेती पूरे देश में सबसे अधिक और स्वाद में मिठास भरी होती है. यही हाल यहां बनने वाली इमरती का भी है. जौनपुर इमरती के लिए उतना ही फेमस है. लेकिन आज कल जौनपुर मक्के को लेकर सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां मक्के का उत्पादन सबसे ज्यादा किसान करते हैं. इस फसल के बलबूते ही उन्हें अच्छी आमदनी भी होती है.

रोजगार का साधन बना भुट्टा

कोरोना संकट में जहां मक्का लोगों की सेहत को सही करने में मददगार साबित हो रहा है, वहीं इन दिनों इसी मक्के की फसल तैयार होने के बाद भुट्टे का ठेला लगाकर हजारों श्रमिक रुपये कमा रहे हैं. मक्का जनपद में श्रमिकों के लिए रोजगार का सबसे अच्छा साधन बना हुआ है. इन दिनों हर सड़क चौराहों पर भुट्टे के ठेला देखने को मिल रहा हैं. क्योंकि इन्हीं ठेलों के जरिए कई गरीबों का परिवार चल रहा है.

जनपद में उगने वाले मक्के की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके दाने बड़े होने के साथ-साथ मीठे भी होते हैं. बरसात का मौसम शुरू होने से पहले ही मक्के की डिमांड बढ़ने लगती है. बारिश के मौसम में जिले का सभी चौक चौराहा और सड़क किनारा भुट्टे के ठेलों से पट जाता है. गरम-गरम भुट्टे का स्वाद लेने के लिए लोगों की लम्बी लाइने लग जाती हैं. आज के समय में कोविड-19 से बचने के लिए जहां लोग अपने शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं. वहीं यह मक्का भी लोगों की सेहत को दुरुस्त करने में मददगार साबित हो रहा है. वहीं इन दिनों रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम भी मक्का बना हुआ है.

भुट्टे से जो आमदनी होती है उससे चलता है घर
जनपद निवासी राम फल जगदीशपुर रेलवे फाटक के पास भुट्टे की ठेला लगाते हैं. उन्होंने बताया कि रोज यहां भुट्टा बेचते हैं, यही रोजी रोटी का साधन है. राम फल ने बताया कि रोजाना भुट्टा बेचकर 200-300 रुपये की आमदनी हो जाती है. इसी से परिवार का पालन पोषण हो पाता है.

वहीं भुट्टे की ठेल लगाने वाले सरोज सोनकर बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास कोई रोजगार नहीं था. वह घर बैठे हुए थे लेकिन जब से मक्के की फसल तैयार हुई है और बाजार खुला है, तो वह ठेला लगाकर भुट्टा बेच रहे हैं. इससे जो आमदनी होती है उससे परिवार का पेट भर रहा है.

भुट्टा खरीदने आए ग्राहक रत्नाकर चौबे बताते हैं कि जौनपुर का मक्का अपनी मिठास के लिए पूरे देश में मशहूर है. साथ ही यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. लेकिन इन दिनों कोरोना संकट में भुट्टा गरीबों की आमदनी का जरिया बना हुआ है.

कुलमिलाकर जौनपुर में लॉकडाउन में बेरोजगार हुए श्रमिकों को जिले का मशहुर फसल रोजगार का साधन बना हुआ है. नौकरी छूटने के बाद विभिन्न शहरों से घर लौटे मजदूर अब यहां भुट्टा बेच रहे हैं.

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